मथुरा:
होरी के हुरियारे भगवान और उनकी हुरियारिन प्रिया होरी में जमकर नाचने के बाद भी नहीं थके। भगवान संग भक्तों की मस्ती का आलम ये रहा कि मंदिर ताल तलैया बन गया और रंग की धारा दरबाजों को पार करके बाहर रास्तों तक आ गईं। जगमोहन में सजा बगीचा और उसी लता-पताकाओं संग फूल पूरी तरह रंग गए। श्रद्धालु ऐसे भीगे के उनके शरीर और वस्त्रों से रंग एवं गुलाल रास्ते तक खूब बहा।आगे की स्लाइड में देखिए कैसे शुरू हुई द्वारका की मस्ती भरी होली
पुष्टि मार्ग के मथुरा में स्थित विश्व प्रसिद्ध राजाधिराज द्वारिकाधीश सेवायत गोस्वामी ब्रजेश कुमार के निर्देशन में शुक्रवार को बगीचे की होली का आयोजन किया गया। सेवक समुदाय ने पूर्वान्ह में बगीचे का निर्माण शुरू किया और अपरान्ह 1 बजे से पहले पूरी तरह तैयार कर दिया। इसके बाद मुखिया ब्रजेश कुमार ने सहयोगियों के साथ प्रिया-प्रियतम के चल विग्रहों को बगीचे में विराजमान किया और जब घड़ी में अपरान्ह का 1 बजा तो मुखिया ने रंग वर्षा शुरू कर दी।
भक्तों ने इस रंग को प्रभु का प्रसाद मानकर अपने तन-बदन पर श्रद्धा संग लिया। पिचकारियों से हर तरफ रंग बरसने लगा। गुलाल से मंदिर में बादल बन गए। टेसू फूलों, गुलाल जल, हरे, लाल, बैंगनी, रंगों एवं गुलाल की खुशबू से मंदिर से महकने लगा।
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भक्त भी भगवान संग उनके प्रतिनिधि सेवकों से होरी खेलने के लिए भारी तादात में रंग, गुलाल लेकर आए और उन्होंने भी जी भर होली खेली।
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भक्तों और भगवान के रंगों एवं गुलालों की बरसात से मंदिर परिसर में धारा प्रवाहित दिखाई दी। मस्ती धमाल और रंग सरिता इतनी अधिक रही कि रंग की धारा दरबाजे पार करके मंदिर के बाजार की ओर के मुख्य द्वार तथा द्वारिकाधीश की बजरिया तक पहुंच गई।
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इस दौरान भक्त आत्मविभोर होकर खूब नांचे और रसिकों के गायन-वादन में उनका साथ दिया।
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