शर्मनाक: शव ले जाने के लिए नहीं थे पैसे, कहा- अस्पताल में ही दफन कर दो

झारखंड के दुमका में एक अनुसूचित जाति के परिवार को तकरीबन चार घंटे तक मासूम बच्चे के शव को हाथ में लेकर अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ गये। उसके बाद भी उसे सरकारी स्तर पर निशुल्क एंबुलेंस नहीं मिली तो वहां मौजूद लोगों ने चंदा एकत्र किया। अस्पताल में मौजूद लोगों ने आपस में चंदा इकट्ठा कर परिजनों को शव के साथ दुमका भेजा।

Update:2019-02-02 15:02 IST

झारखंड: झारखंड के दुमका से इंसानियत को शर्मशार कर देने वाली खबर सामने आई है। यहां एक अनुसूचित जाति के परिवार को तकरीबन चार घंटे तक मासूम बच्चे के शव को हाथ में लेकर अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ गये। उसके बाद भी उसे सरकारी स्तर पर निशुल्क एंबुलेंस नहीं मिली तो वहां मौजूद लोगों ने चंदा एकत्र किया।

अस्पताल में मौजूद लोगों ने आपस में चंदा इकट्ठा कर परिजनों को शव के साथ दुमका भेजा। इस दौरान उन्हें शव दुमका ले जाने का इरादा छोड़कर धनबाद में ही दफन कर देने का सुझाव भी दिया गया।

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यह है मामला

दुमका नगर पालिका के सफाईकर्मी लखन हाड़ी के ढाई वर्षीय पुत्र भोला की तीन दिनों से तबीयत खराब थी। वहां परिजनों ने स्थानीय डॉक्टरों से उपचार कराया पर बच्चा ठीक नहीं हुआ।

एक दैनिक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को उसकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई। इसके बाद परिजन उसे लेकर दुमका सदर अस्पताल ले गए। वहां से बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे पीएमसीएच रेफर कर दिया गया। दुमका से सरकार की 108 निश्शुल्क एंबुलेंस से परिजन बच्चे को लेकर पीएमसीएच आ गए। पीएमसीएच में परिजनों को उतारकर दुमका की एंबुलेंस लौट गई। इस बीच पीएमसीएच में बच्चे की जांच की गई तो उसे मृत पाया गया।

शव ले जाने को नहीं थी राशि : डॉक्टरों द्वारा बच्चे को मृत घोषित करते ही परिजनों पर वज्रपात हो गया। वे रोने बिलखने लगे। परिजनों के पास एंबुलेंस में शव ले जाने को भी पैसे नहीं थे। उन्होंने वहां के कर्मियों को इसकी जानकारी दी तो कर्मियों ने वरीय अधिकारियों को बताने को कहा। परिजन गोद में बच्चे का शव लेकर निश्शुल्क एंबुलेंस मिलने की उम्मीद में अधिकारियों के पास काफी देर तक भटकते रहे लेकिन कोई मदद नहीं मिली। आखिरकार परिजन निराश होकर अस्पताल परिसर में ही बैठकर रोने लगे।

शव दुमका क्यों ले जाना, वहीं दफन कर दो

परिजनों ने मदद की आस में अपने एक दो परिचितों को फोन किया तो उन्होंने उनकी बेबसी समझ कर सुझाव दिया कि जब पैसा नहीं है तो शव दुमका क्यों ले जा रहे हो। वहीं अस्पताल में कहीं दफन कर दो और ट्रेन से घर लौट जाओ। पर परिजन इसके लिए तैयार नहीं थे। वे शव को दुमका स्थित घर ले जाना चाह रहे थे।

लोगों ने चंदा कर भेजा शव

इस बीच मामले की जानकारी पीएमसीएच में एंबुलेंस चलानेवाले निजी चालकों और अन्य लोगों को हुई। उन्होंने आपस में चंदा कर देर शाम को शव निजी एंबुलेंस की सहायता से दुमका भेजने का प्रबंध किया।

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