Diwali 2023: दिलचस्प है डायन दिया की कहानी, जानिए भारत में कहाँ जलाया जाता है इसे
Diwali 2023: जानिए कहाँ और क्यों जलाया जाता है डायन दिया आज हम आपको इसके पीछे की कहानी भी बताने जा रहे हैं।
Diwali 2023: दिवाली की तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाती है इतना ही नहीं लोगों के घर पर रंग रोगन का काम भी शुरू हो गया है। साथ ही बाज़ारों में सजावट भी शुरू हो गयी है। हर घर इस समय रोशनी की चादर से नहाया हुआ है और कई घरों में तो तरह तरह की मिठाइयां बननी भी शुरू हो गईं हैं। भले ही मार्केट में चाइना के सामान की भी अधिकता हो लेकिन हमारे परंपरागत दीयों का अलग ही महत्त्व है। ऐसे में क्या आपने बिहार के मिथिला क्षेत्र डायन दीयों के बारे में सुना है?
दिवाली पर यहाँ बनते हैं डायन दिए
बिहार के मिथिला क्षेत्र में डायन दीया आज भी उतना ही प्रसिद्ध है जितना ये पहले हुआ करता था। बाज़ारों में इसकी काफी ज़्यादा मांग रहती है। इसी वजह से कुम्हारों की अच्छी कमाई होती है। जिससे उनके परिवार का खर्चा भी निकल आता है। क्या आपने पहले कभी डायन दीयों के बारे में सुना है? जिनका अपना पौराणिक महत्त्व है।
दिवाली का त्यौहार कई सारी धार्मिक कथाओं और मान्यताओं को लेकर आता है। जहाँ लोग अपने घर को दीयों से या कई तरह की झालरों से सजाते हैं। ऐसे में बिहार के मिथिला क्षेत्र में डायन दीया जलाने की भी परंपरा है। इसका सम्बन्ध पौराणिक कथाओं से है। इसे दिवाली की रात जलाया जाता है। आइये जानते है ऐसा लोग क्यों करते हैं और इसे डायन दिया आखिर कहते क्यों हैं। दरअसल इस डायन दिए के पीछे एक पौराणिक कथा भी है जिसमे कहा गया है कि इसे घर में जलने से घर में बुरी शक्तियां प्रवेश नहीं करतीं हैं। जिसका मतलब ये हुआ कि अगर घर के द्वार पर डायन दिया जलाते हैं तो घर में किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है। वहां के लोगों का मानना है कि इन डायन दिए की जगह भले ही कुछ लोगों के घर में इलेक्ट्रिक लाइट देखने को मिल जाती है लेकिन कोई भी चीज़ इन डायन दीयों की जगह नहीं ले सकता है।