Karni Mata Mandir History: जानिए क्या है इस 600 साल पुराने इस देवी मंदिर का इतिहास, अनोखे अंदाज़ में होती है यहाँ पूजा

Bikaner Karni Mata Mandir History: कई ऐसे देवी मंदिर हैं जिनकी काफी मान्यता है और इस ख़ास अवसर पर यहाँ रोज़ के मुकाबले ज़्यादा श्रद्धालू आते हैं।

Update: 2023-10-20 01:30 GMT

Navratri 2023 (Image Credit-Social Media)

Bikaner Famous Karni Mata Mandir History: नवरात्रि का पावन त्योहार है और ऐसे में भक्त माँ दुर्गा के कई रूपों की पूजा करते नज़र आ रहे हैं। वहीँ देवी माँ के सभी मंदिरो में लोग उनकी पूजा अर्चना करने हेतू भी जा रहे हैं। ऐसे में स्थित कई ऐसे देवी मंदिर हैं जिनकी काफी मान्यता है और इस ख़ास अवसर पर यहाँ रोज़ के मुकाबले ज़्यादा श्रद्धालू आते हैं। आइये जानते हैं क्या ख़ास है बीकानेर के करणी माता मंदिर में और क्या है इसका इतिहास।

करणी माता मंदिर

चूहे के मंदिर के रूप में प्रसिद्ध, करणी माता मंदिर दूर-दूर से भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है। ये बेहद प्रतिष्ठित मंदिर देवी करणी माता को समर्पित है, जिन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। मंदिर में 25,000 से अधिक चूहे हैं जिन्हें काबा के नाम से जाना जाता है। आपके पैरों के बीच से सफेद काबा का गुजरना बेहद शुभ माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वे करणी माता के पुत्र हैं।

Navratri 2023 (Image Credit-Social Media)

चरण वंश के लगभग 600 परिवार करणी माता के वंशज होने का दावा करते हैं और मानते हैं कि वे चूहों के रूप में पुनर्जन्म लेंगे। करणी माता बीकानेर के राजपरिवार की कुल देवी भी हैं। वो 14वीं शताब्दी में रहीं और उन्होंने कई चमत्कार किये।

मंदिर से जुड़ी किंदवंतियाँ

मंदिर से जुड़ी लोकप्रिय किंवदंतियों में से एक ये है कि जब करणी माता के सौतेले बेटे लक्ष्मण पानी पीने के प्रयास में कपिल सरोवर में डूब गए, तो करणी माता ने यमराज (मृत्यु के देवता) से इतनी प्रार्थना की कि वो न केवल उन्हें वापस लाए बल्कि लक्ष्मण को जीवित भी कर दिया लेकिन उनके सभी पुत्रों को चूहों के रूप में पुनर्जन्म दिया गया। दिलचस्प बात ये है कि ये चूहे किसी भी तरह की बदबू नहीं फैलाते हैं जैसा कि आमतौर पर चूहे करते हैं और ये कभी भी किसी बीमारी के फैलने का कारण भी नहीं बने हैं। यहाँ चूहों द्वारा कुतरा हुआ खाना खाना वास्तव में शुभ माना जाता है।

Navratri 2023 (Image Credit-Social Media)

करणी माता मंदिर का इतिहास

मंदिर के सामने एक सुंदर संगमरमर का मुखौटा है, जिसमें ठोस चांदी के दरवाजे हैं। इमारत को इसके वर्तमान स्वरूप में 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह द्वारा पूरा किया गया था। मंदिर परिसर से बाहर निकलने से पहले मुख्य द्वार पर शेर के कान में अपनी इच्छा कहना न भूलें। पर्यटक देशनोक से बीकानेर लौटते समय रास्ते में स्थित करणी माता पैनोरमा का भी दौरा कर सकते हैं। संग्रहालय सुंदर मूर्तियों, चित्रों और झांकियों के माध्यम से करणी माता की कहानियों को दर्शाता है।

Navratri 2023 (Image Credit-Social Media)

कैसे पहुंचे यहाँ

मंदिर तक पहुंचना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है क्योंकि ये शहर हर तरह के परिवहन से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बसें, रेलगाड़ियाँ और टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध हैं और मंदिर की ओर जाने वाली सड़क काफी आरामदायक और सुलभ है।

Navratri 2023 (Image Credit-Social Media)

यहाँ पहुंचकर आप पवित्र चूहों को प्रसाद चढ़ाएं और उनका आशीर्वाद लें। दैनिक पूजा में भाग लें। वर्ष में दो बार आयोजित होने वाले करणी माता के प्रसिद्ध और विशाल मेले में भाग लें। सुबह-सुबह करणी माता को भोग लगाएं और प्रार्थना करें। दर्शनीय स्थलों की यात्रा करें। मंदिर का दौरा करें और उसके दर्शन करें।

खुलने/बंद होने का समय और दिन

Navratri 2023 (Image Credit-Social Media)


 मंदिर सभी जनता के लिए सुबह 04:00 बजे खुलता है। उस समय पूजा और आरती भी की जाती है जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं। मंदिर रात को 10:00 बजे बंद हो जाता है।

प्रवेश शुल्क

मंदिर में प्रवेश के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है।

मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय मेले और त्योहार के दौरान होता है। इसके अलावा, कोई भी जब चाहे तब मंदिर जा सकता है और देवी को भोग और प्रार्थना कर सकता है और उनका आशीर्वाद ले सकता है।

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