6 हजार साल पुराने इस मंदिर में लगता है शराब का भोग, जानें इसके राज

Update: 2016-05-03 06:40 GMT

लखनऊ: आस्था के नाम पर आए दिन देश के किसी ना किसी कोने में कई चमत्कार देखे जाते है, लेकिन महाकाल की नगरी उज्जैन के काल भैरव मंदिर में जो चमत्कार रोज होता है उसे सुनकर तो आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे । यहां आने वाले भक्तगण काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए शराब का भोग लगाते हैं, और काल भैरव भी अपने भक्तों को निराश नहीं करते हैं । जैसे ही शराब से भरे प्याले काल भैरव की मूर्ति के मुंह से लगाते है तो देखते ही देखते वो शराब के प्याले खाली हो जाते है। खुद वैज्ञानिक भी इस बात का पता नहीं लगा पाए कि आखिर ये शराब जाती कहां है।

6 हजार साल पुराना मंदिर

काल भैरव को मदिरा पिलाने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है। यह कब, कैसे और क्यों शुरू हुआ, ये कोई नहीं जानता। कालभैरव का ये मंदिर लगभग 6 हजार साल पुराना माना जाता है। ये एक वाम मार्गी तांत्रिक मंदिर है। वाम मार्ग के मंदिरों में मांस, मदिरा, बलि, मुद्रा जैसे प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। प्राचीन समय में यहां सिर्फ तांत्रिकों को ही आने की अनुमति थी। वे ही यहां तांत्रिक क्रियाएं करते थे।

यहीं मिली थी ब्रह्म हत्या से मुक्ति

चारों वेदों के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने जब पांचवें वेद की रचना का फैसला किया, तो उन्हें इस काम से रोकने के लिए देवता भगवान शिव की शरण में गए। ब्रह्मा जी ने उनकी बात नहीं मानी। इस पर शिवजी ने क्रोधित होकर अपने तीसरे नेत्र से बालक बटुक भैरव को प्रकट किया। इस उग्र स्वभाव के बालक ने गुस्से में आकर ब्रह्मा जी का पांचवां मस्तक काट दिया। इससे लगे ब्रह्म हत्या के पाप को दूर करने के लिए वह अनेक जगहों पर गए, लेकिन उन्हें मुक्ति नहीं मिली। तब भैरव ने भगवान शिव की आराधना की। शिव ने भैरव को बताया कि उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर ओखर श्मशान के पास तपस्या करने से उन्हें इस पाप से मुक्ति मिलेगी।

40 हजार भक्त रोज करते हैं दर्शन

कालभैरव क्षेत्र में लगे संतों के शिविरों में भले ही ज्यादा भीड़ नजर न आती हो, लेकिन कालभैरव मंदिर में सुबह से रात तक रौनक छाई रहती है। कालभैरव मंदिर में इन दिनों बहुत संख्या में श्रद्धालु आते है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि सुबह से लेकर रात तक लगभग 40 हजार लोग यहां दर्शन करते है।

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