बरेली: हाथो में खनकती चूड़ियां पैरो में पायल , माथे पर बिंदिया और तन पर सोलह श्रृंगार , हम किसी नव योवना की बात नहीं कर रहे ,हम बात कर रहे है रेलवे के रिटायर्ड इंजीनियर रविन्द्र कुमार सक्सेना की, जिन्होंने रिटायर होने के बाद सारा जीवन कान्हा की भक्ति में लगा दिया और वन गए राधा। कृष्ण राधा की मूर्तियों के आगे झूमकर नाचने गाने लगे।
रेलवे विभाग से रिटायर्ड इंजीनियर रविन्द्र सक्सेना कई वर्ष पूर्व रेलवे से सेवामुक्त हो चुके है। रविंदर ने कई वर्ष पूर्व ही अपना सारा जीवन कान्हा को समर्पित कर दिया है। रविंदर के अनुसार कुछ वर्ष पूर्व वह कान्हा के दर्शन के लिए वरसाने गए थे तो इन्होने वहा कई अच्छे परिवार के लोगो को राधा के रूप में नृत्य करते देखा तभी से उन्हें कृष्ण की लगन लग गई तब से रविन्द्र हर वर्ष जन्माष्ठमी के मौके पर किसी भी मंदिर में जाकर राधा के रूप में नृत्य करते है।
जब लोग रविंदर को कृष्ण की भक्ति में भाव विभोर होकर मंदिरों में नाचते झूमते है। तो मंदिर परिसर में मौजूद लोग आश्चर्य चकित हो जाते हैं वही कृष्ण की दीवानी इस अनोखी राधा की भक्ति के आगे नतमस्तक भी।
रविन्द्र यह भी बताते है कि वह कभी आई जी पंडा से प्रेरित नहीं हुए बल्कि आत्मा के कहने पर राधा का रूप धारण करते हैं। वह यह भी कहते है कि कृष्ण नाम की भक्ति की ज्योति जिसके ह्रदय में जल जाती है वो खुद ही कृष्ण में रम जाना चाहता है। फिलहाल कहानी कुछ भी हो लेकिन एक 90 वर्षीय बुजुर्ग की दीवानगी कृष्ण के प्रति किसी को अचंभे में डाल सकता है।