PM मोदी को यहां याद आया था अपना बचपन, भावुक होकर लिखा था पूरा पेज

Update: 2016-02-21 13:29 GMT

वाराणसी: पीएम नरेंद्र मोदी आज रात काशी के डीएलडब्ल्यू गेस्ट हाउस में रुकेंगे। पीएम 7 नवंबर 2014 के काशी दौरे में भी यहीं रुके थे। यहां उन्हें अपना बचपन याद आ गया था। वह भी बनारस में गुजराती खिचड़ी खाकर। डीएलडब्ल्यू में पीके मल्होत्रा ने ऐसी सेवा की कि पीएम भावुक हो उठे। पीके और उनकी टीम की तारीफ में पीएम ने रजिस्टर का एक पन्ना भर दिया था।

कौन हैं पीके मल्होत्रा

-पीके मल्होत्रा पर थी।डीएलडब्ल्यू ऑफिसर्स गेस्ट हाउस के कैंटीन मैनेजर हैं।

-मल्होत्रा 40 साल रेलवे की सेवा करने के बाद 2005 में रिटायर हो चुके हैं।

-लेकिन उनके हुनर और हाथों में स्वाद भरा होने के कारण डीएलडब्लू ने उन्हें कॉन्ट्रैक्ट पर रख लिया है।

-पीएम मोदी की आवभगत कर मल्होत्रा काफी खुश हुए। वह कहते नहीं थकते कि उनके 49 साल की सेवा का इनाम मिल गया है।

अपनी टीम के साथ पीके मल्होत्रा

दूध नहीं चाय की फरमाईश

-मल्होत्रा ने 8 नवंबर की सुबह जब ब्रेकफास्ट में पीएम को दूध पेश किया तो मोदी ने इनकार कर दिया।

-मोदी बोले-अदरक वाली चाय पिलाओ। मल्होत्रा चाय लेकर आए तो उन्होंने दो प्याली चाय पी।

-इससे पहले मोदी के सामने ब्रेकफास्ट में पोहा, उपमा, कटलेट और ब्रेड-बटर पेश किया गया।

-7 नवंबर की रात पीएम ने डिनर में गुजराती खिचड़ी, चावल-दाल, दो तरह की सब्जी और दही पापड़ खाया।

-डिनर के बाद जब पीके मल्होत्रा ने उनके सामने स्वीट डिश के रूप में रसमलाई पेश की तो पहले पीएम ने मना कर दिया।

-इस पर मल्होत्रा ने गुजारिश की कि यह बनारस की मशहूर स्वीट डिश है। मोदी उनके आग्रह को टाल नहीं सके।

-लंच में मोदी ने मटर पनीर, मिक्स्ड वेज, केसरिया दही, सादा दही-रोटी और चावल का स्वाद लिया।

पीएम ने खाया था पोहा और उपमा, पी थी अदरक वाली चाय

 

पीके को लगाया था गले

-अपने दौरे के आखिरी कार्यक्रम में शरीक होने के लिए निकलने से पहले उन्होंने मल्होत्रा को बुलाया।

-उनसे विदा लेने पर मल्होत्रा ने पहले पीएम के पैर छूकर आशीर्वाद मांगा तो पीएम ने उन्हें गले लगा लिया और भावुक हो गए।

-पीएम बोले, 'मल्होत्रा जी, बचपन रेल के साथ ही गुजरा है और आज आपने मेरी आंखों के सामने से बचपन गुजार दिया।'

-मल्होत्रा बताते हैं कि पीएम ने इसके बाद उन्हें गेस्ट रजिस्टर लाने के लिए कहा। पीएम ने रजिस्टर पर अपनी भावनाएं कुछ यूं उड़ेली

 

बचपन से मेरा नाता रेल से रहा है,

रेल के स्टाफ से रहा है,

रेल के डिब्बों से रहा है,

रेल के यात्रियों से रहा है

डीएलडब्लू परिसर में ठहरा हूं

रेलवे के माहौल ने मेरा बचपन याद करा दिया

शायद पहली बार,

पूरा समय बचपन, वो रेल के डिब्बे

वे यात्री, सबकुछ

मेरी आंखों के सामने जिंदा हो गया

वे यादें बहुत ही भावुक हैं

यहां सबका अपनापन

बहुत भाया

सभी कर्मयोगी भाइयों को

धन्यवाद.

अब तो मुझे बार-बार

यहां आना होगा

फिर बचपन की स्मृतियों के साथ

नए सामंजस्य, संभावना बनेगी

मां गंगा का प्यार और आशीर्वाद

सदा हमको निर्मल बनाए

हमारी सोच को निर्मल बनाए

यही प्रार्थना।

(नरेंद्र मोदी) 8.11.2014

पीएम ने रजिस्टर में लिखी थी अपनी भावनाएं

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