आगरा: मई के महीने में पारा 45 के पार जाने से इंसान तो क्या पशु-पक्षी भी त्राहिमाम करने लगे हैं। पानी की एक बूंद को अपने अंदर उतारने के लिए पशु-पछियों को जबरदस्त मेहनत करनी पड़ रही है।
पक्षियों की जद्दोजहद
-एक बंद पड़े नल से टपकती हुई जल की बूंदों को पीने के लिए तोता और कौवा घंटों मशक्कत करते रहे।
-पर लाख कोशिशों के बाद भी वो गला तर न कर सके।
-कहीं और जुगाड़ करने के लिए निकल पड़े।
प्यास लगने पर चीखता और मारता है बकरा
-वजीरपुरा के परवेज का बकरा तो इससे थोड़ा अलग निकला।
-परवेज ने बताया की जब इसे प्यास लगती है, तो यह चीखता है और सबको मारने लगता है।
-इसकी आवाज सुनकर मैं इसे तुरन्त पानी पिलाता हूं, वरना यह चाय बनाना मुश्किल कर देता है।
क्या कहना है समाज सेवी संस्था का
-वेकअप संस्था के शिशिर भगत ने बताया की कुदरत ने जानवरों को पीने के पानी और भोजन के लिए इंसानो पर निर्भर नहीं होने दिया था।
-पर आज इंसान ने जमीन पर कंक्रीट का जाल फैला दिया है।
-ऐसे में जानवर और पक्षी अब इंसानों के बनाए जलपात्रों पर निर्भर हैं ।
-इसलिए हम लगातार लोगों को छतों और घर के बाहर नांदो में पानी रखने की अपील करते हैं।
-एक समय था, जब आंगन में गौरैया और तोते और छत पर कौवे की कांव-कांव आने वाली खुशियों का संकेत देती थी पर आज आपको इन्हें ढूंढना पड़ेगा।
इसके अलावा गिलहरी और कुत्ते भी पानी के लिए भटक रहे हैं।