इन रस्मों के बिन अधूरी है शादी की शहनाई, इनका है साइंटिफिक रीजन

Update: 2016-04-19 09:51 GMT

लखनऊ: जमाना कितना ही बदल जाए। लड़के और लड़कियां कितने शादी को लेकर कितने ही चूजी क्‍यों न हो जाएं या फिर शादी की शॉपिंग के मामले में कितने ही स्‍टाइलिश क्‍यों न हो जाएं, उनकी शादी का मजा तब तक नहीं आता है, जब तक शादी में सदियों से चली आ रही रस्‍में न हों। एक शादी तभी पूरी होती है, जब उसमें दूल्‍हा-दुल्‍हन अपनी परंपराओं को दोहराते हैं। ये परंपराए कहने को भले ही पुरानी हों, लेकिन अगर किसी की शादी में ये रस्‍में न हों, तो खाली-खाली सा लगता है। वैसे भी हमारे भारत देश को रस्‍मों और रिवाजों का ही देश कहा जाता है। यहां इंसान के पैदा होने से लेकर मरने तक रस्‍में ही रस्‍में होती हैं।

आज के कुछ युवा पीढ़ी शायद इन रस्‍मों की अहमियत कम समझती है, लेकिन उन्‍हें ये जानकर हैरानी होगी कि शादी में निभाई जाने वाली रस्‍मों के पीछे भी एक वैज्ञानिक तर्क होता है। बताते हैं आपको इन रस्‍मों के वैज्ञानिकी फायदे-

मेंहदी लगा के रखना

जब भी एक लड़की की शादी तय हो जाती है, तो वो सबसे पहले एक अच्‍छे मेंहदीं डिजायनर को ढूंढना शुरू करती है। पर क्‍या आप जानते हैं कि मेंहदी लगाने का यह शौक कितना फायदेमंद होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार मेहंदी मे एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं। ये हमारे शरीर को ठंडक पहुंचाने का काम करती है। इस मेंहदी में इतने औषधीय गुण होते हैं कि ये कई प्रकार के संक्रमण और हानिकारक वायरल से भी बचाती है। इसे शादी में उपयोग करने से ये दूल्‍हा-दुल्‍हन दोनों को शादी के समय सर दर्द, बुखार, तनाव से राहत दिलाते हैं।

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हल्दी लगाओ रे, तेल चढ़ाओ रे, बन्नी का गोरा बदन दमकाओ रे

हल्दी जितनी खाने के स्‍वाद को बढ़ाती है, उतना ही त्‍वचा को निखारने में मदद करती है। तभी तो शादी से पहले की रस्‍मों में हल्‍दी रस्‍म का खासा महत्‍व होता है। इसे शादी में दूल्‍हा दुल्‍हन की त्‍वचा में प्राकृतिक निखार लाने के लिए और बुरी नजर से बचाने के लिए उपयोग किया जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार हल्‍दी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को मारकर त्वचा में निखार लाते हैं।

चुटकी भर सिंदूर की कीमत समझो दूल्‍हे बाबू

सिंदूर हमारी संस्‍कृति का सबसे अहम हिस्‍सा माना जाता है। कहते हैं कि जबतक एक शादीशुदा लड़की की मांग में सिंदूर न हो, वो कितना भी सज-संवर ले, अच्‍छी नहीं लगती। लेकिन सिंदूर की सबसे खास बात यह है कि सिंदूर में बहुत सारे औषधीय तत्व जैसे हल्दी, चूना, कुछ धातु और पारा होते हैं। हल्दी बैक्‍टीरिया को खत्‍म करती है। पारा शरीर को ठंडक पहुंचाने में मदद करता है। इससे शरीर को आराम भी मिलता है। सिंदूर यौन इच्छा को बढ़ाने का भी काम करता है। इसलिए सिंदूर को विधवा और कुंवारी कन्याओं को लगाने से मना किया जाता है।

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चूड़ी जो खनकेगी हाथों में

“बिंदिया चमकेगी, चूड़ी खनकेगी” एक जमाने में मुमताज का इस गाने ने जमकर धूम मचाई थी। हर शादीशुदा लड़की अपने रूठे साजन को मनाने के लिए इसी गाने पर ठुमके लगाती थी। चूड़ियां शादीशुदा लड़कियों के लिए हिंदू रिवाजों में बहुत जरूरी माना गया है। वैज्ञानिक मानते हैं कि जब कोई लड़की चूड़ी पहनती है, तो इसे पहनने से कलाई के एक्यूप्रेशर प्‍वाइंट दब जाते हैं। जो स्वास्थ्‍य के लिए अच्छा होता है। चूड़ी की रगड़ से ब्‍लड सर्कुलेशन की गति ठीक रहती है।

जब सातों फेरे होंगे, हाथों में लेके हाथ

आग को वैसे भी हिंदू समाज में देवता का दर्जा दिया जाता है। कहते हैं कि अग्नि के चारों और फेरे लेने के बहुत सारे वैज्ञानिक कारण हैं। जैसे जब अग्नि जलती है, तो उसमें कई सारी चीजें डाली जाती हैं। इन चीजों को डालने से बहुत से फायदे होते हैं। उसमें डालने वाली चीजों से आसपास का वातावरण शुद्ध होता है। उस जगह के सारे बैक्‍टीरिया खत्म हो जाते हैं और वहां मौजूद सभी लोगों के मन में एक पॉजिटिविटी आती है।

बिछुए पहनने वाली रस्‍म:

हिंदू मान्यताओं के अनुसार हर एक कन्या को शादी के समय बिछुए को अपने पैर के दूसरी उंगली मे पहनना जरूरी होता है। लेकिन इसके दो वैज्ञानिक कारण हैं पहला पैर के दूसरी उंगली में एक खास प्रकार की नस होती है, जो सीधा गर्भाशय से दिल तक जाती है। ये गर्भाशय को मजबूत करने में सहायक होता है। दूसरा बिछुए चांदी के बने होते हैं, जो पृथ्वी के ध्रुवीय ऊर्जा का शरीर में स्थानांतरित करने मे उपयोग होता है। ये मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित और नियमित करने में सहायक होता है।

 

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