आगरा: आगरा कैंट रेलवे स्टेशन को विश्वस्तरीय बनाने की चर्चा चलती रही है। लेकिन स्टेशन के प्लेटफॉर्म नशेड़ी बच्चों का खुला अड्डा हैं, और रेलवे या पुलिस अधिकारी इस पर रोक में दिलचस्पी भी नहीं रखते। बल्कि नशेड़ी बच्चों का तो कहना है कि खुद पुलिस उनसे लाशें उठवा कर नशे की छूट देती है।
नशेड़ियों का अड्डा
-आगरा में देशी-विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है।
-सबसे ज्यादा पर्यटक ट्रेनों से आते हैं।
-लेकिन यहां के स्टेशन नशेड़ी लड़कों का अड्डा बने रहते हैं।
-ये लड़के स्टेशनों पर आवारगी करते हैं और कई बार छोटे मोटे अपराधों में भी लिप्त हो जाते हैं।
ये उम्र और नशा
-आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर नशेड़ी बच्चों की उम्र तीन से बारह साल है।
-आमतौर पर कूड़ा और प्लास्टिक चुन कर बेचने वाले ये बच्चे सारे पैसे नशे में उड़ा देते हैं।
-हैरत की बात है कि कोई सरकारी या गैर सरकारी संस्था इनके पुनर्वास को आगे नहीं आती।
-बच्चे नशा छोड़ना चाहते हैं, लेकिन पुलिस उनका इस्तेमाल करके नशे की छूट देती है।
-बच्चों ने बताया कि रेलवे पुलिस नशे के बदले उनसे सफाई कराती है और ट्रेन से कटे शव उठवाती है।
अधिकारी अनजान
-आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर इन बच्चों की तादाद कम से कम 50 है।
-ये बच्चे स्टेशन के पास की दुकान से ओमनी ट्यूब खरीद कर उससे नशा करते हैं।
-50 रुपए की ट्यूब को सूंघने से नशा होता है।ये नशा 4 घंटे तक रहता है।
-एडीआरएम शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि पहले एक अभियान चला कर ऐसे बच्चों को चाइल्ड लाइन पहुंचाया गया था।
-अगर ये जारी है तो जांच कराई जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी।