RTI में खुलासा: यादव सिंह को बचाने के लिए अखिलेश सरकार ने खर्च किए 21.15 लाख रुपए

Update: 2017-05-04 12:44 GMT

लखनऊ: यूपी सरकार ने नोएडा अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह मामले में सीबीआई जांच से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों पर अब तक 21.15 लाख रुपए खर्च किए हैं। यह तथ्य आरटीआई कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा प्राप्त सूचना से सामने आया है।

नूतन ठाकुर की ओर से दायर जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले को सीबीआई को स्थानांतरित किया था। यूपी सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर किया था। यह 16 जुलाई 2015 को पहली सुनवाई के दिन ही ख़ारिज कर दी गई। बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव सरकार ने सीबीआई जांच से बचने के लिए हरसंभव प्रयास किया था।

इन्हें मिले इतनी रकम

सुरेन्द्र पाल सिंह, विशेष सचिव द्वारा आरटीआई में दिए पत्र दिनांक 4 मई 2017 के अनुसार राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए चार वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किए थे। इनमें कपिल सिब्बल को 8.80 लाख रुपए, हरीश साल्वे को 5 लाख रुपए, राकेश द्विवेदी को 4.05 लाख रुपए और दिनेश द्विवेदी को 3.30 लाख रुपए यानि कुल 21.25 लाख रुपए इन अधिवक्ताओं को दिए गए।

दागी को बचाने के लिए..

नूतन ठाकुर ने कहा, कि 'यह वास्तव में अफसोसजनक है कि यादव सिंह जैसे दागी को बचाने के लिए राज्य सरकार ने इतनी भारी धनराशि खर्च की।' उन्होंने यह धनराशि इस खर्च के लिए जिम्मेदार अफसरों के जेब से वसूलने की मांग की है।

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