इस बाबा के दर पर आती थीं इंदिरा गांधी, सिर पर पैर रख देते थे आशीर्वाद

Update: 2016-09-02 12:42 GMT

लखनऊ: राहुल गांधी यूपी चुनाव में अपने मिशन की शुरुआत 6 सितंबर को देवरिया से करने जा रहे हैं। राहुल गांधी 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत के लिए देवराहा बाबा की धरती से महायात्रा करेंगे। गर्दिश के दिनों में इंदिरा गांधी ने भी देवराहा बाबा से आशीर्वाद मांगा था। आखिर कौन हैं ये देवराहा बाबा, जिनके पास इंदिरा गांधी के अलावा देश के और भी कई नेता आते थे और इनके पैर के नीचे अपना सिर रखते थे। आइए विस्तार से आपको बताते हैं

नदी में बने मचान पर बैठ आशीर्वाद देने वाले देवरहा बाबा को एजलेस संत कहा जाता था। उनकी मौत 19 मई 1990 को हुई थी। लेकिन ये किसी को नहीं पता कि उनकी जन्मतिथि क्या थी। वो जहां भी रहे मचान पर ही रहे। वहीं से बैठे अपने भक्तों को पैर से आशीर्वाद दिया करते थे। देवरिया में रहने के कारण ही उनका नाम देवराहा बाबा पड़ गया था। देवरिया के देवार इलाके में सरयू नदी के किनारे उन्होंने अपना मचान बनाया था।

इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तक करते थे इंतजार

बाद में वे मथुरा के वृंदावन चले गए और यमुना नदी में अपना मचान बनाया। उनसे आशीर्वाद लेने स्थानीय लोग तो आते ही थे। बड़े राजनीतिज्ञ भी अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए उनके पास आया करते थे। खासकर चुनाव के मौसम में उनके दरवाजे पर आने वाले राजनीतिज्ञों की खासी भीड़ हो जाया करती थी। आशीर्वाद के लिए इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को भी इंतजार करना पड़ा था। उन्होंने राजीव गांधी और सोनिया गांधी को भी 1989 के लोकसभा चुनाव के वक्त आशीर्वाद दिया था। देवराहा बाबा के सुझाव पर ही उन्होंने पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘हाथ का पंजा’ बनाया था। बूटा सिंह भी अक्सर उनके पास आया करते थे।

देवराहा बाबा की उम्र भी रहस्य

लोगों का विश्वास है कि देवराहा बाबा की उम्र दो शताब्दी से भी अधिक थी। कुछ लोग उनका जीवन 250 साल तो कुछ 500 साल बताते हैं। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें अपने बचपन में देखा था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक बैरिस्टर ने कहा था कि उनका परिवार 7 पीढ़ियों से देवराहा बाबा का भक्त है। कुछ लोग तो बाबा की उम्र 900 साल बताते हैं।

मौत के बाद आया बाबरी विध्वंस में नाम

हालांकि उनका निधन दो साल पहले हो गया था, लेकिन अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने को लेकर भी उनका नाम आया था। अयोध्या में विवादित ढांचा 6 दिसंबर 1992 को गिराया गया था। वो अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्षधर थे। इसीलिए उनका नाम ढांचा विध्वंस की जांच के लिए बने लिब्राहन आयोग के सामने आया था।

बाबा पर लिखी गईं कई किताबें

एक रुसी नागरिक उनकी बातों से काफी प्रभावित हो गया था। बाबा ने उसके सामने रूस के वर्तमान और बीत गए दिनों का पूरा खाका खींच दिया था। बाबा पर हिंदी और अंग्रेजी में कई किताबें भी लिखी गईं। कोहन लारेंस की किताब पर्सनलिटीज देवरहा बाबा की खूब चर्चा हुई थी।

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