लखनऊ: योग का जिन्न फिर बाहर आ गया है। कुछ मुस्लिम संगठनों और विद्वानों ने योग को गैरइस्लामिक बताया है। तो योग का समर्थन करने वाले हिंदू संगठन नमाज को योग का ही रूप बता रहे हैं।
मुसलमानों का विरोध
-मुस्लिम संगठनों ने 21 जून के अंतरराष्ट्रीय योग आयोजन का विरोध किया है।
-विद्वानों का कहना है कि तौहीद, यानी एकेश्वरवाद और योग एक दूसरे के विरोधाभासी हैं।
-योग में सूर्य नमस्कार और ओम का उच्चारण गैरइस्लामी है।-सूर्य नमस्कार में ईश्वर के साथ दूसरे देवताओं के सामने नतमस्तक होने का विधान है।
-जबकि, इस्लाम में अल्लाह के सिवा किसी के भी सामने सिर झुकाने की मनाही है।
-नमाज खुदा की इबादत के लिए अदा की जाती है, जबकि योग शुद्ध रूप से स्वास्थ्य से जुड़ा होता है।
-इस्लामिक संस्था, देवबन्द के मौलाना अशरफ उस्मानी ने कहा कि नमाज इशारों में भी पढ़ी जा सकती है, लेकिन योग इशारे से नहीं हो सकता।
हिंदुओं का तर्क
-हिंदू विद्वानों का मानना है कि नमाज में भी योग के आसन होते हैं, इसलिए योग का विरोध उचित नहीं है।
-अजान और प्राणायाम एक ही क्रिया के दो रूप हैं। दोनों में सांस को खींचा जाता है। इससे फेफड़ों को लाभ होता है
-नमाज में सलाम फेरते हैं, जो ग्रीवा आसन है। इससे सर्वाइकल की समस्या दूर होती है।
-जलसा में दोनों घुटनों को जोड़ कर बैठते हैं, योग में यही व्रज आसन कहलाता है।
-नमाज में रुकू होता है, जो योग में उत्तासन की तरह होता है।
-क़याम और नमस्कार एक जैसे हैं।
-बाल आसन और सजदे की क्रियाएं एक समान हैं।
पाकिस्तान में योग
-भारत में भले ही योग का विरोध हो रहा हो, लेकिन पाकिस्तान समेत कई मुस्लिम देशों योग तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
-इस्लामाबाद और लाहौर में योगी हैदर की कक्षाओं में तेजी से बढ़ती संख्या हजारों में पहुंच चुकी है।
-हैदर योग के प्रसार के लिए पब्लिक पार्कों में फ़्री क्लासेज़ चलाते हैं।
-हैदर कहते हैं, "इस्लाम कहता है कि इल्म जहां से मिले ले लो।"
-भारत में योग के विरोध को वह राजनीतिक मानते हैं।
-वह कहते हैं, "हिंदुस्तानी सरकार का एजेंडा अल्पसंख्यकों के लिए ठीक नहीं है। इसलिए इसका विरोध हो रहा है।"