Navratri 2023: प्रयागराज में स्थित इस माँ दुर्गा के मंदिर को नष्ट किया था मुग़लों ने, लेकिन भक्तों की आस्था आज भी बरक़रार

Navratri 2023: हम आपको माँ के एक ऐसे मंदिर की महिमा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में सुनने के बाद आपके मन में माँ के लिए श्रद्धा और भी ज़्यादा बढ़ जाएगी।

Update:2023-10-08 06:00 IST

Navratri 2023 (Image Credit-Social Media)

Navratri 2023: नवरात्रि का पावन त्यौहार आज से कुछ ही दिनों बाद है ऐसे में हम आपको माँ के एक ऐसे मंदिर की महिमा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में सुनने के बाद आपके मन में माँ के लिए श्रद्धा और भी ज़्यादा बढ़ जाएगी।कहा जाता है कि मुगल काल और ब्रिटिश हुकूमत में मंदिर को काफी हद तक क्षति पहुंचने की कोशिश की गयी लेकिन कोई इस मंदिर को मिटा नहीं पाया।

प्रयागराज का प्रतिष्ठानपुरी मां दुर्गा मंदिर

उत्तर प्रदेश के शहर प्रयागराज में गंगापार स्थित प्रतिष्ठानपुरी (झूंसी) के न्यायनगर में मां दुर्गा का भव्य मंदिर है। यहाँ के मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहाँ त्रेता, द्वापर युग व उसके बाद संत तपस्या किया करते थे। वहीँ इस समय भी ये स्थान जड़ी-बूटियों व फलदार के वृक्षों से आच्छादित है।

Navratri 2023 (Image Credit-Social Media)

 लेकिन आज से सालों पहले मुगल व ब्रिटिश काल में इस मंदिर के अस्तित्व को मिटने का पुरज़ोर प्रयास किया गया था। लेकिन यहाँ इसके बाद भी संत आते रहते थे। जिसके बाद संतों की प्रेरणा से इस मंदिर पर समाजसेवी ने भव्य मंदिर बनाया। साथ ही आज भी इस मंदिर से लोगों की काफी आस्था जुडी है। लोग यहाँ दूर दूर से दर्शन हेतू आते हैं।

Navratri 2023 (Image Credit-Social Media)

 कहते हैं कि भले ही इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया था लेकिन उस समय भी लोगों ने अपनी आस्था नहीं छोड़ी और आखिरकार माँ दुर्गा का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया। मुगल काल और ब्रिटिश हुकूमत के समय इस मंदिर को ख़त्म कर दिया गया था लेकिन इसके बाद भी साधु और संत यहां आकर पूजन-अर्चन किया करते थे। मंदिर में माँ दुर्गा की भव्य प्रतिमा है जिसका प्रतिदिन श्रृंगार किया जाता है। वहीँ नवरात्रि में स्वर्ण आभूषणों से भी माँ का श्रृंगार होता है। बाकि दिनों में माँ का शास्त्र निर्देशों के अनुरूप श्रृंगार किया जाता है। यहाँ की मान्यता है कि यहाँ जो भी भक्त अपनी कामना लेकर माँ से सच्चे दिल से प्रार्थना करता है उसकी माँ ज़रूर सुनती हैं और मनवांछित फल भी देतीं हैं।

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