दुर्दांत गैंगस्टर करने जा रहा इकबाल ए जुर्म, जल्द मिलेगी दास्तान

दो साल पहले जब अपराधी चंदन जेल में आया था तो उस समय उसकी जेल से भागने से लेकर अन्य अपराधों की चर्चा आम थी।  चंदन के अपराध और उसकी कहानी सुनकर उससे मिलने का मन किया

Update:2020-10-09 18:13 IST
चंदन जो कभी गन का खौफ दिखाता था अब अपनी लेखनी से  सजी किताब होगी। चंदन और कानपुर का बदमाश विकास दुबे दोनों में एक समानता है

नोएडा : समाज में एक अपराधी जाता है तो दूसरा आता है। कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद अगर सोच रहे है कि अपराध का खात्मा हो गया हो तो यह सरासर गलत है। अब भी कई धुरंधर अपराधी जेल में बंद है जिनमें एक पूर्वांचल का कुख्यात चंदन सिंह है जो जेल के अंदर 'गन से मन की ओर' नाम की किताब लिख रहे है। चंदन को लिखने की प्रेरणा उसे गौतमबुद्ध नगर के जेल अधीक्षक से मिली थी। चंदन जो कभी गन का खौफ दिखाता था अब अपनी लेखनी से सजी किताब होगी। चंदन और कानपुर का बदमाश विकास दुबे दोनों में एक समानता है। चंदन को जेल अधीक्षक ने किताब लिखने की प्रेरणा दी । लेकिन उससे पहले बता दे कि चंदन कौन है...

 

चंदन सिंह कौन हैं

गोरखपुर चिलुआताल थाने के कुसहरा गांव का देवकी नंदन सिंह 14 साल में कुख्यात चंदन सिंह अपराधी बन गया। 2006 के मामूली विवाद में एक हत्या में नाम आने के बाद चर्चा में आया था। जेल से छूटने के बाद हत्या, रंगदारी, लूटपाट, जैसे अपराध उसके शौक बन गए थे। जेल से अंदर से ही कई बार रंगदारी मांगने की शिकायत भी आई थी।

 

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आपराधिक मामले

चंदन की 2017 में गुजरात से यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तारी की थी। इसके बाद अलग-अलग जेलों से होकर नोएडा जेल लाया गया था। जेलर सत्य प्रकाश सिंह ने बताया कि चंदन यूपी की 24 जेलों की यात्रा के बाद नोएडा जेल आया है। दो बार अलग-अलग जेल से भाग चुका है।गौतमबुद्ध नगर जेल में बंद चंदन पर 60 आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। इससे इसके अपराध के प्रति उसकी संलिप्तता का अंदाजा लगाया जा सकता है। कानपुर ग्रामीण के चौबेपुर के कुख्यात अपराधी विकास दुबे पर भी 60 आपराधिक मुकदमे दर्ज थे।

 

सोशल मीडिया से

 

'गन से मन की ओर

नोएडा जेल अधीक्षक विपिन मिश्रा ने कहा है कि दो साल पहले जब अपराधी चंदन जेल में आया था तो उस समय उसकी जेल से भागने से लेकर अन्य अपराधों की चर्चा आम थी। चंदन के अपराध और उसकी कहानी सुनकर उससे मिलने का मन किया तो उसके अपराध के जीवन के उसके अच्छे-बुरे कारनामों की कहानियां सुनी।

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इसके बाद उसे उसकी जीवनी को कागज में उतारने के लिए कहा। फिर चंदन ने किताब लिखने की बात से उसके मन में बेचैनी थी। क्या लिखें, कैसे लिखें? जब उसे बताया कि आखिर उसका अपराध में आना कैसे हुआ, अपराधी जीवन में आकर क्या पाया, क्या खोया? खुद सोचे। इसके बाद ही उसने अपनी आपराधिक जीवनी को लिखने का प्रण किया। उसकी किताब का नाम अभी फिलहाल 'गन से मन की ओर' है।

 

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