India Famous Temple: भारत के कुछ ऐसे मंदिर जिनके द्वार सालभर में खुलते है, सिर्फ एक बार
India Famous Temple: यहां हम आपको ऐसे रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां भक्तों को माथा टेकने के लिए पूरे साल इंतजार करना पड़ता है।
India Famous Temple: भारत में कई ऐसे देवी देवताओं के मंदिर हैं, जहां वर्षभर पूजा नहीं की जाती है। यहां लाखों भक्त अपनी इच्छा से दर्शन करने के लिए वर्ष भर इंतजार करना पड़ता है। आज हम आपको ऐसे रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां भक्तों को माथा टेकने के लिए पूरे साल इंतजार करना पड़ता है यानी ऐसे मंदिर जो साल भर में सिर्फ एक बार खुलते है। यह चाहे एक दिन खुलते हो या 10 दिन के लिए सिर्फ एक ही बार खोला जाता है। चलिए जानते है भारत के ऐसे कुछ विचित्र मंदिर के बारे में..
वर्ष में एक बार खुलने वाले मंदिरों
एकलिंगेश्वर महादेव(Eklingeshwar Mahadev)
लोकेशन: जयपुर राजस्थान (Jaipur Rajasthan)
महादेव का यह रहस्यमयी मंदिर देश के पूर्व में गुलाबी शहर राजस्थान के जयपुर के मोती डूंगरी में स्थित है। इस मंदिर को शिव के एक रूप एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही इस जगह को शंकर गढ़ी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मोती डूंगरी में स्थित एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर और चांदनी चौक में राज-राजेश्वर मंदिर यहां जयपुर में केवल दो मंदिर हैं, जो साल में केवल एक बार खुलते हैं।
नागचंद्रेश्वर महादेव (Nagchandreshwar Mandir)
लोकेशन: श्री कृष्णा कॉलोनी उज्जैन, मध्य प्रदेश (Ujjain Madhya Pradesh)
उज्जैन में महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। परमार राजवंश के राजा भोज द्वारा निर्मित 11वीं शताब्दी का यह मंदिर कई मायनों में अद्वितीय है, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि यह साल में केवल एक बार नाग पंचमी पर भक्तों के लिए खुलता है। यह दुनिया का एकमात्र स्थान है जहां भगवान विष्णु के बजाय शिव दस मुंह वाले सांप पर बैठे नजर आते हैं।
सोमेश्वर महादेव(Someshwar Mahadev)
लोकेशन: रायसेन, मध्य प्रदेश (Raisen Madhya Pradesh)
मंदिर को सोमेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।इस मंदिर की विशेषता है कि यह सिर्फ साल में एक बार महाशिवरात्रि के दिन ही श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है।यह मंदिर रायसेन की पहाड़ी पर स्थित है और बहुत ऐतिहासिक माना जाता है। कहते हैं कि जैसे ही सुबह सूरज की पहली सुनहरी किरण इस पर पड़ती है, मंदिर सोने जैसा सुनहरा हो जाता है। रायसेन किले पर स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर और वहां स्थित मस्जिद पर विवाद के चलते पुरात्तव विभाग ने यहां पर ताले लगा दिए। इसलिए सन् 1974 तक इस मंदिर में कोई भी प्रवेश नहीं कर पाता था।
लिंगरेश्वरी देवी (Lingareshwari Devi)
लोकेशन: झटीबन, फरसगांव, आलोर, छत्तीसगढ़ (Aalor Chhattisgarh)
जनुशुति के अनुसार मंदिर सातवीं शताब्दी का बताया जा रहा है। इस मंदिर के प्रांगण में प्राचीन गुफाएँ हैं। प्राचीन मान्यता के अनुसार, वर्ष में एक बार (ज्यादातर मानसून) पितृमास अमावस्या के पहले बुधवार को भक्तों के दर्शन के लिए कपाट खोले जाते हैं। सूर्योदय के साथ ही सूर्य की रोशनी शुरू होने के कारण भक्तों द्वारा सूर्यास्त तक मां की प्रतिमा प्रकट कर पूजा-अर्चना की जाती है।
तिरुवैनालिकुलम मंदिर(Thiruvannaicalikulam Temple)
लोकेशन: एर्नाकुलम मंदिर(Ernakulam Tamilnadu)
यह मंदिर पेरियार के तट पर श्रीमूल नगरम नामक गांव के पास स्थित है, मंदिर के अंदर ही दो मंदिर हैं। एक भगवान शिव को समर्पित है जिसका मुख पूर्व की ओर है और दूसरा देवी पार्वती को समर्पित है जिसका मुख पश्चिम की ओर है। जहां भगवान शिव का मंदिर पूरे साल खुला रहता है, वहीं पार्वती का मंदिर साल में केवल 12 दिनों के लिए खुला रहता है । शादी करने या बच्चे पैदा करने के इच्छुक लोग दो सप्ताह की उस अवधि में प्रार्थना के लिए देवी पार्वती के मंदिर में जाते हैं। वर्ष के उस समय के दौरान केरल के सभी हिस्सों से कई भक्त मंदिर में आते हैं।
हसनांबा मंदिर (Hasnamba Mandir)
लोकेशन: हसन कर्नाटक (Hasan Karnataka)
हसनम्बा मंदिर शक्ति की देवी या अम्बा का , जो कर्नाटक के हसन में स्थित है। 12वीं शताब्दी में निर्मित, विशेषज्ञों का मानना है कि यह मंदिर वास्तुकला का प्रतीक है। इस मंदिर के दरवाजे साल में केवल एक बार दीपावली के समय एक सप्ताह के लिए खुलते हैं। वर्ष में शेष समय के लिए, देवी को अगले वर्ष तक प्रसाद के रूप में दीपक, फूल, पानी और दो बैग चावल के साथ छोड़ दिया जाता है। यह इसलिए भी बहुत दिलचस्प है क्योंकि इसमें वीणा बजाते हुए 10 के बजाय नौ सिर वाले रावण की एक छवि है। हालाँकि, असामान्य छवि का कारण अभी भी अज्ञात है।
बाल गोपेश्वर मंदिर(Bal Gopeshwar Mandir)
लोकेशन: काठमांडू, नेपाल (Kathmandu; Nepal)
काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के मुख्य स्थल रानी पोखरी में स्थित बाल गोपाल की मूर्ति। यह मूर्ति मंदिर के गर्भगृह के पूर्वी कोने में दरबार स्कूल के सामने रानी पोखरी के मध्य में स्थित है। इन बालगोपालों को भरतेश्वर और यमलेश्वर भी कहा जाता है। प्राचीन अभिलेखों के अनुसार रानी पोखरी क्षेत्र को भगवान का निवास स्थान माना जाता है। रानी पोखरी को विष्णुतीर्थ भी कहा जाता है। यह मंदिर भाई तिहार उत्सव के अवसर पर केवल एक दिन के लिए जनता के लिए खुला रहता है।