नई दिल्ली: न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत का मानना है कि इस मामले में इस समय हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। यह याचिका विचार योग्य नहीं है।
वकील आरपी लुथरा और सत्यवीर शर्मा ने देश के अगले मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस रंजन गोगोई की नियुक्ति को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर (अब सेवानिवृत्त), न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की 12 जनवरी की प्रेस कांफ्रेंस को अपना आधार बनाया था। लूथरा ने इस मामले को पीठ के सामने जल्द सुनवाई के लिए पेश किया था।
प्रधान न्यायाधीश मिश्रा के खिलाफ वर्ष के प्रारंभ में बगावत कर चुके चार न्यायाधीशों में शामिल रहे न्यायमूर्ति गोगोई को 13 सितंबर को भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्ति किया गया। मौजूदा प्रधान न्यायाधीश मिश्रा दो अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
वकील लूथरा ने याचिकाकर्ता वकील सत्यवीर शर्मा के साथ मिलकर न्यायमूर्ति गोगोई की प्रधान न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति रद्द करने की मांग की थी। गोगोई 3 अक्टूबर को कार्यभार संभालने वाले हैं।
याचिका में कानून के प्रश्न का निर्णय करने की मांग की गई है, जिसके लिए वे चार वरिष्ठ न्यायाधीशों की तरफ 12 जनवरी को बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन की सामग्री पर निर्भर हैं, जिसमें न्यायमूर्ति गोगोई भी शामिल थे।
याचिका में कहा गया है, "अदालत के सर्वाधिक वरिष्ठ चार न्यायाधीशों का यह कदम देश की न्याय प्रणाली को नष्ट करने से कम नहीं था। उन्होंने इस अदालत में खास आंतरिक मतभेदों के नाम पर देश में सार्वजनिक हंगामा खड़ा करने की कोशिश की।"
उन्होंने कहा है कि न्यायमूर्ति गोगोई को उनके अवैध और संस्थान विरोधी कदम के लिए झिड़की दी जानी चाहिए थी।
--आईएएनएस