लखनऊः कुछ तस्वीरें होती हैं, जो हमेशा याद रहती हैं। एक तस्वीर साल 2008 के 26 नवंबर की है। दूसरी तस्वीर है 2016 के 2 जून की। तस्वीरों में एक चीज समान है। ये उन दो जांबाजों की आखिरी तस्वीरें हैं, जो उनकी शहादत के कुछ देर पहले ही ली गईं।
इस तस्वीर में दाईं ओर मथुरा के एसपी मुकुल द्विवेदी हैं। बाईं तरफ नीचे की तस्वीर रात के अंधेरे में मुंबई पर हमला करने वाले आतंकियों से निपटने के लिए जाते हेमंत करकरे की है। खास बात ये भी है कि दोनों बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर मैदान में उतरे थे, लेकिन शहीद हो गए।
मुकुल ने पाई जवाहर बाग में शहादत
मुकुल द्विवेदी मथुरा के एसपी सिटी थे। 2 जून को वह पुलिसबल के साथ जवाहर बाग पर कब्जा जमाए बैठे रामवृक्ष यादव और उसके साथ के करीब तीन हजार लोगों को वहां से खदेड़ने चले। हिंसा की आशंका थी, सो 270 एकड़ के बाग में जाने से पहले उन्होंने बुलेट प्रूफ जैकेट पहनी। तस्वीर में बाग में जाने से पहले वह जैकेट पहनते दिख रहे हैं। ये मुकुल की आखिरी तस्वीर है। जिसके बाद हिंसा करने वालों से निपटने के दौरान वह शहीद हो गए।
कसाब के हाथों शहीद हुए थे करकरे
तस्वीर में जो इनसेट लगा है, वह महाराष्ट्र एटीएस के चीफ रहे हेमंत करकरे की आखिरी तस्वीर है। 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से आए आतंकी अजमल आमिर कसाब और उसके 9 अन्य साथियों ने जब मुंबई में खून की होली खेलनी शुरू की, तो हेमंत करकरे मैदान में उतर पड़े थे। उनकी ये तस्वीर मुंबई के कामा हॉस्पिटल के पास की है। जब वह बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर कसाब और उसके साथियों से दो-दो हाथ करने जा रहे थे। कामा हॉस्पिटल से कुछ दूरी पर ही कसाब और उसके एक साथी ने छिपकर करकरे और उनके साथ पुलिस वैन में सवार डीआईजी अशोक काम्टे और इंस्पेक्टर विजय सालस्कर पर गोलियां बरसाईं थीं। जिसमें हेमंत और बाकी सभी शहीद हो गए थे।
बुलेटप्रूफ जैकटें नहीं बचा सकीं जान
दोनों जांबाजों की तस्वीरों की एक समानता ये भी है कि चाहे मुकुल द्विवेदी हों या हेमंत करकरे, दोनों बुलेट प्रूफ जैकट पहने होने के बावजूद शहीद हो गए। करकरे की शहादत के बाद पता चला था कि उन्होंने जो बुलेट प्रूफ जैकेट पहनी थी, वह घटिया क्वालिटी की थी। मथुरा में एसपी मुकुल द्विवेदी के पेट में भी गोली लगने की बात सामने आ रही है। जबकि उन्होंने भी जैकेट पहन रखी थी। तो सवाल ये है कि क्या करकरे की ही तरह उस जैकेट की क्वालिटी भी घटिया थी, जो मुकुल ने पहनी थी?