Varanasi Famous Shiv Temple: काशी में भी हैं घृष्णेश्वर महादेव मंदिर, यहां देखें डिटेल्स
Varanasi Ghrishneshwar Mahadev Mandir: बनारस के कण कण में महादेव का वास माना जाता है, ऐसे में द्वादश ज्योर्तिलिंग की झलक भी बनारस में दिखना कोई आश्चर्य करने वाली बात नहीं होगी..
Varanasi Famous Ghrishneshwar Dham: बनारस शहर की आबो हवा में ही कुछ विशेष है, जहां जाकर आपको एक अलग ही शांति और सुकून मिलती है। यहां की आध्यात्म शक्ति और पौराणिकता को आप देखने के साथ अनुभव भी कर सकते है। इस काशी नगरी को लेकर ऋषि मुनियों का कहना कि यहां के कण - कण में भगवान शिव का वास है। वैसे तो यहां पर कई खूबसूरत और पौराणिक मंदिर है। लेकिन बाबा विश्वनाथ धाम का मंदिर प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। आपको यहां पर द्वादश ज्योतिर्लिंग के भी प्रारूप मिलते है। इस आर्टिकल में हम आपको काशी मेइबाबा घृष्णेश्वर महादेव के प्रतिरूप के बारे में बताने जा रहे है..
यहां है काशी में बाबा घृष्णेश्वर
वैसे तो बाबा घृष्णेश्वर का प्रमुख ज्योतिर्लिंग धाम धाम महाराष्ट्र राज्य में है। लेकिन आपको बाबा के दर्शन उनकी नगरी वाराणसी में भी हो सकती है। वाराणसी शहर के कमच्छा रोड की तरफ सीएचएस बॉयज स्कूल के पीछे एक बहुत प्राचीन मंदिर है। कहा जाता है कि इस मन्दिर में घृष्णेश्वर महादेव जैसी ही शिवलिंग है। यह मंदिर गली में कई घरों के बीच में स्थित है। मंदिर परिसर भव्य हो या न हो लेकिन गर्भगृह में बाबा को समर्पित ज्योतिर्लिंग बहुत ही विशेष है।
मंदिर का नाम: श्री घृष्णेश्वर महादेव मंदिर (द्वादश ज्योतिर्लिंग काशी खंड)
लोकेशन: सीएचएस बॉयज स्कूल के पीछे, भेलूपुर कमच्छा, वाराणसी
मंदिर में होते है मां कामाख्या के भी दर्शन
बनारस के घृष्णेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में गुवाहाटी शक्तिपीठ मां कामाख्या के भी दर्शन मिलते है। यदि आप इस मंदिर में दर्शन करने जाते है तो मां कामाख्या का दर्शन करना ना भूले। यह मंदिर बहुत ही विशेष है। स्थानीय लोगों के बीच द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध है। आपको अपने काशी भ्रमण के दौरान यहां जरूर जाना चाहिए। यह जगह पौराणिकता और आध्यात्म से परिपूर्ण है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर धाम के बारे में
घृष्णेश्वर को पृथ्वी पर अंतिम या १२वां (बारहवां) ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह तीर्थ स्थल वेरुल नामक गाँव में स्थित है जो दौलताबाद से 11 किमी और औरंगाबाद से 30 किमी दूर है। यह एलोरा की गुफाओं के बहुत करीब स्थित है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के नाम से ज्ञात सबसे पवित्र और प्राचीन मंदिरों में से एक का निवास होने के कारण, घृष्णेश्वर की लोकप्रियता का जाना जा सकता है। औरंगाबाद से घृष्णेश्वर तक बसें और कैब की सुविधा उपलब्ध है।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा
घृष्णेश्वर मंदिर की जड़ें कई पौराणिक कथाओं में हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, कुसुमा नाम की एक भक्त शिवलिंग को पानी के टैंक में डुबोकर भगवान शिव की पूजा करती थी। जब उसके पति की पहली पत्नी ने ईर्ष्या के कारण उसके बेटे को मार दिया, तो उसने अपने अनुष्ठान जारी रखे और एक दिन भगवान शिव उसके सामने प्रकट हुए, चमत्कारिक रूप से उसके बेटे के जीवन को बहाल करके उसकी प्रार्थना का उत्तर दिया। जिसके बाद यहां पर अपना एक अंश छोड़ गए। उसे घृष्णेश्वर महादेव नाम दिया गया।