Charre Marre Waterfall: नेचर लवर छत्तीसगढ़ में जरूर घूमें चर्रे मर्रे झरना, करीब से आनंद लेने की जगह

Charre Marre Water Fall Kaha Hai: छत्तीसगढ़ में एक बेहद आकर्षक झरना है, जहां घूमना आपके लिए एक सुखद अनुभव हो सकता है। यह झरना कांकेर जिले में स्थित है।;

Written By :  Sarojini Sriharsha
Update:2025-02-02 07:30 IST

Charre Marre Waterfall (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Charre Marre Water Fall In Chhattisgarh: हमारे देश के छत्तीसगढ़ राज्य (Chhattisgarh) में कई आकर्षक झरने हैं जिनमें से एक है कांकेर जिले का अन्तागढ़ से लगभग 17 किमी की दूरी पर जोगीधारा नदी में स्थित चर्रे-मर्रे झरना। जोगीधारा नदी, कोटरी नदी की एक सहायक नदी है। इस झरने की ऊंचाई करीब 16 मीटर है। इस झरने के निकट अगर आप पहुंचने के लिए प्रयत्न करते हैं तो करीब 400 सीढ़ियों से नीचे उतर कर इसके तल तक पहुंच सकते हैं।

यह झरना इतना ऊंचा नहीं है कि ज्यादा डर लगे। यहां के आसपास पड़े पत्थरों पर आप दोस्त, परिवार के साथ बैठकर अगर चाहें तो ठंडे पानी के ताल में अपना पैर डालकर मज़ा ले सकते हैं। यहां पर्यटक अगर नहाना चाहें तो नहा सकते हैं और अपनी थकान मिटा सकते हैं।

झरने से नीचे गिरती पानी की बूंदें प्रकृति में संगीत की धुन पर नाचती थिरकती जान पड़ती हैं। इस झरने का सफेद पानी कंचे के समान प्रतीत होता है। यहां पास में स्थित वॉच टॉवर से इस झरने का फैलाव देख सकते हैं।

झरने के आसपास घूमने की जगहें (Charre Marre Water Fall Ke Paas Ghumne Ki Jagah)

इस झरने के आस पास कई देखने योग्य जगहें हैं 

कांकेर महल (Kanker Palace)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कांकेर जिले का यह महल पर्यटक बाहर से देख सकते हैं। यह पैलेस भीतर से देखने के लिए साल में एक बार दशहरे के दौरान खुलता है। इस महल का अधिकतर हिस्सा अब होटल में तब्दील हो चुका है। देश-विदेश से इसे देखने सैलानी आते हैं।

गड़िया पर्वत (Gadiya Pahad)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

इस पर्वत के ऊपर मैदान में एक किला है। ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण राजा धर्मदेव ने कराया था। राजा इस किले में अपने परिवार के साथ रहते थे और उनकी दो बेटियां थीं, जिनके नाम सोनई और रूपई थे। इन्हीं बेटियों के नाम पर राजा ने इस पर्वत पर तालाब का निर्माण कराया था। इस तालाब में साल भर पानी भरा रहता है। यह इस तालाब की खास विशेषता है। साथ ही इसका पानी सुबह और शाम सोने और चांदी के रंग की तरह चमकता नजर आता है। यह रोमांचकारी स्थल पर्यटकों को खूब भाता है।

छुरी पगार गुफा (Chhuri Pagar Cave)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

गड़िया पहाड़ पर सोनई-रूपई तालाब के निकट छुरी पगार नामक गुफा काफी मशहूर है। संकरे द्वार वाले इस गुफा में सैकड़ों लोग समा सकते हैं। प्राचीन काल में दुश्मन के हमले से बचने और सुरक्षित रहने के लिए राजा अपने परिवार और करीबी लोगों के साथ इसमें शरण लेते थे।

मलाजकुडूम झरना (Malajkudum Waterfall)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

वैसे तो छत्तीसगढ़ झरनों का प्रदेश है, यहां एक से बढ़कर एक आकर्षक और खूबसूरत झरने हैं। इन्हीं में से एक झरना कांकेर जिले से करीब 15 किमी दूर एक पहाड़ पर नील गोंडी नामक स्थान पर है। इसी जगह से दूध नदी निकलती है, जिस पर यह झरना स्थित है।सीढ़ी के समान ढाल से बहते हुए इस झरने का पानी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

शिवानी देवी मंदिर (Shivani Devi Temple)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मां काली और दुर्गा के अर्ध अवतार वाली देवी शिवानी का मंदिर कांकेर जिले का सबसे पुराना मंदिर है। इस तरह की दुर्लभ देवी की प्रतिमा आप कोलकाता में देख सकते हैं। इस मंदिर में हर साल नवरात्रि के दौरान भारी संख्या में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है।

कैसे पहुंचें (How To Reach Kanker)

हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा है। यहां से आप टैक्सी, बस के माध्यम से कांकेर पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग से पहुंचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन रायपुर रेलवे स्टेशन है। इसके अलावा भानुप्रतापपुर रेलवे स्टेशन भी कांकेर से करीब है। इस स्टेशन से कांकेर की दूरी 45 किमी है। टैक्सी, बस के द्वारा कांकेर आसानी से पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग द्वारा कांकेर छत्तीसगढ़ के मुख्य शहर रायपुर और जगदलपुर से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यह जगह रायपुर से करीब 140 किमी और जगदलपुर से 160 किमी दूर है। कांकेर आने के लिए बस और टैक्सी सबसे अच्छा विकल्प है।

घूमने का सबसे अच्छा समय (Best Time To Visit Charre Marre Waterfall)

चर्रे-मर्रे झरने को साल भर में कभी भी देखने जा सकते हैं। लेकिन यहां पर्यटक सितंबर से मई तक आना ज्यादा पसंद करते हैं। गर्मियों के मौसम में यह जगह सुकून वाला एहसास देता है। मानसून के दौरान यहां घूमना थोड़ा खतरनाक हो जाता है। बारिश के दिनों में झरने तक पहुंचना और पानी में मज़े लेना खतरा मोल लेने जैसा हो जाता है।

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