13 की उम्र में बनाए 22 मेडिकल ऐप, ब्लड बिना ही होगी मलेरिया की जांच

कहते हैं हुनर किसी उम्र का मोहताज नहीं होता। यही सच कर दिखाया है 13 साल के एक स्टूडेंट ने जिसने घर बैठे ही एक ऐसा ऐप तैयार किया है जिसके जरिए 5 मिनट में ही बिना ब्लड टेस्ट करवाए मलेलिया के लक्षणों का पता घर बैठे लगा ही सकेंगे। 13 साल के इस छोटे से इंजीनियर ने अब तक कुल 22 मेडिकल ऐप तैयार कर लिए हैं, लेकिन मलेरिया के ऐप के लिए फेसबुक ने उसे 33 हजार का अवार्ड भी दिया है। 13 साल का यह बच्चा अब एड्स और पोलियों का ऐप बनाने की तैयारी कर रहा है।

Update:2016-08-13 17:23 IST

शाहजहांपुर: कहते हैं हुनर किसी उम्र का मोहताज नहीं होता। यही सच कर दिखाया है 13 साल के एक स्टूडेंट ने जिसने घर बैठे ही एक ऐसा ऐप तैयार किया है जिसके जरिए 5 मिनट में ही बिना ब्लड टेस्ट करवाए मलेरिया के लक्षणों का पता घर बैठे लगा ही सकेंगे। 13 साल के इस छोटे से इंजीनियर ने अब तक कुल 22 मेडिकल ऐप तैयार कर लिए हैं, लेकिन मलेरिया के ऐप के लिए फेसबुक ने उसे 33 हजार का अवार्ड भी दिया है। 13 साल का यह बच्चा अब एड्स और पोलियों का ऐप बनाने की तैयारी कर रहा है।

दरअसल 13 साल के नमन तिवारी कोतवाली के चौक मोहल्ले में रहते हैं और उनके पिता अनूप तिवारी मेडिकल फार्मासिस्ट हैं। नमन तिवारी शाहजहांपुर में तकशिला पब्लिक स्कूल में क्लास 9वीं का स्टूडेंट है वह अपने स्कूल में सबसे होनहार स्टूडेंट है। नमन कंप्यूटर एप्लीकेशन तैयार करने में माहिर है। उसके इस काम में उसकी मम्मी का सबसे ज्यादा योगदान रहा है। उन्होने अपने बेटे की जरूरत की वो हर चीज मुहैया कराई जिससे वो नए-नए ऐप तैयार कर सके। परिवार को अपने इस लाडले पर गर्व है जिसके कारण आज शाहजहांपुर का नाम सुर्खियों में आया है।

महज 13 की साल की उम्र में नमन अब तक 22 मेडिकल बेस्ड ऐप तैयार कर चुके हैं। हाल ही में नमन ने दुनिया में तेजी से फैल रही मलेरिया की बीमारी को लेकर एक ऐप तैयार किया है जिसके जरिए दुनिया में कोई भी व्यक्ति बिना ब्लड टेस्ट करवाए मलेरिया के लक्षण का पता लगा सकता है।

इस ऐप का नाम मलेरिया डिफेन्डर है। इस ऐप की खास बात यह है इस ऐप के साथ डॉक्टर्स के एक हब को भी जोड़ा गया है जिनसे आप राय ले सकते हैं। फेसबुक ने इसी मलेरिया ऐप के लिए नमन को 33 हजार का क्रेडिट अवार्ड दिया है।

नमन तिवारी ने बताया कि उसने न्यूज पेपर, न्यूज चैनल, सोशल मीडिया में देखा कि सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में करीब 3.2 बिलियन लोग मलेरिया के शिकार हैं। सभी लोग डॉक्टर्स के पास सलाह नहीं ले पाते हैं। उनके लिए ये ऐप बहुत कारगर साबित होगा। सबसे पहले इस ऐप को डाउनलोड करना होगा। डाउनलोड होने के बाद इस ऐप को ओपन करने पर में यस या नो का आप्शन आएगाऐप यस पर क्लिक करते ही आपको पता चल जाएगा कि आपको मलेरिया है या नहीं।

नमन का कहना है कि उसके इस ऐप बनाने में फेसबुक का बहुत बङा योगदान है। नमन ने बताया कि फेसबुक आर्गेनाइजेशन एफबी स्टार्ट ने उनको कई ऐसे टूल्स दिए जो इस ऐप को बनाने के लिए जरुरी थे। नमन ने बताया कि फेसबुक ने उसे कई सॉफ्टवेयर और साथ ही पांच सौ डॉलर के ऐप क्रेडिट का सहयोग भी किया। नमन ने बताया कि वह बड़ा होकर सॉफ्टवेर इंजीनियर बनना चाहता है।

नमन का कहना है कि फेसबुक ने उसकी बहुत मदद की। उसकी मदद के बगैर वह कुछ नही कर पाते। नमन का कहना है कि अब वह पोलियो, मलेरिया और एचआईवी जैसी बिमारियों का ऐप बनाना चाहते हैं। जिसके बारे में लोग घर बैठे जान सके, लेकिन इसके लिए उसे सरकार से मदद चाहिए जो अभी तक नहीं मिला पा रही है।

नमन की मां रंजना तिवारी, की मानें तो जब उनका बेटा नमन छोटा था तो उसका रुझान कंप्यूटर की तरफ ज्यादा था। स्कूल के बाद वह पूरा दिन कंप्यूटर पर गेम खेलता रहता था। एक बार नमन कंप्यूटर के पास बैठा था तभी उनकी नजर पड़ी तो नमन बिलगेट्स की प्रोफाइल देख रहा था। नमन बचपन से ही दुनिया की कई अच्छी पर्सनैलिटी के बारे में जानना चाहता था तभी उन्हे अहसास हुआ कि उनका बेटा कंप्यूटर और इंटरनेट का गलत इस्तेमाल नहीं कर रहा है।

अपनी मां रंजना के साथ नमन

अचानक उनके बेटे ने ऐसा कर दिखाया जिससे उनको अपने बेटे पर गर्व होने लगा। नमन एक ऐप तैयार किया जिसका नाम मलेरिया डिफेन्डर है। उनका कहना है कि उनके बेटे ने आजादी का गलत फायदा नहीं उठाया। वरना इस उम्र में बच्चे इंटरनेट का गलत इस्तेमाल करते हैं।

नमन की मान का कहना है कि इसमें कोई दो राय नही कि अगर नमन को सही मार्गदर्शन मिले, तो वह और भी कई बीमारियों से जुड़े ऐप तैयार कर सकता हैं, लेकिन मलेरिया का पता लगाने का उसका ये ऐप सबसे ज्यादा लाईक किया जा रहा है। फिलहाल फेसबुक के अधिकारी और सॉफ्टवेर कंपनी के कई अधिकारी लगातार नमन के संपर्क में हैं, लेकिन कम उम्र होने की वजह से नमन उनके साथ सीधे नही जुड़ पा रहा है।

Tags:    

Similar News