Prayagraj Famous Temple: प्रयागराज से 60 किलोमीटर दूर है ये खूबसूरत मंदिर, इस समुदाय के लिए है खास
Prayagraj Famous Temple: हम आपको जैन धर्म के प्रसिद्ध छठवें तीर्थंकर के एक भव्य मंदिर के बारे में यहां बताएंगे। जो की उत्तर प्रदेश में है।
Prayagraj Famous Temple: उत्तर प्रदेश राज्य का इतिहास धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही कहानियों से भरा पड़ा है। प्रयागराज का नाम लेते ही हमें संगम और महाकुंभ की छवियां स्मरण में आती है। प्रयागराज में कई मंदिर है जो प्राचीन होने के साथ धार्मिक कथाओं से भी धनी है। यहां हम आपको प्रयागराज के ऐसे ही एक अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रह है। हम आपको जैन धर्म के प्रसिद्ध छठवें तीर्थंकर के एक भव्य मंदिर के बारे में यहां बताएंगे। यह मंदिर प्रयागराज से सिर्फ और सिर्फ 65 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पर आप कभी भी जा सकते है। यह जगह सप्ताह के अंत में छुट्टियां मनाने के लिए भी प्रसिद्ध है।
कौशांबी में है ये भव्य मंदिर
प्रयागराज से लगभग 65 किलोमीटर दूर कौशांबी में एक जैन मंदिर है। जो अभी हाल फिलहाल में बनकर तैयार हुआ है, यह नवनिर्मित मंदिर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कौशांबी वह स्थान है जहां जैन तीर्थंकर पद्मप्रभु के चार कल्याणक हुए थे। बुद्ध के जीवन में भी इस स्थान यानी कौशांबी का अत्यंत महत्वपूर्ण ऐतिहासिक योगदान रहा है। इस शहर का विकास लगभग 1000 वर्ष पूर्व हुआ था। कौशांबी में यह भी माना जाता है कि प्राचीन तीर्थंकर ऋषभदेव को भी वत्स देश में ही ज्ञान प्राप्त हुआ था। जैन परंपरा में, यह माना जाता है कि छठे जैन तीर्थंकर पद्मप्रभा का जन्म कौशांबी में इक्ष्वाकु वंश में राजा श्रीधर और रानी सुसीमादेवी के यहाँ हुआ था। यहां तक कि मगध सम्राट अशोक ने भी इसे अपनी शाही देखभाल के लिए उपराजधानी बनाया था।
नाम: श्री पद्म प्रभु जैन स्वतंबर जैन तीर्थ
लोकेशन: चाक गुलाम, आलमपुर, ऊपरहार, कौशांबी
मंदिर की वास्तुकला
कौशांबी में यह जैन धर्म के छठवें तीर्थंकर को समर्पित मंदिर बहुत ही भव्य बनाई गई है। यह मंदिर पूरी तरह से संगमरमर से बना है जिसपर संपूर्ण जगह संगमरमर के बहुत ही जटिल डिजाइनों को खूबसूरती के साथ उकेरा गया है। जो अत्यंत सुंदर है, यह क्षेत्र दर्शनीय होने के साथ ही हरा-भरा भी है। यहां मंदिर के चारो तरफ खूबसूरत बगीचा भी तैयार किया गया है। मंदिर के अंदर स्थित पद्म प्रभु की प्रतिमा गुलाबी संगमरमर से बनाई गई हैं। जो देखने में अद्वितीय लगती है। मंदिर के हर एक खंभे संगमरम द्वारा बने अलंकृत कलाकारी से सुसज्जित है। जो मंदिर का आकर्षण बढ़ाते है।
कौन है श्री पद्म प्रभु?
श्री पद्मप्रभु जैन, जिन्हें पद्मप्रभा के नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान युग के छठवें जैन तीर्थंकर हैं। जैन मान्यताओं के अनुसार, वह एक मुक्त आत्मा है जिसने अपने सभी कर्मों को नष्ट कर दिया है। उनके माता-पिता श्रीधर (धरना) और सुसीमा हैं, और उनका जन्म कौशांबी में हुआ था और उनकी मृत्यु सम्मेद शिखर में हुई थी। उनका प्रतीक कमल है, और इसके पूर्ववर्ती सुमतिनाथ और उत्तराधिकारी सुपार्श्वनाथ हैं।