लखनऊः विधानमंडल का सत्र शुरू होते ही यूपी के तमाम बेलगाम अफसरों और कामकाज न करने वाले मंत्रियों पर कार्रवाई होने के आसार हैं। सोमवार को मुलायम सिंह ने भाई शिवपाल सिंह, प्रो. रामगोपाल यादव और बेटे अखिलेश यादव के साथ बैठकर आपसी विवाद सुलझाया। सूत्रों के मुताबिक करीब ढाई घंटे तक चली मीटिंग में इस बारे में फैसला हुआ है कि कई अफसर और मंत्रियों पर गाज गिराई जाए।
अफसरों-मंत्रियों की खैर नहीं
सूत्रों की मानें तो बैठक में शिवपाल यादव ने उन अफसरों के बारे में बताया, जो काम नहीं कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने जमीन कब्जाने और पार्टी के नाम पर पैसा कमा रहे नेताओं की भी जानकारी दी। बैठक में 18 जिलों में पार्टी की मौजूदा हालत जानने के लिए एमएलसी की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई। इस रिपोर्ट में कई मंत्रियों और विधायकों के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए गए हैं। इन सब पर चर्चा के बाद ही तय हुआ कि विधानमंडल सत्र के बाद ऐसे बेलगाम अफसरों और मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
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मुलायम ने क्या नसीहत दी?
सूत्रों के अनुसार मुलायम ने बैठक में कहा कि कोई भी मतभेद हो तो बैठकर उसका समाधान निकाला जाए। परिवार के सदस्यों के बीच टकराव की खबरें मीडिया में नहीं जानी चाहिए। उन्होंने सीएम अखिलेश यादव को कार्यकर्ताओं के बीच छवि मजबूत करने के लिए कहा। मुलायम ने ये नसीहत भी दी कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सम्मान मिलना चाहिए।
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कैसे शुरू हुआ था विवाद?
मुलायम के कुनबे में विवाद की वजह 21 जून 2016 को डॉन मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के सपा में विलय था। शिवपाल ने विलय कराया, लेकिन अखिलेश की जिद पर इसे रद्द कर दिया गया। हाल ही में शिवपाल ने मैनपुर में कहा कि पार्टी के तमाम लोग जमीनों पर कब्जा और दलाली कर रहे हैं, लेकिन इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही। मैं इस्तीफा दे दूंगा। शिवपाल की धमकी के बाद 15 अगस्त को सपा दफ्तर में सबके सामने मुलायम सिंह ने अखिलेश को फटकार लगाई थी। उन्होंने कहा था कि शिवपाल के खिलाफ साजिश हो रही है। मुलायम ने मंत्रियों को भी सुविधाभोगी बता दिया था।
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