वॉशिंगटन: अमेरिका में मंगलवार को राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए वोटिंग का दौर शुरू हो गया है। लोगों को बराक ओबामा के बाद अब अपने 45वें राष्ट्रपति का इंतजार है। लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति बनना इतना आसान नहीं होता। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव अन्य देशों से काफी अलग होता है। आईए जानते हैं, कैसा होता है अमेरिकी लोकतंत्र और कैसे होते हैं वहां चुनाव...
अमेरिका विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र देश है
-भारत दुनिया का सबसे बड़ा तो अमेरिका सबसे पुराना लोकतंत्र है।
-यहां करीबन 200 वर्ष पहले 1804 ई. में यहां चुनाव की शुरुआत हुई थी।
-पहले उपराष्ट्रपति का चुनाव भी इलेक्टोरल कॉलेज ही करता था, लेकिन तब अलग-अलग मत नहीं डाले जाते थे।
-उस समय जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलते थे, वह राष्ट्रपति बनता था और दूसरे नंबर पर रहने वाला व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होता था।
-भारत की तरह अमेरिकी संसद में भी दो सदन होते हैं।
-पहला हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव जिसे प्रतिनिधि सभा भी कहा जाता है।
-इसके सदस्यों की संख्या 435 है। दूसरे सदन सीनेट में 100 सदस्य होते हैं।
-अमेरिका के 51वें राज्य कोलंबिया से तीन सदस्य आते हैं। इस तरह संसद में कुल 538 सदस्य होते हैं।
कैसे होते हैं अमेरिकी चुनाव
-भारतीय चुनाव के मुकाबले अमेरिका चुनाव काफी अलग होती है। अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद 2 में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया का उल्लेख है।
-संविधान में ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ के जरिए राष्ट्रपति के चुनाव की व्यवस्था है।
-हालांकि अमेरिकी संविधान निर्माताओं का एक वर्ग इस पक्ष में था कि संसद को राष्ट्रपति चुनने का अधिकार मिले, जबकि दूसरा धड़ा सीधी वोटिंग के जरिए चुनाव के हक में था।
-‘इलेक्टोरल कॉलेज’ को इन दोनों धड़ों की अपेक्षाओं के बीच की एक कड़ी माना गया।
-राष्ट्रपति चुनाव के पहले राजनीतिक दल अपने स्तर पर दल का प्रतिनिधि चुनते हैं।
-प्राथमिक चुनाव में चुने गए पार्टी के प्रतिनिधि दूसरे दौर में राजनीतिक दल का हिस्सा बनते हैं और अपनी पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं।
-यही वजह है कि कुछ राज्यों में जनता ‘प्राइमरी’ दौर में मतदान का इस्तेमाल न करके ‘कॉकस’ के जरिए पार्टी प्रतिनिधि का चुनाव करती है।
-कॉकस में पार्टी के सदस्य जमा होते हैं। स्कूलों, घरों या फिर सार्वजनिक स्थलों पर उम्मीदवार के नाम पर चर्चा की जाती है।
-वहां मौजूद लोग हाथ उठाकर उम्मीदवार का चयन करते हैं। वहीं प्राइमरी में मतपत्र के जरिए मतदान होता है।
-हर राज्य के नियमों के हिसाब से अलग-अलग तरह से प्राइमरी होती है और कॉकस प्रक्रिया भी हर राज्य के कानून के हिसाब से अलग-अलग होती है।
कैसा होता है अमेरिका का मंत्रिमंडल
-अमेरिका में मंत्री बनने वाले व्यक्ति के लिए जरूरी नहीं कि वह संसद का सदस्य हो, ना ही उसके लिए राजनीतिक दल का सदस्य होना जरूरी है।
-राष्ट्रपति को लगता है तो वह विरोधी पार्टी के सदस्य अथवा किसी विषय विशेषज्ञ को भी मंत्री बना सकता है।
-यहां चुनावी साल के नवंबर महीने में पड़ने वाले पहले सोमवार के बाद पड़ने वाले पहले मंगलवार को मतदान होता है।
-हालांकि यहां 60 दिन पहले वोट डालने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस अवधि में अमेरिका से बाहर रहने वाला व्यक्ति भी ऑनलाइन वोट डाल सकता है।
-अमेरिकी लोकतंत्र में द्विदलीय राजनीतिक व्यवस्था है। इसलिए त्रिशंकु संसद का खतरा भी नहीं होता। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट यहां दो प्रमुख पार्टियां हैं।
-अन्य दलों का यहां कोई वजूद नहीं है। राष्ट्रपति बनने की आकांक्षा रखने वाले उम्मीदवार सबसे पहले एक समिति बनाते हैं।