Shrikhand Mahadev Mandir: अमरनाथ से भी कठिन है इस मंदिर की यात्रा, जीने इस मंदिर के इतिहास से जुडी कहानी

Shrikhand Mahadev Mandir: श्रीखंड महादेव हिमाचल प्रदेश, भारत में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह स्थान हिमालय की पहाड़ियों में स्थित है और एक प्रमुख पिलगांव रूप में विख्यात है, जहां हिन्दू और सिख श्रद्धालुओं के लिए आयोजित की जाने वाली प्रार्थना यात्रा होती है। यह स्थान श्रीकृष्ण के भगवान विष्णु के एक रूप माना जाता है।

Update:2023-07-12 14:41 IST
Shrikhand Mahadev Mandir (Photo: Social Media)

Shrikhand Mahadev Mandir: श्रीखंड महादेव हिमाचल प्रदेश, भारत में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह स्थान हिमालय की पहाड़ियों में स्थित है और एक प्रमुख पिलगांव रूप में विख्यात है, जहां हिन्दू और सिख श्रद्धालुओं के लिए आयोजित की जाने वाली प्रार्थना यात्रा होती है। यह स्थान श्रीकृष्ण के भगवान विष्णु के एक रूप माना जाता है।

श्रीखंड महादेव की पहाड़ी रूपरेखा में स्थित शिवलिंग को भगवान शिव की अभिन्न रूप माना जाता है। यह शिवलिंग मूंगा गढ़ कहलाता है और इसे पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को तीर्थयात्रा का अनुभव करना पड़ता है। श्रीखंड महादेव त्रेकिंग मार्ग कठिन होता है और शारीरिक तौर पर कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, जो इसे एक चुनौतीपूर्ण यात्रा बनाता है।

श्रीखंड महादेव की पहाड़ी में स्थित मान्यता है कि यहां पर्वतारोहण करने वाले श्रद्धालु अपने पापों से मुक्त होते हैं और भगवान की कृपा को प्राप्त करते हैं। यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को मेहनत, संयम और आध्यात्मिक उद्यम की आवश्यकता होती है।

यात्रा के दौरान, श्रद्धालुओं को श्रीखंड महादेव मंदिर के पास के प्राकार में स्थित एक प्राचीन मंदिर परिसर पर भ्रमण करना पड़ता है। यहां पर्यटक और श्रद्धालु धार्मिक अद्यात्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।

श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान श्रद्धालु धार्मिक महत्व के साथ आद्यात्मिक अनुभव भी प्राप्त करते हैं। इस यात्रा का आयोजन वार्षिक रूप से किया जाता है और हिमाचल प्रदेश की धार्मिक परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

श्रीखंड महादेव का इतिहास

श्रीखंड महादेव का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसका महत्वपूर्ण संदर्भ हिन्दू पुराणों में मिलता है। इस पर्वत के शिखर पर स्थित शिवलिंग को श्रीखंड महादेव के रूप में जाना जाता है। इसके इतिहास में कई प्रमुख कथाएं और महत्वपूर्ण घटनाएं हैं। यह कथा भागवत पुराण में "भागवत कथा" के रूप में ज्ञात होती है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और भास्मासुर की कथा सुनाई गई है।

कथा के अनुसार, भास्मासुर एक राक्षस था जिसे भगवान शिव का वरदान मिला था। इस वरदान के अनुसार, जिसके माथे पर भास्मासुर का हाथ रखता, वही व्यक्ति जल बन जाता। भास्मासुर इस शक्ति का उपयोग करके अन्य लोगों को जला डालने का इरादा रखता था।

एक दिन, भास्मासुर ने अपनी शक्ति का परीक्षण करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के पास आया। उसने श्रीकृष्ण से कहा, "यदि मैं अपना हाथ आपके माथे पर रखूं और आप जल नहीं जाते हैं, तो मुझे आपकी शक्ति मिल जाएगी।" भगवान श्रीकृष्ण ने उसके अनुरोध को मान लिया, लेकिन उन्होंने एक योजना बनाई।
श्रीकृष्ण ने अपने माथे पर तिलक लगाने का अनुरोध किया और भास्मासुर ने सहमाते हुए उनके माथे पर हाथ रख दिया। श्रीकृष्ण ने तुरंत अपनी आँखें बंद कर लीं और उन्होंने भास्मासुर को अपने माथे से हटाने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी। इससे भास्मासुर की शक्ति उसके ही ऊपर प्रभावित हुई और वह जल बन गया।

इस रूप में, भगवान श्रीकृष्ण ने भास्मासुर का समाप्ति किया और उसकी शक्ति को नष्ट कर दिया। श्रीक्षेत्र महादेव मंदिर इसी घटना के स्थान के रूप में मान्यता प्राप्त करता है। यहां पर्याप्त मात्रा में भस्म उपलब्ध होने के कारण यहां श्रीकृष्ण द्वारा नष्ट किये गए भास्मासुर का नाम "श्रीखंड महादेव" पड़ा है। इस प्रकार, भास्मासुर के साथ भगवान श्रीकृष्ण के इस लीला के कारण श्रीखंड महादेव का महत्वपूर्ण स्थान है और यहां आने वाले भक्तों को श्रेष्ठ आशीर्वाद मिलता है।

श्रीखंड महादेव यात्रा

श्रीखंड महादेव यात्रा प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में शुव भक्तो द्वारा की जाती है। यह यात्रा हिमाचल प्रदेश के बेस गांव से प्रारम्भ होती है। सभी श्रद्धालुओ और शिव भक्तो को इस मंदिर में पहुंचने के लिए कड़ी म्हणत के साथ 32 किलोमीटर की पैदल यार्ता करनी पढ़ती है। इस यार्ता को सभी अमरनाथ की यात्रा से भी कठिन मानते है। इस कठिन यारा को पूरा करने के लिए आपकी उम्र 15 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।

Tags:    

Similar News