...तो क्या जयललिता इस तमिल सुपरस्टार को बना गयी हैं उत्तराधिकारी !

Update:2016-12-07 07:53 IST

नई दिल्ली : तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता (अम्‍मा) के निधन के बाद हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है। सूत्रों के मुताबिक एआईएडीएमके (AIADMK) चीफ जयललिता अपनी बीमारी से बहुत पहले ही अपना उत्तराधिकारी तय कर चुकी थीं। जैसे एमजीआर ने जया को राजनीति समझने का मौका दिया वैसे ही अम्मा अपने उत्तराधिकारी को मौका देना चाहती थी। उनकी वसीयत पार्टी के कुछ खास नेताओं के पास ही है और समय आने पर नाम जनता के सामने लाया जाएगा।

जयललिता को अपनी जानलेवा बीमारी के बारे में बहुत पहले से ही पता था। इसलिए उन्होंने पहले ही वसीयत तैयार करवा ली थी जिसमें उनकी अपनी संपत्ति और पार्टी के बारे में विस्तार से बताया गया है।

सूत्रों के मुताबिक ये अम्मा की ही मर्जी थी की उनकी मौत के बाद ही पन्‍नीरसेल्वम सबसे पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लें। ताकि पार्टी में कोई विवाद पैदा न हो, जैसा एमजीआर की मौत के बाद उनमें और एमजीआर की पत्नी के बीच हुआ था। जब तक चुनाव नहीं होते पन्‍नीरसेल्वम सरकार और शशिकला पार्टी को अपने हाथ में रखे और जब अगला विधानसभा चुनाव आए तो, अम्मा के उत्तराधिकारी को जनता के सामने खड़ा कर दिया जाए।

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कौन हो सकता है जयललिता का उत्‍तराधिकारी

सूत्रों ने जो नाम बताया है वो किसी नेता का नहीं है बल्कि जया जैसे ही तमिल फिल्म इंडस्ट्री से है। जिसने जया की तरह ही संघर्ष कर अपना स्थान बनाया और अब फैंस के दिलो में राज भी कर रहा है।

सूत्रों से हमें मिली जानकारी के मुताबिक तमिल सुपर स्टार अजित कुमार ही अम्मा के उत्तराधिकारी हैं। जयललिता को करीब से जानने वाले कहते हैं कि उन्होंने कभी भी किसी को अपनी निजी जिंदगी में प्रवेश नहीं करने दिया। इसलिए कोई भी ये नहीं कह सकता कि उनके दिल में क्या था। वो जब भी कोई निर्णय लेती तो किसी से सलाह नहीं लेती थी और न ही किसी को बताती की वो क्या करने वाली हैं। हो सकता है उन्होंने ऐसा कुछ किया हो क्योंकि अजीत के साथ उनके रिश्ते काफी अच्छे थे। पहला मौका था जब अम्मा किसी की शादी में गयी और इतनी देर तक रुकी, वो कोई और नहीं अजित ही थे।

अजित ही थे जो उनसे कभी भी मिल सकते थे वर्ना उन्होंने तो अपनी सगी भतीजी और उसके पति को 2 घंटे घर के बाहर खड़ा रखा और फिर भी नहीं मिली।

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अजित और बड़े नेताअों बीच हो चुकी बातचीत

सूत्र बताते हैं कि अंदर ही अंदर पार्टी के बड़े नेता और अजित में बात हो चुकी है। अगले चुनाव तक वो पार्टी और सरकार का काम देखने सीखने का प्रयास करेंगे और जरूरत पड़ने पर मौजूद रहेंगे।

फिलहाल अजित ने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है। वैसे अजित ही पहले व्यक्ति थे जो बीमारी के समय सबसे पहले जयललिता को देखने अपोलो पहुचें थे।

बहरहाल ये तो भविष्य के गर्भ में है कि पार्टी और सरकार का क्या होगा। फिलहाल बड़ा सवाल यह है की शशिकला और पनीरसेल्वम कब तक एक दूसरे को पसंद करते हैं क्योंकि शशिकला को पार्टी के अधिकतर विधायक पसंद नहीं करते और न ही कार्यकर्ता ही।

 

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