दीवाली स्पेशल: मार्केट में छाई पहली बार 'स्टिक रंगोली', चीन ने भेजे नए लुक में इंडो-चाइनीज दीप

Update: 2016-10-26 07:44 GMT

लखनऊ: दीवाली के लिए अब समय नहीं रह गया है। लोगों ने शॉपिंग भी तेज कर दी है। लखनऊ के मार्केट्स में पैर रखने की जगह नहीं बची है। पूरा शहर दुल्हन की तरह सजने लगा है। चारों ओर रौनक छाई हुई है। बाजारों में जगह-जगह ठेले सुंदर-सुंदर चीजों से सज गए हैं। प्लास्टिक से बने सामानों जैसे फूलों, तोरण आदि की भी धूम मची हुई है। कोई गणेश-लक्ष्मी खरीद रहा है, तो कोई रंगोली खरीद रहा है। बड़े-छोटे सभी कारोबारी हर सामान की नई-नई किस्में इस दीवाली के बाजार में बेचने के लिए लेकर आए हैं। दुकानदारों के चेहरे पर भी काफी उत्साह दिखाई दे रहा है।

एक तरफ इस बार जहां लोगों ने चाइना से आए सामान को न खरीदने का प्रण लिया है, वहीं मिट्टी के सामान और दिए बेचने वाले दुकानदारों के चेहरे पर ख़ुशी आसानी से दिखाई दे रही हैं। इस बार उनकी मेहनत रंग ला रही है। दीवाली में मार्केट में कई वैरायटी के कपड़े, रंगोली, तोरण, गणेश-लक्ष्मी, डिजाइनर लाइट्स व दिए, घर की सजावट के लिए फ्लावर पॉट्स और तरह-तरह की अरोमा-फ्लोटिंग कैंडल्स लोगों के अट्रैक्शन का बनी हुई हैं।

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दीवाली में रंगोली बनाने का रिवाज काफी पुराना है। कहा जाता है कि दीवाली पर पूजन के बाद मां लक्ष्मी इसी रंगोली में ही विश्राम करती हैं। यह आंगन के बीचों-बीच बनाई जाती है। पहले टाइम में रंगोली फूलों, चावलों, लकड़ी के बुरादे और चोकर से बनाई जाती थी। लेकिन टाइम के आगे बढ़ने के साथ-साथ आज लोगों के पास टाइम की कमी हो गई है। कोई अपनी जॉब में बिजी रहता है, तो कोई अपनी फैमिली में ऐसे में रंगोली बनाना तो कम्पलसरी होता ही होता है। पिछले कई सालों से पेपर रंगोली ट्रेंड में थी। लेकिन इस बार दीवाली पर मार्केट में एक ख़ास तरह की रंगोली आई है, जिसे 'स्टिक रंगोली' कहते हैं। यह रंगोली मोतियों से बनी होती है और उभरी हुई होती है। इसकी कीमत 150 रूपए से शुरू होती है।

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दीवाली में सबसे ज्यादा महत्व 'दीपों' का होता है। इंडिया-पाकिस्तान के बीच चलते तनाव की वजह से इस बार मार्केट में चाइनीज सामान से ज्यादा इंडिया में बने 'दीपों' और 'डेलियों' की डिमांड है। अमीनाबाद में दीवाली की खरीदारी के लिए आई तृषा का कहना था कि वैसे तो वह हमेशा से ही मिट्टी के दीप जलाती आई हैं, लेकिन इस बार उन्होंने इन दीपों की संख्या बढ़ा दी है। उनका कहना है कि इस बार वे अपने घर पर एक भी चाइनीज झालर नहीं चढ़ने देंगी। पूरे घर में बस मिट्टी से बने इंडिया दिए ही जलेंगे। वहीं दीवाली पर मिट्टी के खिलौने, दिए, बर्तन और गुजरिया बेच रही कुम्हारिन आशा का कहना है कि इस बार उन्हें खरीदारों से काफी उम्मीदें हैं इस बार उनकी मेहनत रंग लाएगी।

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भले ही इस बार कुछ लोगों ने चाइना से आए सामान को बायकॉट करने का मूड बनाया हो, पर चाइना वालों कीई चालाकी से फिर भी नहीं बच पाएंगे। इस बार दीवाली में चीन से ऐसे 'दिए' आए हैं, जो देखने में तो बिलकुल इंडियन लगते हैं। उनमें लौ भी निकलती है। लेकिन वह बने हैं प्लास्टिक से। कहने का मतलब है कि इस बार चीन के लोगों ने इंडियन लोगों को इंडियन फील देने के लिए ऐसे 'दिए' बनाए हैं, जो मिट्टी से बने लगते हैं। ख़ास बात तो यह है कि प्लास्टिक से बने इन दीप इस तरह जलते हैं कि मानो उसमें लौ जल रही है। वहीं चाइनीज लाइट्स के विक्रेता रमेश का कहना है कि इंडियन लाइट्स के महंगी होने की वजह से अभी भी लोग चाइनीज लाइट्स ही खरीद रहे हैं।

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दीवाली में सबसे ज्यादा घर जगमगाते हैं। घर का एक-एक कोना चमकता है। ऐसे में घर में गणेश-लक्ष्मी के स्वागत के लिए अगर पर्दे भी डिजायनर हों, तो कहने ही क्या। ऐसे में अमीनाबाद में ऐसे डिजायनर पर्दे उपलब्ध हैं, जिन्हें देखकर आपकी नजरें ठहर जाएंगी। इसके अलावा घर के सोफों की खूबसूरती बढाने के लिए डिजायनर कुशन भी आए हैं, जो आपके घर की शोभा बढ़ा देंगे। इनकी कीमत भी लोगों के बजट में है।

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