VIDEO: आज का श्रवण कुमार, 20 साल में मां को कराई 37 हजार किमी. यात्रा

Update:2016-04-19 22:01 IST

आगरा: मध्‍य प्रदेश से कांवड़ पर अपनी मां को लेकर निकले कैलाश गिरी ब्रह्मचारी 37 हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी कर मंगलवार को आगरा पहुंचे। कैलाश पिछले 20 साल से अपनी अंधी मां को कांवर में बैठाकर तीर्थों की यात्रा करवा रहे हैं। वृंदावन के दर्शन के बाद वह वापस अपने निवास जबलपुर जाएंगे।

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कब निकले थे यात्रा पर

-गिरी ब्रह्मचारी 2 फ़रवरी 1996 को संकट मोचन धाम हिनोता थाना बरगी,जबलपुर, मध्य प्रदेश से पदयात्रा पर निकले थे।

-उनके साथ उनकी अंधी मां कीर्ति देवी (92 वर्ष) हैं।

-बाबा कैलाश गिरी ब्रहमचारी 20 साल 2 माह से अपनी मां को लेकर तीर्थ पर निकले हैं।

मंगलवार को जब वे ग्वालियर रोड स्थित सेवला चुंगी पहुंचे तो बीजेपी नेता गोविंद चाहर और क्षेत्र के लोगों ने इस 'कलयुग के श्रवण कुमार' और उनकी मां का भव्य स्वागत किया।

मां के पैर दबाते कैलाश गिरी

कौन हैं 'कलयुग के श्रवण कुमार'

-कैलाश गिरी जबलपुर के रहने वाले हैं।

-पिता की मौत के बाद 25 साल की उम्र में इनके बड़े भाई की भी मौत हो गई थी।

-मां कीर्ति देवी के आंखों की रोशनी चेचक की बीमारी के चलते चली गई थी।

मां ने मांगी थी मन्‍नत

-कैलाश बाल ब्रह्मचारी हैं। 1994 में उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। बचना मुश्किल था तो मां ने उनके ठीक होने पर नर्मदा परिक्रमा की मन्नत मांगी।

-आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण मां परिक्रमा के लिए नहीं जा सकी।

-इसके बाद कैलाश मां की इच्‍छा पूरी करने के लिए उन्‍हें कांवड़ पर लेकर निकल पड़े।

23 से ज्‍यादा धामों की कर चुके हैं यात्रा

-कैलाश अब तक काशी, अयोध्या, इलाहाबाद, चित्रकूट, तारापीठ, बैजनाथधाम, जनकपुर, नीमसारांड, रामेश्वरम, तिरुपति, जगन्नाथपुरी, गंगासागर, बद्रीनाथ, केदारनाथ, ऋषिकेश, हरिद्वार, पुष्कर, द्वारिका, रामेश्वरम, सोमनाथ, जूनागढ़, महाकालेश्वर, मैहर, बांदपुर आदि जगहों की यात्रा करने के बाद आगरा पहुंचे। आगरा के बाद वे वृंदावन जाएंगे।

-कैलाश की इच्छा नासिक त्रयम्बकेश्वर, भीमशंकर, घुसमेश्वर जाने की भी है। लेकिन उनकी मां अब तीर्थ यात्रा नहीं करना चाहती हैं।

ताजमहल देखने की है इच्छा

-कैलाश गिरी रोजाना करीब 5 किलो मीटर चलते हैं।

-उनकी इच्छा आगरा में ताजमहल देखने की है।

-कैलाश ने बताया कि यात्रा शुरू करने से पहले उनके पास मात्र 400 रुपए थे, जिन्हें लेकर वे घर से निकले।

कही दिल की बात

कैलाश गिरी ने कहा, हमें कभी भी इतना कमजोर नहीं होना चाहिए कि मां-बाप को वृद्धाश्रम के दरवाजे खटखटाने पड़े।

क्या कहती हैं मां ?

-कैलाश की मां कीर्ति किसी के सामने बेटे को आशीर्वाद नहीं देती और न ही तारीफ करती हैं।

-वह सभी को माता-पिता की सेवा की सीख देती हैं।

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