लखनऊ: अतीत का हिस्सा बन चुकीं लग्जरी विंटेज कारें रविवार को एक बार फिर सुहाने सफर पर निकलीं। जब ये शोख हसीनाएं सड़क पर उतरीं तो वहां खड़े लोगों ने पहले उन्हें जी भर के निहारा और फिर ठंडी आहें भरीं। कोई उन्हें छूकर देखना चाहता था तो कोई उनके साथ सेल्फी लेकर इस पल को अपनी यादों में सहेजना चाहता था। लोगों की दीवानगी देखकर ये कहना गलत न होगा कि सभी के दिल में सिर्फ एक बात थी कि 'काश तुम मेरी होती !'
लखनऊ महोत्सव के तहत आयोजित विंटेज कार रैली को जिलाधिकारी राजशेखर ने झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होनें विंटेज कार मालिकों से बातचीत की और वाहनों को बेहतर ढंग से संजोए रखने के लिए वाहन मालिकों को बधाई दी। ये रैली हजरतगंज से शुरू होकर परिवर्तन चौक, रूमी गेट और 1090 चौराहे से होते हुए इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान पर खत्म हुई।
परिवार का हिस्सा है ये गाड़ी
साल 1928 में बनी कार 'फोर्ड ए' को लेकर जब रोहित अपने घर से निकले तो उनके लिए ये सफर किसी शान से कम नहीं था। रोहित बताते हैं कि शौक की खातिर उन्होंने इस गाड़ी को लिया था, लेकिन अब ये गाड़ी परिवार का हिस्सा है। सब इसे परिवार के सदस्य की तरह ही प्यार करते हैं और देखभाल भी।
इन विंटेज कारों ने बिखेरे जलवे
रविवार को लखनऊ महोत्सव के तहत आयोजित विंटेज कार रैली में आजादी के पहले की कारों और मोटर साइकिलों ने सड़क पर अपने जलवे बिखेरे। आस्टिन ए, आस्टिन-6, आस्टिन-7, पैकार्ड, आस्टिन-8 विली जीप, फोर्ड ए स्टार, मोरिस माइनर, आदि बरसों पुरानी गाड़ियां इस रैली में शामिल हुईं।
नीचे की स्लाइड्स में देखिए, विंटेज कार रैली की कुछ और तस्वीरें...
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