Bhadohi History: कालीनों के लिए देशभर में फेमस है भदोही, जानें इसका इतिहास
History of Bhadohi: भदोही को सबसे ज्यादा अपने कालीन के लिए पहचाना जाता है। चलिए आज हम आपको यहां के बारे में बताते हैं।
History of Bhadohi : हमारे भारत में एक से बढ़कर एक घूमने फिरने वाली जगह है। जो कि अपनी अलग खासियत के लिए जानी जाती है। कुछ लोगों को ऐतिहासिक स्थल काफी ज्यादा पसंद आता है। अगर आप ऐसी ही ऐतिहासिक जानकारी हासिल करने में दिलचस्पी रखते हैं। तो आपको उत्तर प्रदेश की कुछ जगहों को अवश्य एक्सप्लोर करना चाहिए जो मुगल कालीन शासक से ही मशहूर है। यहां के जिलों के नाम पर तो बॉलीवुड में भी काफी चर्चे हैं जो इस राज्य को अलग पहचान देती है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको यूपी में स्थित भदोही के बारे में बताएंगे जो की कारपेट सिटी के नाम से जाना जाता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह हस्त निर्मित कारपेट इंटरनेशनल मार्केट में सबसे लोकप्रिय है। आईए जानते हैं इन चीजों के बारे में विस्तार से
यहां मिलते हैं एक से बढ़कर एक कालीन
दरअसल भदोही जिले में एक से बढ़कर एक कालीन मिलते हैं, जो की निर्माण और निर्यात के लिए विख्यात है। इसका श्रेय मुगल बादशाह अकबर को जाता है। इस उद्योग में एशिया के सबसे बड़ी कालीन मेले के जनक हाजी जलील अहमद अंसारी का नाम आज भी लोगों द्वारा याद किया जाता है। पश्चिमी देशों में भदोही के कालीन काफी ज्यादा डिमांड है। लोग दूर-दूर से यहां कालीन खरीदने के लिए आते हैं। बता दें कि भारत का कालीन निर्यात साल 1960 में 436 करोड रुपए था, जो साल 2020 तक बढ़कर 10000 करोड रुपए का आंकड़ा पार कर चुका है।
ये जगह भी है बेस्ट
कालीन के मामले में भदोही के अलावा मिर्जापुर, पानीपत, जम्मू कश्मीर और राजस्थान का नाम टॉप 10 की लिस्ट में शामिल है। बता दे कि इन जगहों से उस में कालीन का निर्यात किया जाता है। जिसमें तेजी से बढ़ोतरी हो रही है यहां आपको एक से बढ़कर एक यूनिक डिजाइन मिल जाएंगे। वह भी काफी अच्छी रेंज में यहां की कालीन कई बड़े कंपनी को टक्कर देती है
ऐसा है इतिहास
दरअसल भदोही का कालीन किस्सा मुगल काल से शुरू हुआ था। जिसका प्रमाण आईना ए अकबरी में लिखित रूप में पाया गया है। दरअसल आईना ए अकबरी अबुल फजल द्वारा रचित अकबरनामा का ही एक भाग है जो की 16वीं साड़ी में लिखी गई थी इसमें अकबर युग के जीवन समाज सहित सारी चीजों का वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि जब बादशाह अकबर अपनी फौज के साथ इस रास्ते से निकल रहे थे। तो उनमें से कुछ लोग पीछे छूट गए जिन्होंने भदोही में अपना डेरा डाल लिया और उन लोगों के साथ मिलकर कालीन बनाना शुरू कर दिया।
ऐसे होता है निर्माण
सबसे पहले कालीन को बनाने के लिए डिजाइन कागज की चादर पर तैयार किया जाता है।
इसके बाद बुनकर कालीन पर उसे करते हैं फिर उसमें रंगाई का काम होता है।
रंगे के बाद उसे 40 डिग्री तापमान में सुखाया जाता है।
सूखने के बाद तैयार की गई कालीन की धुलाई की जाती है।