कांग्रेस अध्यक्ष ने योगी सरकार से किया सवाल-उर्जा मंत्री पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई?

प्रदेश में चल रहे घोटाले दर घोटाले में सरकारी चुप्पी घोटालों को प्रोत्साहित कर रही है। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और व्यक्तियों को बचाने के लिए लीपापोती और जवाबदेह मंत्रियों पर सरकार की मेहरबानी मामलों को संदेहास्पद बना रही है।

Update: 2019-11-24 12:47 GMT

लखनऊ: प्रदेश में चल रहे घोटाले दर घोटाले में सरकारी चुप्पी घोटालों को प्रोत्साहित कर रही है। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और व्यक्तियों को बचाने के लिए लीपापोती और जवाबदेह मंत्रियों पर सरकार की मेहरबानी मामलों को संदेहास्पद बना रही है। उक्त आरोप उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार पर लगाया है ।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि बिजली कर्मचारियों के पीएफ का विवादित कम्पनी डीएचएफएल में भविष्य निधि का इंवेस्टमेंट में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के 45 हजार से अधिक कर्मचारियों की सामान्य भविष्य निधि और अंशदायी भविष्य निधि के 2267 करोड रूपये फंस गए हैं।

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सीबीआई जांच का सिफारिश पत्र क्यों नहीं हुआ जारी

दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की गयी किंतु उर्जा मंत्री पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी। प्रमुख सचिव के जी.ओ. से स्पष्ट है की निवेश करते समय नियमों की अनदेखी हुई।

सीबीआई जांच से तमाम उच्चाधिकारियों व मंत्री की संलिप्तता उजागर होने के डर से सरकार के द्वारा सीबीआई जांच की कोई सिफारिश पत्र अभी तक जारी नहीं किया गया। सरकार को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अधिकारीगण आलोक कुमार, संजय अग्रवाल, विशाल चैहान, अर्पणा यू तथा डीएचएफएल बोर्ड के निदेशक व अधिकारियों से कब पूछताछ और कार्यवाही करेगी इसको स्पष्ट करना चाहिए।

इस मामले में कर्मचारी संगठनों के साथ हुए समझौते पर उन्होने कहा कि जी.ओ. पर क्या उर्जा मंत्री, मुख्य मंत्री और केबिनेट की संतुति है यदि नहीं तो यह कर्मचारियों के साथ एक बडा धोखा होगा क्योंकि कैबिनेट और वित विभाग के अनुमोदन के बिना इतने बडे बजट की उपलब्धता और प्रयोजन संभव नहीं है। इस नोट को सार्वजनिक करना चाहिए।

इसी तरह से होमगार्ड वेतन घोटाला प्रदेश के लगभग सभी जिलों में है और फर्जी हाजिरी लगाकर भुगतान कराया गया है। सरकार ने जानबूझ कर गौतम बुद्व नगर के एसएसपी के द्वारा दस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कराने की मांग को स्वीकृत करने में विलम्ब की गयी और आरोपियों के हौसले को बुदंल किया गया जिसका नतीजा वहां के कागजातों में आग लगने की घटना है।

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पंचायतों में 3500 करोड का नुकसान

यदि एक जिले में दो माह में घोटाले की राशि 8 लाख है तो पूरे प्रदेश में यह सैकड़ों करोड़ का घोटाला है।

पंचायती राज विभाग में चैदहवें वित्त आयोग के परफार्मेन्स ग्रांट में हुए 700 करोड के घोटाले के मामलें दो साल तक चली लम्बी जांच के

बाद बडे जिम्मेवार अधिकारियों के विरुद्ध कोई भी एफआईआर दर्ज न कराया जाना सरकारी मंशा पर सवाल खड़े करता है। जिसके कारण प्रदेश के पंचायतों में होने वाले विकासीय कार्य के लिए 3500 करोड का नुकसान हुआ है।

अजय कुमार लल्लू ने सरकार पर संगठित तरीके से लूट करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के गुड गर्वर्नेंस के नारे की पोल जनता के बीच खुल चुकी है।

उन्होंने मांग किया कि प्रदेश सरकार आवश्यक कार्यवाही को लम्बित करने के बजाय सक्रियता के साथ घोटाले दर घोटाले की जांच कर सम्बंधित विभागों के बडे अधिकारियों के साथ ही मंत्रियों पर कार्यवाही कर सरकार को जनता के प्रति अपनी जवाबदेही और पारदर्शिता के साथ सुशासन की मंशा स्पष्ट करनी चाहिए।

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