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Places of Worship Act: वर्शिप एक्ट के खिलाफ दायर याचिका पर हुई सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 3 माह में जवाब मांगा

Places of Worship Act: सुप्रीम कोर्ट में आज यानी सोमवार 11 जुलाई को एक और अहम मामले पर सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई की।

Krishna Chaudhary
Published on: 11 July 2023 3:29 PM IST (Updated on: 11 July 2023 3:32 PM IST)
Places of Worship Act: वर्शिप एक्ट के खिलाफ दायर याचिका पर हुई सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 3 माह में जवाब मांगा
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वर्शिप एक्ट के खिलाफ दायर याचिका पर आज हुई सुनवाई: Photo- Social Media

Places of Worship Act: सुप्रीम कोर्ट में आज यानी सोमवार 11 जुलाई को एक और अहम मामले पर सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई की। याचिका में पूजा स्थल अधिनियम की वैधता को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा मामले में यथास्थिति को बदलने की कोशिश की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से तीन माह में जवाब मांगा है।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामला विचाराधीन है, इसलिए सरकार को इस पर जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और वक्त चाहिए। कोर्ट ने इस पर मेहता से साफ कहा कि वे इस मामले में 31 अक्टूबर तक अपना जवाब दाखिल करें। दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय वर्शिप एक्ट के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कई बार सरकार से जवाब तलब कर चुकी है लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोर्ट में कोई हलफनामा दाखिल नहीं हुआ है।

शीर्ष अदालत ने पहली बार इस मामले में 12 मार्च 2021 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसके बाद फरवरी 2022 तक का समय दिया गया था। इसके बाद सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए और वक्त मांगा। अब एकबार फिर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त मोहलत दी है।

क्या है वर्शिप एक्ट ?

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 18 सितंबर 1991 को लागू किया था। इसके मुताबिक, 15 अगस्त 1947 को कोई भी पूजा स्थल जिस स्थिति में जिस समुदाय के पास था उसे भविष्य में बदला नहीं जा सकेगा। हालांकि, एएसआई की देखरेख वाली इमारतों और अयोध्या को इस मामले से अलग रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने भी 2019 में अयोध्या मामले पर फैसला सुनाते हुए एक स्वर में इस कानून का जिक्र किया था। हालांकि, वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद और मथुरा स्थिति श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर इस कानून के खिलाफ हिंदू पक्ष की ओर से आवाजें उठती रही हैं।

अदालत में कितनी याचिकाएं हैं दायर

सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 से जुड़ी 6 याचिकाओं पर सुनवाई चल रही हैं। इनमें पूर्व राज्यसभा एमपी सुब्रमण्यम स्वामी, बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय के अलावा विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ की याचिकाएं शामिल हैं। इनकी ओर से दायर याचिकाओं में कहा गया कि यह कानून लोगों की समानता, जीने के अधिकार और व्यक्ति की निजी आजादी के आधार पर पूजा के अधिकार का हनन करता है।

वहीं, इन याचिकाओं के विरूद्ध सुन्नी मुस्लिम उलेमा संगठन भी शीर्ष अदालत पहुंचा है। संगठन का कहना है कि अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने के दौरान कोर्ट बाकी धार्मिक स्थलों के बारे में जो वर्जन दे चुका है। उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए। इससे अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना पनपेगी।

बता दें कि वर्शिप एक्ट से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की पीठ कर रही है। जिसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।



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Krishna Chaudhary

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