रिसर्च में आए हैं रिजल्ट्स गहरे, इयरफोन बना रहे लोगों को जल्दी बहरे

Update:2016-07-24 17:52 IST

वाराणसीः इस आधुनिक समय में हर दिन कुछ नया अविष्कार होता हैं। इन्ही में से एक है इयर बड़ जो कुछ सालों से हर घर और हर हाथ में पाया जाता है। अक्सर लोग इससे संगीत का लुफ्त लेते हैं खासकर युवा, लेकिन अब यहीं इयर बड़ संगीत के प्रेमी उन युवाओं के लिए खतरनाक साबित हो रहा है क्योंकि इस आदत से युवाओं और बच्चों में बहरेपन की शिकायत तेजी से बढ़ रही है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सर सुन्दलाल अस्पताल के ईएनटी विभाग के एक शोध के बाद प्रो.राजेश कुमार ने ये दावा किया है। ऐसे 50 मरीजों पर किए गए शोध के बाद ये परिणाम सामने आया है।

टिनीटिस नामक होती है बीमारी

विभाग के चिकित्सक इस इयर बड के द्वारा युवाओं में हो रहे असर से काफी चिंतित है। उनके अनुसार कुछ सालो पहले तक सामान्य व्यक्तियो में बहरेपन की शुरुआत उनके उम्र के अंतिम पड़ाव पर होती थी लेकिन अब ये रेशियो घट के 20 साल से 30 साल के आयु तक आ गई है। ख़ास इन दिनों इस बिमारी से युवा और बच्चे ज्यादा प्रभावित हैं।

इस रोग की शुरुआत कान में सीटी बजने और कम सुनने से होती है, जिसे टिनीटिस बिमारी कहते है। ब्राजील की साओ पाउलो यूनिवर्सिटी की शोध में भी ये पाया गया कि ईयर बड़ से बहरेपन की शिकायत बढ़ रही है। डिस्को रॉक बैंड में बजने वाले म्यूजिक से भी बहरेपन की शिकायत बढ़ती है।

ऐसे होती है बहरेपन की शुरुआत

इनके अनुसार कानो में जो हम आवाज सुनते है वो सरकारी आंकड़े के अनुसार 8 घण्टे तक अगर लगातार 90 डेसिबल ध्वनि हम सुने तो हमारे कान के पर्दे बर्दास्त कर सकते है। ये ध्वनि सीधे हमारे कान तक नहीं जाती लेकिन इयर बड द्वारा आवाज सीधे हमारे कान के इफेक्टिव एरिया में जाती है जो काफी प्रभावित करते है।

इन अनुमान के अनुसार इसकी 100 डेसिबल के ऊपर आवाज देती है जो की नुकसान दायक होती है। जो युवा हमारे यहां आ रहे है। उनके कानो में आवाज गूंजना ऐसी बिमारी से प्रभावित है जो की इयर बड से होती है। जो बाद में बहरेपन में बदल जाती है ।

युवाओं को रखना चहिए ध्यान

प्रत्येक माह लगभग 10 से 15 मरीज इस चीज से प्रभावित हो रहे है। जिसका इलाज कोई नहीं है। हां ये जरूर है की युवा इस बात को ध्यान में रखकर संगीत को सुने तो इससे बचा जा सकता है।

कान में बजती है सीटी

गाजीपुर से आए मरीज सौरभ प्राइवेट नौकरी करते है। सौरभ को सुनाई नहीं देता है। इसके इलाज के लिए वे बीएचयू के प्रो.राजेश कुमार को दिखाने पहुंचे। सौरभ ने बताया कि वे पिछले पांच से छः सालों से बाइक चलाने और नौकरी के दौरान ईयर फोन लगा कर मोबाईल पर बात चीत और गाना सुनते थे। अब उनके कान में सीटी बजने की आवाज आती है औऱ सुनने भी परेशानी होती है।

Tags:    

Similar News