WORLD MALARIA DAY: मलेरिया से बचाएगा यह पौधा, CIMAP ने बनाई दवा

Update:2016-04-24 21:53 IST

लखनऊ: आज से लगभग 2 दशक पूर्व चीन से भारत में एक पौधा रिसर्च के लिए लाया गया था। यह पौधा अब मलेरिया से पीड़ित मरीजों के लिए रामबाण का काम कर रहा है और उनकी जान बचा रहा है। इस पौधे के गुणों को देखते हुए इसके कैंसर रोधी गुण पर भी रिसर्च चल रही है।

लखनऊ स्थित सीमैप इस पौधे के गुणों पर रिसर्च भी कर रहा है। इस पौधे का नाम है आरटीमिसिया अनुआ है। इस पौधे के गुणों के चलते इसे हिंदी में ज्वररोध का नाम दिया गया है। यह पौधा स्वीट वार्मवुड और स्वीट एनी के नाम से भी जाना जाता है।

आरटीमिसिया अनुआ के साथ चीनी महिला

मलेरिया के रोगाणु को जड़ से खत्म करता है

-सीमैप के साइंटिस्ट डॉ. संजय कुमार ने बताया कि आरटीमिसिया अनुआ में आर्टिमीसिनिन नमक तत्व पाया जाता है।

-जो मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों द्वारा फैलाए गए रोगाणु 'प्लास्मोडियम फाल्सीपैरम' को जड़ से खत्म कर देता है।

-यह पौधा मूलतः चीन में पाया जाता है। चीन में इस पौधे को छिंगहाओसू पुकारा जाता है।

-लगभग दो दशक पूर्व भारतीय वैज्ञानिक का एक दल चीन गया था।

-वहां उन्हें इस पौधे के गुणों के बारे में मालूम पड़ा।

चीन में आरटीमिसिया अनुआ पौधे को छिंगहाओसू कहते हैं

चीन के लोग डेढ़ हजार सालों से उपयोग कर रहे हैं

-चीन के निवासी इस पौधे को लगभग डेढ़ हजार सालों से मलेरिया के उपचार में उपयोग कर रहे हैं।

-इस पौधे के गुणों को देखते हुए भारतीय वैज्ञानिक इस पौधे को भारत ले आए।

-काफी प्रयोगों के बाद इस पौधे को भारतीय जलवायु में उगाने में सफलता मिली।

-सीमैप ने इस पौधे को लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों में उगाने में सफलता पाई है।

-भारत में उगाए गए इस पौधे से काफी उन्नत किस्म का आर्टिमीसिनिन मिलता है।

सीमैप लैब

कोमा मे गए मरीजों के लिए भी लाभकारी

-डॉ. संजय कुमार ने बताया कि आमतौर पर मलेरिया के उपचार के लिए एलोपैथिक दवाओं का उपयोग होता है।

-इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स शरीर के आंतरिक अंगों पर पड़ते है, जिससे शरीर में अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

-इसके अलावा मलेरिया के लिए आम तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवा कलोरोक्वीन के प्रति मलेरिया के रोगाणुओं ने प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित कर ली है।

-ऐसे में कलोरोक्वीन फायदा पहुंचाने के बजाए नुकसान पहुंचा देती है।

-उन्होंने बताया कि आरटीमिसिया अनुआ से बनी दवाइयों से किया गया मलेरिया का इलाज काफी सुरक्षित है।

-डॉ. संजय ने बताया कि इसके औषधीय गुण को ऐसे समझा जा सकता है कि इससे मलेरिया के दौरान कोमा में गए मरीज को भी बिना साइड इफ़ेक्ट के भला चंगा किया जा सकता है।

सीमैप ने कामर्शियल प्रोडक्शन के लिए किया समझौता

-डॉ. संजय कुमार ने बताया कि कई वर्षों की रिसर्च के बाद साल 2010 में सीमैप ने आरटीमिसिया अनुआ से बनने वाली मलेरिया की दवा की तकनीक और इस पौधे के कामर्शियल प्रोडक्शन के लिए फार्मास्यूटिकल कंपनी इप्का से करार किया था।

-अब इप्का इस दवा के निर्माण के लिए आरटीमिसिया अनुआ कामर्शियल प्रोडक्शन के लिए काम कर रही है।

-इसके तहत वह किसानों को इस पौधे की खेती के लिए मदद मुहैया कराती है।

सीमैप कैम्पस

अस्थमा और कैंसर में भी होगा उपयोगी

-पशुओं पर प्रयोग के दौरान यह भी पाया गया कि आर्टिमीसिनिन का एक यौगिक आरटीसुनेट में एंटी-एलर्जिक गुण पाए गए।

-इसके गुणों पर जब रिसर्च किया गया तो यह पाया गया कि इससे अस्थमा का इलाज किया जा सकता है।

-हालांकि इसका प्रयोग मनुष्यों पर होना बाकी है।

-इसी तरह अमेरिकन कैंसर सोसाइटी द्वारा आरटीमिसिया अनुआ से पाए जाने वाले अन्य यौगिकों को प्राप्त कर उन पर कैंसर रोधी दवाई विकसित करने के भी प्रयोग हो रहे हैं।

 

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