CIA ने अमेरिका को जन्नत बनाने के लिए दुनिया को दोजख बना दिया, जानिए पूरी कुंडली

Update:2018-08-28 16:56 IST

नई दिल्ली : आज हम आपको बताएंगे अमेरिका की बहुचर्चित खुफिया एजेंसी सीआईए के बारे में। सीआईए मोसाद जितनी खूंखार और रहस्यमय तो नहीं है। लेकिन इसके जैसी शातिर और जोड़तोड़ के खेल में माहिर कोई दूसरी सुरक्षा एजेंसी दुनिया में नहीं है।

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कैसी है सीआईए की जन्मकुंडली

सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी यानि की सीआईए की स्थापना 18 सितंबर 1974 में तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ए ट्रूमैन ने की थी। पहले डायरेक्टर बने आर्थर डलेस। इसका मुख्यालय वर्जीनिया में है। सीआईए डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस को रिपोर्ट करती है। सीआईए के जिम्मे साइबर क्राइम, आतंकवाद रोकने और देश की सुरक्षा है।

सीआईए ने दुनिया भर में सत्ता परिवर्तन किए और आतंकवाद को बढ़ावा भी दिया। आज जो भी आतंकी संगठन दुनिया भर में बवाल मचाए हुए हैं वो इसी की देन हैं। अमेरिका के दुश्मनों के खिलाफ सीआईए ने दुश्मन खड़े किए उन्हें धन ट्रेनिंग और हथियारों के साथ जमीन भी मुहैया कराई।

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‘सीआईए’ पर खर्च होते हैं अरबों डॉलर

खबरों के मुताबिक सीआईए को 2017 में सरकार ने 12.82 अरब डॉलर का बजट दिया था।

सीआईए की शैली

एजेंसी ‘ह्युमिंट‘ शैली में काम करती है। इस शैली में तकनीक की तुलना में जासूसों पर ज्यादा भरोसा किया जाता है। सीआईए को लगता है कि तकनीक फेल हो सकती है। उसे हैक किया जा सकता है। लेकिन एक इंसान जिसने देश के लिए जान देने का मन बना लिया वो कभी भी गद्दारी नहीं करेगा।

ये तो रही कुंडली अब बात करते हैं सीआईए के उन बड़े कांड के बारे में जिन्होंने दुनिया को बताया कि ये कितनी शातिर और खतरनाक है

अफगानिस्तान में विद्रोहियों का पालन पोषण

वर्ष 1978 से 2001 तक सीआईए ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा ज़माने और वहां से पहले सोवियत संघ और उसके बाद रूस के दखल को कम करने के लिए विद्रोहियों को मिलेट्री ट्रेनिंग दी, पैसा दिया और खतरनाक हथियार मुहैया कराए। बाद में ये अमेरिका के लिए ही मुसीबत बन बैठे। लेकिन आरम्भ में इन्होने अफगानिस्तान से सोवियत सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था।

मिशन फ्योनिक्स

वर्ष 1965 से 1972 के बीच सीआईए ने मिशन फ्योनिक्स चलाया। इसमें अमेरिकी सेना के साथ ही ऑस्ट्रेलियन और दक्षिण वियतनामी सेना भी शामिल थी। इसके अंतर्गत उत्तर वियतनाम में सेना के साथ आम नागरिकों को भी निशाना बनाया गया। उस दौर में हजारों लोगों का अपहरण हुआ। बिना किसी आरोप के उन्हें मार दिया गया। हजारों युवतियों के साथ गैंगरेप किया जाता था। गुप्तांगों को काट दिया जाता था। कुत्तों से कटवाया जाता था। जब इसकी हकीकत दुनिया के सामने आई तो इस मिशन को बंद कर एफ-6 कार्यक्रम आरंभ किया गया।

ऑपरेशन केऑस

वर्ष 1960 से 1980 के बीच चले इस ऑपरेशन में लाखों अमेरिकियों की जासूसी की गई। इनमें बड़ी तादात अमेरिकी मुस्लिमों की थी।

ऑपरेशन मॉकिंगबर्ड

इस ऑपरेशन के लिए सीआईए ने सैकड़ों पत्रकारों का इस्तेमाल किया। पत्रकारों को फौजी ट्रेनिंग दे उन्हें उस देश में भेजा जाता था जहां अमेरिका के खिलाफ माहौल होता। क्योंकि पत्रकार को हर देश में सम्मान की नजर से देखा जाता रहा है। ऐसे में सीआईए इसे खोजी पत्रकारिता का नाम देती थी। ये पत्रकार सीआईए को तमाम जानकारी देते थे। लेकिन जब इस ऑपरेशन के बारे में अमेरिका के दुश्मनों को पता चला तो कई अमेरिकी पत्रकारों की हत्याएं हुईं। दिवंगत पत्रकार डेनियल पर्ल पर भी सीआईए एजेंट होने के आरोप लगे।

लादेन का डीएनए

वर्ष 2010 से 2011 के मध्य सीआईए ने पाकिस्तान के एटबाबाद में अल-कायदा मुखिया ओसामा बिन लादेन का डीएनए एकत्रित करने के लिए बड़े स्तर पर टीकाकरण कार्यक्रम चलाया। ये ऑपरेशन दुनिया के सामने तब आया जब ओसाबा को अमेरिकी कमांडों ने मार गिराया।

कैंप सिटी

वर्ष 1959 से 1980 मध्य सीआईए ने ग्रीनलैंड में भूमिगत परमाणु ऊर्जा चालित शहर बनाने की योजना तैयार की थी।

आपको बता दें, ग्रीनलैंड अमेरिका का हिस्सा नहीं है। इसके बाद भी बर्फ के नीचे 200 लोगों के लिए कैंप सिटी बसा दी गई। यहां परमाणु हमले की स्थिति में रहा जा सकता था। इसे बाद में अमेरिकी सेना ने अपने कब्जे में ले लिया। योजना ये थी की यहां 600 परमाणु मिसाइलों को रखा जाएगा। लेकिन तकनीकी खामियों की वजह से कैंप सिटी को बंद कर दिया गया।

प्रोजेक्ट रेसिस्टेंस

सीआईए ने वर्ष 1967 से 1973 के मध्य डोमेस्टिक ऑपरेशंस डिवीजन से उन लोगों की जासूसी करवाई जो उसके लिए खतरा बन सकते थे। प्रोजेक्ट रेसिस्टेंस के दौरान कई लोग गायब हुए, जिनका कोई पता नहीं चला।

स्टारगेट प्रोजेक्ट

सीआईए ने 1978 से 1995 स्टारगेट प्रोजेक्ट चलाया। इसके लिए उसने जॉर्ज जी मॉएड के किले को सैन्य हेडक्वार्टर में बदल दिया। इस प्रोजेक्ट में सैटेलाइट के जरिए विरोधी देशों के सैन्य ठिकानों पर नजर रखी जाती थी।

ऑपरेशन क्यूफायर

सीआईए ने 1950 के दशक में ग्वाटेमाला में ऑपरेशन क्यूफायर चलाया। इस के निशाने पर थे चे-ग्वेरा जिन्हें टॉर्चर कर मौत के घाट उतार दिया गया।

ऑपरेशन वॉशटब

सीआईए ने 1954 में ऑपरेशन वॉशटब ग्वाटेमाला को बदनाम करने और उसे नेस्तनाबूद करने के लिए चलाया। सीआईए एजेंट्स ने निकारागुआ में रूसी जंगी जहाज तैनात होने की खबर फैलाई। इसके बाद विश्व मंच पर ग्वाटेमाला की काफी बदनामी हुई।

जब फेल हुई सीआईए

सोवियत संघ का एल्ड्रिश एम्स 10 वर्षों तक सीआईए में डबल एजेंट रहा। 1994 में उसे सजा मिली।

1974 और 1999 में भारत के परमाणु परीक्षणों की भनक सीआईए को नहीं लगी।

अफगानिस्तान में उसके पैदा किए तालिबान और ओसामा बिन लादेन बाद में उसके गले की फ़ांस बन गए।

1968 में चेकोस्लोवाकिया पर सोवियत हमले की जानकारी भी सीआईए नहीं जुटा पाया।

1953 में ईरान में लोकतांत्रिक सरकार का तख्ता पलटवाया, लेकिन 1979 में इस्लामी क्रांति के बाद ईरान उसका सबसे बड़ा दुश्मन बन गया।

इराक में उसके पिट्ठू रहे सद्दाम हुसैन ने बाद में उसको ठेंगा दिखा दिया जिसे मारने के लिए उसे काफी मशक्कत करनी पड़ी।

1990 में इराक ने कुवैत पर हमला किया। इसकी जानकारी भी सीआईए को नहीं हो सकी थी।

ट्यूनीशिया की क्रांति के बारे में भी सीआईए को कोई खबर नहीं थी।

सीआईए पर आरोप

अफगानिस्तान में अफीम के साथ ही थाईलैंड, म्यांमार, वेनेजुएला, कोलंबिया, निकारागुआ, मेक्सिको, पनामा और हैती में उसने मादक पदार्थों की खेती और इनकी बिक्री से मिले पैसे को आतंकवादी संगठनों के बीच वितरित किया ताकि वो इसके मोहरे बन काम अंजाम देते रहे।

अमेरिका में रॉकफेलर आयोग, चर्च कमेटी और पीके कमेटियों ने सीआईए के कामकाज को लेकर कई बार सवाल किए लेकिन उनके सवालों को हमेशा अनदेखा किया जाता रहा है।

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