नवरात्रि स्पेशल: बिगड़ा काम बनाने के लिए कभी आपने की है ऐसी पूजा

नवरात्रों में भक्‍त मां दुर्गा को खुश करने के लिए अपने-अपने अनोखे तरीकों से उनकी पूजा करते हैं। इतना ही नहीं उन्‍हें प्रसन्‍न करने के लिए अलग अलग मंदिरों में जाकर देवियों को उनकी पसंद का प्रसाद भी चढ़ाते हैं। कई मंदिरों में तो मौसम के हिसाब से प्रसाद चढ़ाने का चलन है।

Update: 2018-03-19 09:35 GMT

लखनऊ: नवरात्रों में भक्‍त मां दुर्गा को खुश करने के लिए अपने-अपने अनोखे तरीकों से उनकी पूजा करते हैं। इतना ही नहीं उन्‍हें प्रसन्‍न करने के लिए अलग अलग मंदिरों में जाकर देवियों को उनकी पसंद का प्रसाद भी चढ़ाते हैं। कई मंदिरों में तो मौसम के हिसाब से प्रसाद चढ़ाने का चलन है।

हम आपको लखनऊ के साथ-साथ पूरे उत्‍तर प्रदेश के ऐसे ही अनोखे मंदिरों और उसमें चढ़ाए जाने वाले प्रसाद से रूबरू करा रहे हैं। इस अनोखे प्रसाद के चढ़ावे के साथ-साथ पीढ़ियों पुराना मनौती मांगने का रिवाज भी अभी चलन में है।

शीतला देवी मंदिर, लखनऊ:

शीतला देवी मां का मंदिर टिकैत राय तालाब के पास स्थित है। यहां मौसम के हिसाब से देवी को प्रसाद चढ़ाया जाता है। इसमें गर्मियों के मेन्‍यू की बात करे तो गर्मियों में यहां हलवा, पूरी, चना, नारियल, पान और सुपाड़ी का भोग लगाया जाता है। वहीं सर्दियों के मेन्यू में यहां लौंग, सूखा मेवा, बताशा, केला और अन्य मौसमी फल देवी की थाली का हिस्सा बनते हैं।

चंद्रिका देवी मंदिर:

मां चंद्रिका देवी का मंदिर लखनऊ के बख्‍शी का तालाब में स्थित है। यहां भी भक्‍त गर्मी और सर्दी में अलग अलग प्रसाद चढ़ाकर अपनी मनौती मांगने आते हैं। इसमें गर्मियों में यहां देवी को चावल की खीर, मालपुआ, हलवा और मौसमी रसीले फल का भोग लगाया जाता है। तो वहीं सर्दियों में यहां देवी को नारियल, मिश्री, मेवा, पूड़ी, मीठे पारे और बेसन के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है।

मां पूर्वी देवी मंदिर:

मां पूर्वी देवी का मंदिर, लखनऊ के हुसैनाबाद इलाके में है। यहां इस समय देवी को पूरी, कददू की सब्जी, किश्मिश का हलवा और बताशे का भोग लगाया जाता है। जबकि सर्दियों के समय यहां पर मखाने, इलायची, सुपाड़ी, पान, सूखे मेवे और मौसमी फलों का भोग लगाया जाता है।

बुद्धा देवी मंदिर, कानपुर:

मां बुद्धा देवी का मंदिर कानपुर के मूलगंज इलाके में है। यहां पर लौकी, बैंगन , पालक, टमाटर, गाजर, मूली और आलू समेत सीजनल सब्जियों का भोग लगाया जाता है।

कौड़िया देवी, वाराणसी:

मां कौडि़या देवी वाराणसी के खोजवा इलाके में स्‍थापित हैं। यहां मां दुर्गा को कौडि़यों का भोग लगाया जाता है। यहां पर खीर के साथ कौड़ी, खासकर पीली कौड़ी चढ़ाने का चलन है। मान्‍यता है कि यहां कौड़ी चढ़ाने से रोडपति भी करोड़पति बन जाता है।

तरकुलहा देवी, गोरखपुर:

गोरखपुर मुख्‍यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर तरकुलहा देवी का मंदिर स्थित है। ये पूरा इलाके एक तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध है। यहां पर मां तरकुलहा देवी को प्रसन्‍न करने के लिए भक्‍त बकरे और मुर्गे का मीट चढ़ाते हैं।

शाकुंभरी देवी, सहारनपुर:

शाकुंभरी देवी का मंदिर सहारनपुर के बेहट में स्‍थापित है। यहां पर प्रसाद के रूप में मौसमी सब्जियों के साथ पूरा कच्चा खाना जिसमें रोटी, कददू की सब्जी, दाल और चावल को चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि देवी इस प्रसाद से मन मांगी मुरादें पूरी करती हैं।

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