शरद पूर्णिमा की रात अपनी खूबसूरती पर इठलाया ताज, सबका दिल हुआ गार्डन-गार्डन

ताज के संगमरमरी हुस्न पर चंद्रमा की सफ़ेद किरणों ने शरद पूर्णिमा पर शनिवार को पूरे शहर को रोशन कर दिया । चंद्रमा की अठखेलियां करतीं किरणें जब ताज पर पड़ीं, तो ताज अपनी सुन्दरता पर इठलाता हुआ दिखाई दिया । सौंदर्य के प्रतिमान चांद से होड़ करते ताज के इस खूबसूरत नजारे को देख टूरिस्ट्स का दिल गार्डन गार्डन हो गया।

Update: 2016-10-16 06:56 GMT

आगरा: ताज के संगमरमरी हुस्न पर चंद्रमा की सफ़ेद किरणों ने शरद पूर्णिमा पर शनिवार को पूरे शहर को रोशन कर दिया। चंद्रमा की अठखेलियां करतीं किरणें जब ताज पर पड़ीं, तो ताज अपनी सुन्दरता पर इठलाता हुआ दिखाई दिया। ताज के इस खूबसूरत नजारे को देख टूरिस्ट्स का दिल गार्डन गार्डन हो गया।

शरद पूर्णिमा पर चांद धरती के नजदीक होता है। इस दिन जब ताज पर चांद रोशन किरणें ताज पर पड़ती हैं, तो वो चांदी सा दमक उठता है। इस नजारे के दीदार के लिए लोग साल भर इंतजार करते हैं। शनिवार को शरद पूर्णिमा पर ताज रात्रि दर्शन के सभी 400 टिकट शुक्रवार को ही बिक गए थे। शनिवार सुबह से ही टिकट बुक कराने वालों को दिन ढलने का इंतजार था। सूरज ढलने और चंद्रोदय के साथ वह पल आ ही गया, जिसकी राह वो साल भर से देख रहे थे। वीडियो प्लेटफॉर्म से करीब 325 मीटर दूर नजर आते ताज ने उन्हें दीवाना बना लिया।

नहीं देख सके असली चमकी

ताज में ये खूबसूरत नज़ारा देखने के लिए बुकिंग कराने वाले टूरिस्ट असली चमकी नहीं देख सके। दरअसल, चंद्रमा रात करीब 12:30 बजे के बाद ताज के ऊपर आता है, मगर तब तक तक स्मारक से लास्ट बैच को भी बाहर निकाल दिया जाता है।

ताजगंज में छतों से देखी चमकी

ताजगंज में शरद पूर्णिमा के चलते टूरिस्ट्स ने होटलों में बुकिंग कराई थी। जो लोग टिकट नहीं खरीद सके थे, उन्होंने होटलों की छतों से ताज का चांदनी रात में दीदार किया। वहीं, लोकल लोगों ने भी इस मोहक नजारे का लुत्फ उठाया। कुछ लोगों ने मेहताब बाग की तरफ से यमुना किनारा जाकर ताज देखने की कोशिश की, मगर वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोका।

पहले लगता था मेला

ताज में 1983 से पहले इस दिन के लिए खास इंतजाम होते थे। आज की तरह तब सुरक्षा बंदिशें नहीं थीं। टूरिस्ट मुख्य मकबरे पर जाकर चमकी निहारते थे। सुबह चार बजे तक ताज खुला रहता था। इसके लिए ताज के मुख्य मकबरे पर चढ़ने के लिए चमेली फर्श पर यमुना किनारे की तरफ सीढ़ियां बनाई जाती थीं। साल 1984 से इस पर रोक लग गई। करीब दो दशक के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ताज रात्रि दर्शन दोबारा शुरू हो सका।

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