UP की मलाला ! पढ़ने से रोकने को परिजनों ने किया प्रताड़ित, घर छोड़ा-कलम नहीं

वह अपने स्कूल की सबसे होनहार स्टूडेंट थी। अपनी आंखों में टीचर बनने का सपना लिए वह देश की बेटियों को पढ़ना चाहती है, लेकिन उसके परिवार को ये सब पसंद नहीं। उसके शरीर पर दिख रहे ये जख्म उसके सपने को रौंदने की दास्तां बयां करते हैं।

Update: 2016-09-05 16:52 GMT

बागपत: वह अपने स्कूल की सबसे होनहार स्टूडेंट थी। अपनी आंखों में टीचर बनने का सपना लिए वह देश की बेटियों को पढ़ना चाहती है, लेकिन उसके परिवार को ये सब पसंद नहीं। उसके शरीर पर दिख रहे ये जख्म उसके सपने को रौंदने की दास्तां बयां करते हैं।

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क्या है पूरा मामला ?

यूपी के बागपत जिले में कस्बा बड़ौत क्षेत्र की रहने वाली 11वीं क्लास की स्टूडेंट तबस्सुम बताती है कि वह कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में पढ़ती है और अपने स्कूल की टॉपर रही है, लेकिन उसके परिजनों ने उसे पढ़ने के लिए एक शर्त रखी कि वह बुर्का पहन कर स्कूल जाए। तबस्सुम ने अपनी पढाई ना रुके इसलिए उसने परिजनों की बात मान ली और बुर्का पहनकर स्कूल जाने लगी।

कुछ ही दिनों बाद तबस्सुम के परिजनों ने उसका स्कूल जाना बंद करवा दिया। इसका कारण था कि तबस्सुम के परिजनों का मानना था कि स्कूल में जाने से लडकियां बिगड़ जाती हैं। इसके बाद तबस्सुम के परिजनों ने नाबालिग तबस्सुम के पैरों में शादी की बेड़िया डालने का इरादा कर लिया और तबस्सुम की शादी उसकी उम्र से 10 साल बड़े एक झोलाछाप डॉक्टर से तय कर दी।

तबस्सुम ने जब इस बात का विरोध किया तो उसके परिजनों ने उसकी लाठी-डंडों से बेरहमी से पिटाई कर दी, लेकिन मंजिल को पाने की चाह में तबस्सुम अपने घर से भागकर अपने स्कूल की टीचर्स के पास पहुंच गई और आप बीती सुनाई।

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क्या कहना है पुलिस का ?

-इस मामले में एसओ बडौत देवेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि तबस्सुम के भाई ने थाने में उसके गुम होने की तहरीर दी थी।

-दो-चार घंटे बाद ही तबस्सुम खुद अपने मामा के साथ कोतवाली बडौत में पहुंची।

-तबस्सुम ने पूछताछ में बताया कि उसकी मां और भाई उसे परेशान करते हैं।

-उसे पढ़ने नहीं देते और वो अपने मामा के साथ रहना चाहती है।

-इसीलिए तबस्सुम को उसके मामा इमरान के पास भेज दिया गया है।

-बागपत प्रशासनिक अधिकारियों ने इस मामले की जांचकर तबस्सुम की मदद करने और उसके परिजनों को भी समझाने का आश्वासन दिया है।

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क्या कहना है तबस्सुम के मामा-मामी का ?

-तबस्सुम के मामा इमरान के मुताबिक तबस्सुम होनहार स्टूडेंट रही है और अब वे उसका पालन पोषण और उसकी शिक्षा पूरी करेंगे।

-तबस्सुम की मामी नफीसा का कहना है कि उनका परिवार गरीब है, वे तीन भाई और तीन बहने हैं।

-उनका कहना है कि तबस्सुम स्कूल से घर पहुंचने के बाद घर का काम नहीं किया करती थी।

-तबस्सुम पढ़ने के लिए कहा करती थी इसीलिए तबस्सुम के परिजनों ने उसका स्कूल जाना बंद करवा दिया।

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