मनीराम के मन में श्रीराम की तरह बस गए अखिलेश, रिक्‍शा चालक की बात सुन हंस पड़े CM

Update:2016-10-28 09:48 IST

लखनऊ: भाईयों! ये यूपी है। एक तरफ जहां पुलिस का एक छोटा सा नुमाइंदा एक गरीब रिक्शा चालक को सरेआम पीटता और घसीटता है वहीं यूपी का मुखिया एक दूसरे रिक्शा चालक के प्रति इतना संवेदनशील हो जाता है कि आप भी जानकर यकीन नहीं करेंगे।

जी हां! मुफलिसी में जी रहे रिक्शा चालक मनीराम की गुरुवार को अचानक सीएम अखिलेश से मुलाकात हो गई। मनीराम को यकीन नहीं हो रहा था कि वह सीएम के इतना करीब है। शायद उसने कभी सपने में नहीं सोचा होगा।

'ई साहब लई कै आएंं हैं'

दरअसल, मोबाइल बैंकिंग के क्षेत्र में ‘पेटीएम’ का अभिनव प्रयोग करने वाले विजय शेखर शर्मा गुरुवार शाम मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने उनके सरकारी आवास जा रहे थे। इस दौरान जाम ने उनका रास्ता रोक लिया। उन्होंने अपनी कार से उतरकर एक रिक्शा पकड़ा और सीधे पांच कालिदास मार्ग पहुंच गए।

इसी दौरान सीएम अखिलेश बाहर आ गए और उन्होंने रिक्शा चालक को देखकर सवाल किया कहां आ गए हो? वह घबराकर क्षेत्रीय भाषा में बोला-‘ई साहब लई कै आएं हैं।’ सीएम हंस पड़ें और उसके करीब पहुंच गए। सीएम ने रिक्‍शा चालक से उनका नाम पूछा तो उसने अपना नाम 'मनीराम' बताया और कहा कि मैं आपका पड़ोसी हूं, यहीं कालिदास मार्ग पर ही रात को मैं रहता हूं और रिक्शे पर ही सोता हूं।



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मनीराम की बाते सुन हंस पड़े सीएम अखिलेश

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के जंगलाट गांव के निवासी व अनुसूचित जाति के मनीराम की इस बात से सीएम अखिलेश खूब ठहाका लगाकर हंसे मनीराम के रिक्‍शे पर बैठकर आए शेखर शर्मा ने भी हंस पड़ें। मनीराम ने बताया कि उसके पांच बच्चे हैं। उसने 40 रुपये प्रतिदिन के किराये पर उसने रिक्शा ले रखा है।

डरा सहमा मनीराम बिना पैसे लिए ही अपने रिक्‍शे पर चढ़कर वापस जाने लगा तब मुख्यमंत्री ने उसे रोका और सचिव प्रांजल यादव को उसे नया ई रिक्शा दिलाने को कहा। मुख्यमंत्री ने उसके बच्चों का स्कूल में दाखिला कराने व लोहिया आवास आवंटिक करने का निर्देश भी दिया।

दीवाली से पहले मनीराम ने सीएम अखिलेश से इतना बड़ा तोहफा पाकर कहा ‘लक्ष्मी जी सदा सहाय’ और मुख्यमंत्री के लिए ढेरों दुआएं। इस घटना के बाद रिक्शा चालकों को ठहरने के लिए कोई रैन बसेरा बनाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के सामने रखा जाएगा।

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यूपी पुलिस के सिपाही को नहीं आई रिक्शा चालक पर दया

गुरुवार को यूपी पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है। एक सिपाही ने रिक्शा चालक को सिर्फ इसलिए पीटा क्योंकि उसने पैसा देने से मना कर दिया था। सिपाही पिटाई के बाद रिक्शा चालक को काफी दूर तक घसीटता रहा। इस घटना का वीडियो वायरल होने से हडकंप मच गया है।

क्या था पूरा मामला

-मामला कोतवाली इलाके के फुव्वारा चौराहे का है।

-एक सिपाही ने रिक्शा चालक से रुपए मांगे।

-लेकिन रिक्शा चालक ने रुपए देने से इंकार कर दिया।

-गुस्साए सिपाही ने लाठी से रिक्शा चालक को जमकर पीटा।

-इतना ही नहीं उसे सड़क पर घसीटते हुए काफी दूर तक ले गया।

-सिपाही बेरहमी से रिक्शे वाले को पीट रहा है और घसीट रहा है।

-निर्दयी पुलिसकर्मी को उस पर जरा भी तरस नहीं आया।

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....और रो पड़े सीएम अखिलेश

समाजवादी परिवार में जारी गृहयुद्ध के बीच एक पिता के सामने संस्कारी पुत्र की आंखें नम हो गईं। वह अपने अधिकार अपने सम्मान के लिए पिता के सामने पहली बार तनकर खड़ा हुआ और अपना कसूर पूछने लगा। सोमवार को सपा कार्यालय में सीएम अखिलेश यादव बोलते हुए अचानक जज्बाती हो गए और रोने लगे। वह बार बार अपने पिता से पूछ रहे थे कि आखिर हमारा कसूर क्या है। साढ़े चार साल प्रदेश का नेतृत्व करने के बाद भी किसी भी विरोधी दल ने उनका विरोध नहीं किया लेकिन अब अपने लोग ही उनके दुश्मन हो गए हैंं।

अखिलेश यादव का कहना था कि मेरे पिता मेरे आदर्श हैं मैं उनके रहते नई पार्टी क्यों बनाऊं। अखिलेश की आंखों में आंसू देख सामने बैठे सपाई भी रुमाल निकालकर अपने आंसू पोंछते नजर आए।

अखिलेश का यह भावुक भाषण वायरल हो गया और उनके तमाम समर्थकों तक पहुंचा। समर्थक अपने सीएम के इस भावुक भाषण को सुनकर रो पड़े। सपा प्रदेश मुख्यालय के बाहर बैठे आनंद भदौरिया व अन्य समर्थक मोबाइल पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का भाषण सुन भावुक हो गए।

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पारिवारिक कलह के बीच अखिलेश के हर घाव पर मलहम लगाती डिंपल

कहते हैं पारिवारिक कलह उस दीमक की तरह होती है जो रिश्‍तों को अंदर ही अंदर खोखला कर देती है। इन दिनों यूपी का सबसे बड़ा राजनैतिक कुनबा भी इसी संकट से जूझ रहा है। हम बात कर रहे हैं समाजवादी पार्टी की जहां चाचा और भतीजे के बीच छिड़ी जंग परिवार से निकलकर बाजार तक आ गई है। एक तरफ अखिलेश यादव जहां चाचा के सामने झुकने को तैयार नहीं वहीं चाचा शिवपाल भी अड़े हुए हैं। कुर्सी और परिवार के साथ विरोधियों के वार और अपनों के चुभते तीरों का सीएम अखिलेश डटकर सामना कर रहे हैं।

वहीं इस पारिवारिक संघर्षों के बीच एक दूसरा चेहरा भी है, जो बिना कुछ कहे इस गृहयुद्ध में सब कुछ सहन कर रहा है। हम बात कर रहे हैं डिंपल यादव की। डिंपल जहां तीन बच्चों की मां हैं वहीं कन्नौज की सांसद और सपा के सबसे बड़े राजनीतिक घराने की बड़ी बहू भी हैं। इस लिहाज से उनकी जिम्मेदारियां भी ज्यादा हैं।

पारिवारिक विवाद में भले ही घर के और सदस्य कुछ भी बयान देने से न चूक रहे हों पर डिंपल मौन रहती हैं। लेकिन वह अपने पति अखिलेश यादव के साथ हमेशा उनकी ढाल की तरह खड़ी रहती हैं। हर सुख-दुख और तमाम जिम्मेदारियों के बीच वह अपने सभी नैतिक कर्तव्यों का निर्वहन एक भारतीय नारी की तरह कर रही हैं। चाहे फिर वो राजनीतिक मैदान हो या फिर घर-परिवार।

जीवन की तमाम उठापटक के बीच डिंपल के चेहरे पर हमेशा खुशी दिखाई देती है। इतनी कलह के बीच कभी भी उनका साहस डगमगाता नहीं। इतने बड़े राजनीतिक परिवार की बहू होकर भी डिंपल भारतीय संस्कृति के साथ नारी के सभी धर्मों का वह बाखूबी पालन कर रही हैं।

डिंपल कभी कन्नौज की सकरी गलियों में जनता के बीच दिखाई देती हैं तो कभी अपने बच्चें के साथ उनकी खुशियों में शरीक होती हैं। इतना ही नहीं हर पारिवारिक और धार्मिक कार्यों में भी वह हमेशा आगे रहती हैं।

भारतीय संस्कृति को संजोए भारतीय महिलाओं के लिए डिंपल एक मिसाल से कम नहीं हैं। संघर्षों के बीच भी कैसे खुद को मौन रखकर वह घर के हर सदस्य को खुश रखने की कोशिश करती हैं ताकि कभी परिवार न टूटे, कभी कोई जुदा न हो।

परिवार के साथ-साथ सीएम अखिलेेश के इमोशंस को भी वह बाखूबी संभाल रही हैं। टेंशन के वक्‍त डिंपल जैसे ही सीएम को ‘अखिलेश दादा’ कहकर पुकारती होंगी वैसे ही उनकी सारी पीड़ा और दुख खुद ब खुद खत्‍म हो जातेे होंंगे। अखिलेश हमेशा से इमोशनल रहे हैं, व‍ह डिंपल को अपने लिए लकी मानते हैं और खुद से ज्‍याद उन पर विश्‍वास करते हैं।

बहरहाल, ऊंंचे घरानों में भी डिंपल एक साधारण जीवन जीकर हर परिवार और समाज को एक सीख दे रही हैं।

आगे की स्‍लाइड में लगे फोटोज और वीडियो में देखिए जब अखिलेश रोए तो उनके समर्थक भी फूट फूटकर रोए ...

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