Karni Mata Temple: हजारों चूहे रहते हैं यहां, उनकी खाई चीज है प्रसाद

Karni Mata Temple: यह मन्दिर चूहों के लिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां हजारों की तादाद में चूहे रहते हैं जिनका दर्शन मंगलकारी माना जाता है।

Report :  Neel Mani Lal
Update: 2024-06-18 06:49 GMT

Karni Mata Temple

Karni Mata Temple: भारत में अनेकों ऐसे मन्दिर हैं जो अपने आप में अनोखे हैं और ऐसी विशेषता रखते हैं जो दुनिया में कहीं नहीं देखी जाती। ऐसा ही एक मंदिर है बीकानेर, राजस्थान स्थितहे, करणी माता का मन्दिर।बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक कस्बे में स्थित इस मन्दिर में देवी करणी माता की मूर्ति स्थापित है। यह मन्दिर चूहों के लिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां हजारों की तादाद में चूहे रहते हैं जिनका दर्शन मंगलकारी माना जाता है। अनुमान है कि इस मन्दिर में लगभग 25000 चूहे रहते हैं।

क्या है मान्यता

करणी मां की कथा एक सामान्य ग्रामीण कन्या की कथा है, लेकिन उनके संबंध में अनेक चमत्कारी घटनाएं भी जुड़ी बताई जाती हैं। लोगों का मानना है कि करणी माता लोगों की रक्षा करने वाली देवी दुर्गा का अवतार हैं। करणी माता चारण जाति की योद्धा ऋषि थीं। एक तपस्वी का जीवन जीते हुए, यहां रहने वाले लोगों के बीच वह पूजी जाती थीं। जोधपुर और बीकानेर के महाराजाओं से अनुरोध प्राप्त करने के बाद, उन्होंने मेहरानगढ़ और बीकानेर किलों की आधारशिला भी रखी। हालांकि उन्हें समर्पित कई मंदिर हैं, लेकिन बीकानेर से 30 किलोमीटर की दूरी पर देशनोक में स्थित इस मंदिर की सबसे ज्‍यादा मान्यता है।


मन्दिर निर्माण

इस मन्दिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने राजपूत शैली में 15 से 20 वीं सदी में करवाया था। मन्दिर के सामने महाराजा गंगा सिंह ने चांदी के दरवाजे भी बनाए थे। देवी की छवि अंदरूनी गर्भगृह में स्थित है।


चूहे देते हैं प्रसाद

- करणी माता मंदिर 25,000 से ज्‍यादा चूहों का घर है, जिन्‍हें अक्‍सर ही यहां घूमते देखा जाता है।

- यहां पर भक्‍तों को चूहों का जूठा प्रसाद ही दिया जाता है। दुनियाभर से लोग इस अद्भुत नजारे को देखने आते हैं।

- चूहों के लिए लोग दूध, मिठाई और अन्य प्रसाद भी लाते हैं।

- सभी चूहों में से सफेद चूहों को खासतौर से पवित्र माना जाता है। उन्हें करणी माता और उनके पुत्रों का अवतार माना जाता है।


- गलती से भी इन चूहों को चोट पहुंचाना या मारना इस मंदिर में एक गंभीर पाप है। ऐसा करने वाले लोगों को तपस्या के तौर पर मरे हुए चूहे को सोने से बने चूहे से बदलना होता है। इसलिए यहां लोग पैर उठाकर चलने के बजाय घसीटकर चलते हैं, ताकि कोई चूहा पैरों के नीचे ना आ जाए।

- सुबह पांच मंदिर में होने वाली मंगला आरती और सांध्य आरती के समय चूहे अपने बिलों से निकलकर बाहर आ जाते हैं।

- कहा जाता है कि अगर चूहा आपके पैर के ऊपर से गुजर जाए तो उसका मतलब है कि देवी की कृपा हो गई है।  

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