Most Polluted River Yamuna: भारत की सबसे पवित्र नदी बन गई सबसे प्रदूषित, जानें प्रदूषण के कारण
Most Polluted River Yamuna: यमुना नदी को भारतीय पौराणिक कथाओं में एक पवित्र नदी माना जाता है। लेकिन आज के समय में यह भारत की सबसे ज्यादा प्रदूषित नदी बन चुकी है।;
Most Polluted River Yamuna: भारत की नदियां न केवल हमारी संस्कृति और आस्था का केंद्र रही हैं, बल्कि वे जल स्रोत, कृषि और उद्योगों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण कई नदियाँ प्रदूषित हो गई हैं। भारत की सबसे प्रदूषित नदी (Bharat Ki Sabse Pradushit Nadi) की बात करें तो यमुना नदी (Yamuna River) इस सूची में सबसे ऊपर आती है। यह नदी दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से होकर बहती है। इसका जल अत्यधिक प्रदूषित हो चुका है। इस लेख में हम यमुना नदी के इतिहास, प्रदूषण के कारणों, इसके विस्तार और सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
यमुना नदी का परिचय (Yamuna Nadi Ke Bare Mein Jankari)
यमुना नदी को भारतीय पौराणिक कथाओं में एक पवित्र नदी माना जाता है। यह गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है। इसका उद्गम हिमालय के यमुनोत्री ग्लेशियर से होता (Yamuna Nadi Kaha Se Nikalti Hai) है। यह नदी उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और अंततः प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में गंगा में मिल जाती है। यमुना का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व अत्यंत गहरा है। लेकिन वर्तमान में यह नदी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है और देश की सबसे प्रदूषित नदियों में शुमार की जाती है।
भारतीय धार्मिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमुना सूर्य देव की पुत्री हैं, इस कारण वे शनिदेव की बहन कहलाती हैं। हालांकि, उन्हें मृत्यु के देवता यमराज की जुड़वा बहन के रूप में अधिक जाना जाता है। ‘यमुना’ नाम संस्कृत शब्द ‘यम’ से बना है, जिसका अर्थ ही ‘जुड़वा’ होता है।
यमुना नदी का इतिहास (Yamuna Nadi Ka Itihas)
यमुना नदी का इतिहास अत्यंत पुराना है। इसे हिंदू धर्म में देवी यमुना के रूप में पूजा जाता है, जो सूर्य देव की पुत्री और यमराज की बहन मानी जाती हैं। भारतीय इतिहास में यमुना का वर्णन महाभारत और रामायण में भी मिलता है। इसके तट पर कृष्ण की लीलाएँ हुईं और मुगल साम्राज्य के दौरान कई महत्वपूर्ण शहर जैसे दिल्ली और आगरा इसी नदी के किनारे बसे।
मुगल सम्राट शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण यमुना नदी के किनारे करवाया था ताकि इसकी सुंदरता यमुना के प्रतिबिंब में झलके। प्राचीन काल में इस नदी का जल मीठा और निर्मल था। लेकिन आधुनिक युग में औद्योगिक कचरे, मल-जल और रासायनिक प्रदूषण के कारण यह नदी लगभग मृतप्राय हो चुकी है।
यमुना नदी का विस्तार (Yamuna Nadi Ka Vistar)
यमुना नदी लगभग 1,376 किलोमीटर लंबी है। इसका जलग्रहण क्षेत्र 3,66,223 वर्ग किलोमीटर (Yamuna Nadi Ki Lambai) में फैला हुआ है। इस नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं- चंबल, बेतवा, केन, सिंध और टोंस। इसकी यात्रा उत्तराखंड के यमुनोत्री से शुरू होकर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा नदी में समाहित होने तक जारी रहती है।
मुख्यत: यह नदी निम्नलिखित राज्यों से होकर बहती (Yamuna Nadi Kaha Par Hai) है:-
उत्तराखंड: यमुनोत्री से प्रारंभ होकर यह उत्तराखंड के कई पर्वतीय क्षेत्रों से गुजरती है।
हिमाचल प्रदेश: कुछ छोटी सहायक नदियाँ हिमाचल से यमुना में मिलती हैं।
हरियाणा: यह राज्य में सिंचाई का मुख्य स्रोत है। लेकिन यहाँ पर इसका जल प्रदूषित होने लगता है।
दिल्ली: राजधानी क्षेत्र में यमुना सबसे अधिक प्रदूषित हो जाती है।
उत्तर प्रदेश: आगरा और मथुरा जैसे शहरों में भी इस पर भारी दबाव पड़ता है।
यमुना नदी में प्रदूषण के मुख्य कारण (Yamuna Nadi Pradushit Kyun Hai)
यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण के कई कारण हैं, जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं:
औद्योगिक अपशिष्ट:
दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कई उद्योग नदी में सीधे जहरीले रसायन और अपशिष्ट छोड़ते हैं।
नालों का गंदा पानी:
दिल्ली में 22 बड़े नाले और कुल 18 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) हैं।लेकिन ये क्षमता से कम काम कर रहे हैं, जिससे कच्चा सीवेज नदी में बहता रहता है।
कृषि में रासायनिक खाद और कीटनाशक:
हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसान अत्यधिक उर्वरक और कीटनाशक उपयोग करते हैं, जो अंततः बारिश के माध्यम से यमुना में प्रवाहित हो जाते हैं।
प्लास्टिक और ठोस कचरा:
नदी में प्लास्टिक, घरेलू कचरा, धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ी सामग्री और अन्य ठोस कचरा डाला जाता है, जिससे जल गुणवत्ता बेहद खराब हो जाती है।
जल प्रवाह में कमी:
दिल्ली और हरियाणा में यमुना नदी के जल का अत्यधिक दोहन किया जाता है, जिससे इसका प्रवाह कम हो गया है और यह गंदगी से भर जाती है।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
यमुना को स्वच्छ करने के लिए सरकार ने कई योजनाएँ बनाई हैं।लेकिन वे अब तक प्रभावी साबित नहीं हुई हैं। कुछ प्रमुख सरकारी पहल निम्नलिखित हैं:
यमुना एक्शन प्लान (YAP):
1993 में शुरू की गई यह योजना जापान सरकार की सहायता से लागू हुई। लेकिन यह योजना अधिक प्रभावी नहीं रही।
नमामि गंगे योजना:
2014 में केंद्र सरकार ने गंगा और यमुना को स्वच्छ करने के लिए इस योजना को शुरू किया। लेकिन यमुना पर इसका बहुत कम प्रभाव पड़ा।
दिल्ली सरकार की योजनाएँ:
दिल्ली सरकार ने कई नालों को ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ने का काम किया है। लेकिन बढ़ती आबादी के कारण प्रदूषण की समस्या बनी हुई है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के निर्देश:
NGT ने दिल्ली और हरियाणा सरकार को कड़े निर्देश दिए हैं कि वे यमुना में गिरने वाले नालों को रोके और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स को ठीक से चलाएँ।
यमुना को बचाने के उपाय (Yamuna Nadi Ko Bachane Ke Upay)
यमुना को पुनर्जीवित करने के लिए कुछ ठोस उपाय किए जा सकते हैं:
औद्योगिक अपशिष्ट को रोकना: सभी फैक्ट्रियों को अपशिष्ट शोधन संयंत्र लगाने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को आधुनिक बनाना: जल शुद्धिकरण के लिए उच्च तकनीक वाले ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने होंगे।
जन जागरूकता: नागरिकों को नदी की सफाई के प्रति जागरूक करना होगा ताकि वे इसमें कचरा न डालें।
जल प्रवाह बढ़ाना: हरियाणा और दिल्ली में यमुना में पानी छोड़ने की मात्रा बढ़ानी होगी, जिससे नदी का प्रवाह सुधरे।
भारत की सबसे प्रदूषित नदी
बहुत से लोग यह नहीं जानते कि यमुना नदी वर्तमान में भारत की सबसे प्रदूषित नदी बन चुकी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, यमुना में देश की किसी भी अन्य नदी की तुलना में सबसे अधिक प्रदूषण है। आँकड़ों के अनुसार, प्रतिदिन लगभग 200 करोड़ लीटर सीवेज नदी में बहाया जाता है। यमुना की कुल लंबाई का केवल 2 प्रतिशत हिस्सा दिल्ली से होकर गुजरता है। लेकिन इसी हिस्से में नदी का 76 प्रतिशत प्रदूषण मिलता है। पिछले एक दशक में यमुना का प्रदूषण स्तर दस गुना बढ़ चुका है।
गंगा में दाहिनी ओर से मिलने वाली इकलौती नदी
यमुना नदी भारत की सबसे बड़ी सहायक नदी है। यह एकमात्र ऐसी नदी है जो गंगा नदी में दाहिनी ओर से मिलती है, जबकि अन्य सभी सहायक नदियाँ गंगा में बाईं ओर से मिलती हैं। प्रयागराज में जब यह गंगा में समाहित होती है, तब यह गंगा से बड़ी प्रतीत होती है।
यमुना की सफाई के प्रयास
यमुना नदी को साफ करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में एक बार फिर यमुना की सफाई का संकल्प लिया है। हालांकि, इससे पहले भी कई बार यमुना को स्वच्छ करने की कोशिश की गई थी। 1993 में भारत सरकार ने जापान की सहायता से ‘यमुना एक्शन प्लान’ की शुरुआत की थी, जो अब भी कई चरणों में जारी है।
यमुना को पुनर्जीवित करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि यह नदी अपनी पुरानी स्वच्छता और पवित्रता को फिर से प्राप्त कर सके।यमुना नदी का पानी आज काला दिखाई देता है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि इसका कारण आसपास के शहरों से इसमें मिलने वाला भारी मात्रा में प्रदूषित जल है। हालांकि, यह भी दिलचस्प है कि भारतीय पुराणों में यमुना का उल्लेख एक ‘काली नदी’ के रूप में किया गया है। यमुना का यह काला रंग प्रयागराज के संगम पर गंगा नदी से मिलने से पहले साफ नजर आता है।
यमुना नदी भारत की जीवनरेखा है। लेकिन आज यह अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी है। यदि शीघ्र प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह नदी पूरी तरह से मृत हो सकती है। सरकार, नागरिक और उद्योगों को मिलकर इसके संरक्षण की दिशा में कार्य करना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी यमुना के निर्मल जल का लाभ उठा सकें।