नोएडाः मथुरा की फोरेंसिक लैब की इस रिपोर्ट के बाद कि बिसाहड़ा के अखलाक के घर से बरामद मीट गोवंश का था, ग्रामीणों ने थाने में तहरीर देकर अखलाक के परिवार पर गोहत्या का केस दर्ज करने की मांग की थी। अब जबकि कोर्ट ने अखलाक के परिवार पर मुकदमा चलाने का फैसला किया है, तो ये जानना भी जरूरी है कि अखलाक की हत्या के आरोपी ग्रामीणों की तहरीर में आखिर उस रात की क्या कहानी बताई गई थी।
ईद वाले दिन अखलाक ले गया था बछड़ा
अखलाक की हत्या के आरोपी पक्ष की तहरीर के मुताबिक 25 सितंबर 2015 को बकरीद थी। बिसाहड़ा गांव में घूमने वाले एक बछड़े को लोग प्यार से आटा और रोटी खिलाते थे। करीब 12 बजे गांव के रणवीर पुत्र राजेंद्र और जतन पुत्र मुसद्दी ने देखा कि अखलाक और उसका बेटा दानिश बछड़े को गली में घेरकर अपने घर ले जा रहे हैं। पूछने पर अखलाक ने कहा कि बछड़ा लोगों को मारता है। सामने मेरे भाई जान मोहम्मद के मकान में इसे बंद कर देता हूं। इस पर रणवीर और मुसद्दी घर चले गए।
26 और 27 सितंबर को क्या हुआ?
तहरीर के मुताबिक 26 सितंबर 2015 को प्रेम सिंह पुत्र विशंभर ने दोपहर करीब साढ़े बारह बजे अखलाक के भाई के बंद पड़े मकान से बछड़े के रंभाने की आवाज सुनी। गांव के मदन सिंह के मकान के सामने गली से देखा कि अखलाक पुत्र शमीद खान, अखलाक की मां असगरी, अखलाक की पत्नी इकरामन, शाइस्ता और अखलाक के भाई जफरुद्दीन की पत्नी सोना ने बछड़े को गिराकर पकड़ रखा है और जान मोहम्मद छुरे से उसका गला रेत रहा है। प्रेम सिंह ये देखकर डर गया और लोगों को कुछ नहीं बताया। 27 सितंबर को गांववालों में चर्चा ने जोर पकड़ा कि बछड़ा दो दिन से दिख नहीं रहा है। लोगों ने उसे तलाश भी किया।
28 सितंबर को क्या हुआ था?
तहरीर में कहा गया है कि रात करीब 8 बजे ओमप्रक्राश पुत्र राजाराम के मकान के पास जहां ट्रांसफॉर्मर लगा है, वहां अखलाक एक बड़ी काली पन्नी में कुछ सामान फेंक रहा था। उस वक्त गांव के ही ओमपाल और कंछी ने टॉर्च की रोशनी में उसे देखा और शोर मचाया। शोर सुनकर लोग आए और अखलाक को घेर लिया। लोग गुस्से में थे और इससे अखलाक डर गया। हालांकि उसने कहा कि फ्रिज में देख लो कि वहां बछड़ा नहीं, कुर्बानी के जानवर का मटन रखा है।
अखलाक ने मानी गलती
आरोपियों की तहरीर के अनुसार कुछ लोग अखलाक के घर पहुंचे। फ्रिज को खोलने पर पाया कि भगोने में पशु के अवशेष रखे थे। सारे लोग भगोने को लेकर ट्रांसफॉर्मर के पास आए। उन्होंने कहा कि भगोने में तो किसी बड़े पशु का मांस है। इस पर अखलाक ने माफी मांगी और कहा कि हमसे बड़ी गलती हो गई है। तहरीर में लिखा है कि अखलाक ने माना कि बकरीद पर बछड़े की कुर्बानी कर दी थी और भगोने में बछड़े का ही मीट है।
भीड़ ने की थी अखलाक-दानिश की पिटाई
तहरीर में लिखा गया है कि गुस्साए लोगों ने अखलाक और दानिश को पीटना शुरू कर दिया। गांव के ही संजय सिंह ने जारचा पुलिस को फोन कर बताया कि बिसाहड़ा गांव में गोहत्या को लेकर बवाल हो गया है। भीड़ बेकाबू है। इस पर करीब आधे घंटे बाद पेट्रोलिंग की जिप्सी और जारचा थाने की पुलिस पहुंची। उस वक्त तक मारपीट से अखलाक और दानिश घायल हो चुके थे। पुलिस दोनों को कैलाश हॉस्पिटल ले गई। जहां 29 सितंबर को अखलाक की मौत हो गई।
8 अक्टूबर को भेजी थी चिट्ठियां
तहरीर के अनुसार घटना के बारे में पूरा ब्योरा नोएडा के एसएसपी, डीआईजी मेरठ, आईजी मेरठ, डीजीपी, यूपी के सीएम, मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री को रजिस्ट्री कर 8 अक्टूबर को भेजा गया था। इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। तहरीर में ये भी लिखा है कि जिस वक्त जारचा थाने की पुलिस अखलाक के घर से लाए गए मांस को भगोने से सील कर रही थी, उस वक्त गांववालों ने पूरी कार्रवाई करते पुलिसवाले का फोटो भी खींचा था। इस तहरीर के आधार पर अखलाक के परिवार के खिलाफ गोवध और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई थी।