एनएमसी के विरोध में फिर हो सकती है देश में डाक्टरों की हड़ताल

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के स्थान पर आ रहे राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (एनएमसी) के विरोध में डॉक्टरों का विरोध सामने आया है। सरकार को यह चेतावनी दी गयी है कि अगर एनएमसी बिल 2019 में बदलाव नहीं किया गया तो चिकित्सक देशव्यापी हड़ताल भी कर सकते हैं।

Update: 2019-07-24 16:34 GMT

लखनऊ: मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के स्थान पर आ रहे राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (एनएमसी) के विरोध में डॉक्टरों का विरोध सामने आया है। सरकार को यह चेतावनी दी गयी है कि अगर एनएमसी बिल 2019 में बदलाव नहीं किया गया तो चिकित्सक देशव्यापी हड़ताल भी कर सकते हैं। आईएमए की आपातकालीन कार्रवाई समिति की बैठक में एनएमसी विधेयक 2019 के खिलाफ मुहिम छेड़ने का फैसला लिया गया है, वहीं एम्स की रेजीडेंट्स डॉक्टर एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने भी इस पर विरोध जताया है। आईएमए का मानना है कि वर्तमान प्रारूप में यह बिल चिकित्सा पेशे की मौत की घंटी बजाने वाला साबित होगा।

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आईएमए ने इस बिल के खिलाफ मुहिम छेड़ने का फैसला किया है। आईएमए की मंगलवार को दिल्ली में हुई आपातकालीन कार्रवाई समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सांतनु सेन और महासचिव डॉ आरवी असोकन ने बयान जारी कर कहा है कि जनवरी 2017 में भी यह विधेयक सदन में रखा गया था।

उस विधेयक से तुलना की जाए तो केवल कॉस्मेटिक बदलाव हुए हैं। डा. सांतनु सेन ने कहा कि नेक्स्ट और नीट को एक करना उचित नहीं है। उनका कहना है कि लाइसेंस प्राप्त परीक्षा केवल कुछ ही योग्य लोगों को मेडिकल का अभ्यास करने की इजाजत देगी, और नीट मेडिकल में पोस्ट ग्रेजुएशन का सपना देखने वाले सर्वश्रेष्ठ छात्रों का चयन करेगा। देखा जाये तो इस तरह एमबीबीएस ग्रेजुएशन पूरी कर चुके लगभग 50 प्रतिशत छात्र माडर्न मेडिसिन का अभ्यास नहीं कर सकेंगे। इस तरह के फैसले से आम जनता की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर चिंताएं ही बढ़ेंगी।

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इस बीच मिली खबरों के मुताबिक दिल्ली एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के अध्यक्ष डॉ. अमरिंदर ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को एक पत्र भी लिखा है। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि विधेयक के जरिए जिस तरह की समिति का गठन सरकार चाहती है, वह एक तानाशाही रवैये जैसा है। उन्होंने कई तरह के संशोधन की मांग की है। एम्स के डॉक्टरों ने भी सदन में मौजूद सभी सांसदों से विधेयक पर चर्चा करने से पहले डॉक्टरों की मांग पर गौर करने की अपील भी की है।

इनके अलावा फोर्डा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुमेध का कहना है कि निजी मेडिकल कॉलेजों में 50 फीसदी सीटों पर फीस नियंत्रण से परेशानी और भी ज्यादा बढ़ेगी। देश में चिकित्सीय शिक्षा पहले से ही काफी महंगी है। डॉ. सुमेध का यह भी कहना है कि विधेयक से जुड़े कई बिंदुओं पर सरकार ने स्पष्ट जानकारी नहीं दी है। इसलिए विधेयक पर चर्चा से पहले इस मुद्दे पर मंत्रालय को बातचीत करना चाहिए।

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