Unique Village: यहाँ दो मंज़िला मकान की इजाज़त नहीं
Unique Village: ऐसे में बड़ी- बड़ी इमारतें होना ये तो बहुत आम बात ही लगती है। पर हमारे देश के बीच में ही एक ऐसा भी गाँव हैं जहां एक मंज़िला से आगे घर नहीं बनाया जा सकता हैं।
Unique Village: भारत में आज भी इतनी पहेलियाँ मौजूद हैं कि आप आज भी इनका जवाब नहीं दे पाएँगें। भारत विकासशील तो है ही पर अब विकसित देशों की सूची में आने की राह पर भी है। ऐसे में बड़ी- बड़ी इमारतें होना ये तो बहुत आम बात ही लगती है। पर हमारे देश के बीच में ही एक ऐसा भी गाँव हैं जहां एक मंज़िला से आगे घर नहीं बनाया जा सकता हैं।हर गाँव की तरह इस गाँव की भी अपनी संस्कृति है। यह गाँव हमारे केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के पास स्थित है। लोगों का मानना है कि इस गांव में कोई दो मंजिला मकान नहीं बना सकता है। कहते हैं यदि किसी ने दो मंजिला घर का निर्माण कराया, तो उसके घर को नुकसान होगा। इसके पीछे की वजह गांव में बना माता जयंती देवी का मंदिर बताया जाता है।
यह बात बाबर के जमाने की है। जब यहाँ पर राजपूत हथनौर का राजा था। इसके 22 भाई थे। इनमें से एक भाई की हिमाचल के कांगड़ा के राजा की बेटी से शादी हुई थी। कांगड़ा की राजकुमारी माता जयंती देवी को बहुत मानती थी। वह हर दिन माता की पूजा और दर्शन के बाद ही जलपान करती थीं। वह अपने विवाह की खबर से परेशान रहने लगी थी। वे उस गाँव को छोड़ कर नहीं जाना चाहती थी। वे अक्सर माँ के मंदिर में आकर यह विनती करती थी कि माँ के बिना इतनी दूर कैसे रहेंगीं।
माता ने राजकुमारी के सपने में आकर कहा कि बेटी तुम्हारी डोली तभी उठेगी जब मेरी डोली तुम्हारे साथ उठेगी। जैसे ही शादी हुई उसके बाद डोली नहीं उठ पाने की वजह से सभी लोग चिंतित हो गए। इसके बाद राजकुमारी ने अपने पिता को सपने में माता द्वारा कही बातें बताईं। इसके बाद माता जयंती की डोली भी सजाई गई। हथनौर के राजा के साथ राजकुमारी और माता की डोली विदा हुई। राजा ने पुजारी को भी साथ भेज दिया।
कुछ सालों तक माता जयंती की पूजा उसी वंश के पुजारी करते आ रहे थे। पर जब कुछ सालों के बाद राजा और रानी की मौत हो गई, तो उसके बाद अगली पीढ़ियों ने माता की पूजा बंद कर दी। उस दौरान मनी माजरा के जंगलों में एक डाकू रहता था, जो माता जयंती देवी का बहुत बड़ा भक्त था। कहा जाता है कि माता ने डाकू को सपने में आकर मंदिर स्थापना की बात कही, जिसके बाद डाकू ने माता के लिए मंदिर बनवाया। यह मंदिर जयंती नदी के किनारे बनाया गया था।
इस गाँव में दूसरी मंज़िल कोई इसलिए नहीं बना पाता क्योंकि मंदिर के पुजारी के अनुसार माता का मानना है कि देवी से ऊपर कोई नहीं जा सकता है। इसके बाद से ही माता के प्रकोप से बचने के लिए आज भी घरों के ऊपर दूसरी मंजिल नहीं बनाई जाती है। अगर कोई घर के ऊपर दूसरी मंजिल बनाने की कोशिश करता है, उसके साथ कोई अनहोनी हो जाती है। गांव के लोगों ने कई बात माता को मनाने की कोशिश की पर हर बार विफल रहे। कई बार गांव वालों ने इसके लिए हां और ना की पर्चियां बनायी पर कभी भी इस पर्ची में हाँ नही निकला। जिसके फलस्वरूप आज भी इस गाँव का कोई भी घर दो मंज़िला नहीं है। एक ऐसा ही गाँव राजस्थान राज्य में भी है। पर उसकी कहानी थोड़ी अलग है। उसके बारे कभी और चर्चा की जाएगी।