महिला दिवस विशेष: अपनों ने चेहरा जलाया, 'She + Heroes' ने हौसले को बढ़ाया

Update:2017-03-07 15:15 IST

लखनऊ: उनके चेहरे को वहशियों ने बिगाड़ा, अपनों ने ही उनके खूबसूरत चेहरे को जलाया। उनके चेहरे पर आज भी दरिंदों की वहशी हरकत के निशान तो हैं, लेकिन साथ ही एक सुकून भरी मुस्‍कान भी है। आज वो अपने पैरों पर खड़ी हैं। हम बात कर रहे हैं राजधानी लखनऊ के 'शीरोज' कैफे में अपनी और अपने जैसी एसिड अटैक सर्वाइवर्स को हौंसला देेने वाली वीरांगनाओं की, जिन्‍होंने अपने जीवन में बहुत दर्द झेला, लेकिन अब अपने सपनों को पंख देने के लिए जिंदगी की जंग लड़ रही हैं।

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'शीरोज' का असली मतलब भी शायद यही है कि महिलाएं अपने अंदर के हीरो की पहचान करें और अपने साथ हो रहे अन्‍याय के खिलाफ अपनी जंग जारी रखें। इनके हौंसले को बढ़ाने के लिए इस बार अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस पर खुद राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी 'नारी शक्ति अवाॅर्ड' से सम्‍मानित करने जा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति भवन में छांव फाउंडेशन के प्रोजेक्ट 'शीरोज' हैंगआउट की ओर से रूपा इस अवाॅर्ड को रिसीव करेंगी।

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5 लोगों ने लखनऊ में डाली शीरोज की नींव

- 'शीरोज' कैफे लखनऊ के अभय कुमार ने बताया कि 8 मार्च 2016 को सीएम अखिलेश यादव के सहयोग से छांव फाउंडेशन ने इस कैफे की शुरूआत की थी।

-इससे पहले आगरा मे वर्ष 2014 में इस कैंफे की नींव डाली गई थी।

- इसे सीएम के ड्रीम प्रोजेक्‍ट लखनऊ मेट्रो के बिलकुल बगल में स्‍थापित किया गया ।

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- एसिड अटैक सर्वाइवर्स को मोटिवट करके आलोक दीक्षित और आशीष शुक्ला ने पहल कर इस कैफे की नींव रखी।

- यहां लक्ष्‍मी, सोनिया और मधु सहित कुल पांच एसिड अटैक सर्वाइवर्स काम करती हैं।

- इसके अलावा यहां कई एसिड अटैक पीड़िताएं कानूनी राय लेने से लेकर अपने सपनों को पूरा करने केे लिए काउंसिलिंग के लिए आती हैं।

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फेमिनिज्‍़म लाइब्ररी से लेकर डायक्‍यूमेंट्री स्‍क्रीनिंग सेंटर से लैस है कैफे

- आलोक दीक्षित ने बताया कि इस कैफे में करीब 30 से 40 लोग आसानी से एक साथ बैठकर लजीज स्‍नैक्‍स और पकवानों का लुत्‍फ उठा सकते हैं।

- इसके अलावा यहां एक फेमिनिज्म लाइब्रेरी है, जिसमें महिला सशक्तिकरण से ज़ुुडी किताबें उपलब्‍ध हैं।

- इसके साथ ही यहां एक डाक्‍यूमेंट्री स्क्रीनिंग एरिया भी है।

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- जिसमें एसिड पीड़िताओं की सक्‍सेस स्‍टोरी भी दिखाई जाती है।

- आेेपेेन स्‍पेस में एसिड पीड़िताओं के हाथों बनीं हैंडीक्राफ्ट और आर्टवर्क भी डिस्‍प्‍ले किया जाता है।

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- छांव फाउंडेशन की डायरेक्‍टर लक्ष्‍मी ने बताया कि यहां आने वाली एसिड पीड़िताओं की पूरी काउंसिलिंग की जाती है।

- उन्‍हें कानूनी सहायता देने के साथ ही दोबारा जिंदगी जीने के लिए प्रेरित किया जाता है।

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