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वाराणसीः आज का यूथ वेस्टर्न कल्चर की ओर अट्रैक्ट होकर अपने कल्चर और सभ्यता से दूर होता जा रहा है। इसका जीता जागता उदहारण है हमारे धर्म ग्रन्थ। एक जमाना था कि रामायण की चौपाइयां लोगों के जुबां पर होती थी और आज अगर किसी खास वर्ग को छोड़ दिया जाए तो किसी नौजवान को रामायण के दोहे और चौपाई याद तक नहीं हैं। उनके अर्थ बताना तो दूर की बात है।
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लेकिन काशी के युवक ने आधुनिक शिक्षा और भारतीय संस्कृति को एक कड़ी में पिरोने के लिए अनोखा रास्ता निकाला है, जिससे सीधे तौर पर बच्चे रामायण को जान और समझ सकेंगे। इसके लिए वाराणसी के इंटरमीडिएट के एक छात्र पृथ्वी ने रामायण को कॉमिक्स की शक्ल दी है। इस कॉमिक्स के जरिए रामायण और उसके कैरेक्टर्स की बच्चों की रूचि पैदा होगी और वो अपने धर्म ग्रंथों को जानने समझने की कोशिश करेंगे। अपने धर्मग्रंथों को लेकर उनमें इंट्रेस्ट जागेगा।
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121 चित्रों में दर्शाई रामायण
इस कॉमिक्स की खास बात ये है कि ये हाथ से बने ऑयल पेंटिंग से बनाई गई है। पूरी कॉमिक्स 121 चित्रों द्वारा विभिन्न घटनाओं पर आधारित है। इस कॉमिक्स को बनने में पृथ्वी ने 5 साल का वक्त लगाया है। पृथ्वी का इरादा इसे हर स्कूल के सिलेबस या लाइब्रेरी तक पहुंचाना है ताकि बच्चों की इसमें रूचि बने।
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पिता अजय मिश्रा ने बताया कि पृथ्वी ने इसे अपने दादा की प्रेरणा से बनाना शुरू किया था और काशी के एक संत के सहयोग से इस काम को पूरा किया है। अब पृथ्वी पीएम मोदी से इसे प्रमोट करने की गुहार करेगा।
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कॉमिक्स का मूल्य होगा महज 11 रुपया
इस कॉमिक्स को बनाने में बहुत अधिक खर्च आया है। लेकिन पृथ्वी के पिता कहते हैं कि अगर खर्च देखकर ये काम किया जाता तो शायद नहीं हो पाता। पृथ्वी की पढ़ाई भी डिस्टर्ब होती थी, इसके लिए वो डांट भी खाता था। लेकिन उसने पूरी लगन और मेहनत से अपने काम को अंजाम दिया। कोशिश रहेगी कि बच्चों तक ये कॉमिक्स 11 रु में पहुंचे। हालांकि ये कॉमिक्स ओरिजिनल पेंटिंग का प्रिंटिंग स्वरूप होगा, जिसे मार्केट में लांच किया जाएगा।
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काशी के विद्वान् स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती बताते हैं कि इस तरह से पहले भी प्रयास किए जा चुके हैं और मशहूर चित्रकार मकबूल फ़िदा हुसैन ने राममनोहर लोहिया के कहने पर रामायण पर चित्र प्रदर्शनी लगाई। राजा रवि वर्मा की शैली में ये प्रयास पृथ्वी द्वारा की गई है, जो बहुत अच्छा प्रयास है। बिना बोले बच्चों को समझाने का अलग तरीका है।
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मकबूल फ़िदा हुसैन के बाद बच्चों की समझ के लिए पेंटिंग द्वारा ये काम करना बहुत बड़ी बात है। इस दिशा में गीत प्रेस ने काफी प्रयास किए हैं, मगर छोटे छोटे और कम चित्रों से। पृथ्वी ने 121 चित्रों से और वो भी पेंटिंग द्वारा बहुत बड़ा प्रयास किया है।
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