इलाहाबाद High Court ने कहा- नेताओं का चुनावी वादे से मुकरना कोई अपराध नहीं, सुनाया ये बड़ा फैसला
Prayagraj: एक याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि चुनावी वादे से मुकरने पर राजनीतिक दलों और नेताओं के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता हैं, उन्हें इसके लिए सजा नहीं दी जा सकती है।
Prayagraj: एक याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अपने फैसले में कहा कि राजनीतिक पार्टियों पर चुनाव के दौरान जनता से लुभावने वादे करने और बाद में मुकर जाने पर उनके खिलाफ कोई अपराध का मामला नहीं बनता। और न ही ऐसे वादों से मुकरने पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जा सकती है।
आपको और सबको पता है कि चुनावों के दौरान जनता से नेता और राजनीतिक पार्टियां खूब सारे लुभावने वादे (Poll Promises) करते हैं। इसका ट्रेंड लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों में है। हालांकि इन वादों के पूरा करने की गारंटी कोई नहीं लेता।
चुनावी मैनिफैस्टो में लुभावने वादे से मुकरने पर कोई दंड नहीं
आपको बता दें कि इससे सम्बंधित एक याचिका पर कोर्ट ने कहा कि पार्टियों के चुनावी मैनिफैस्टो में लुभावने वादे कर उसे पूरा न कर सकने के खिलाफ कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। न ही ऐसे वादों से मुकरने पर उनके खिलाफ कोई दंड का प्रावधान है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के जस्टिस दिनेश पाठक ने यह आदेश निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर दिया।
घोषणा पत्र का पालन नहीं होने पर मुकदमा दर्ज करने की मांग
दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा (BJP) के अध्यक्ष रहे अमित शाह (Amit Shah) और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की याचिका पर निचली अदालत ने पक्ष में आदेश नहीं सुनाया था। निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस आदेश में कोई गलती नहीं है।
घोषणा पत्र का पालन नहीं किया- याची
याची का कहना था कि भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र का पालन नहीं किया। न ही चुनाव में जनता से किए अपने चुनावी वादों को ही पूरा किया। याची ने मांग की थी कि इस मामले में लोगों से धोखा देने के लिए मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।
वादों के लिए राजनीतिक दल जिम्मेदार नहीं
हाईकोर्ट ने कहा कि लोक प्रतिनिधित्व एक्ट के तहत अपने वादों के लिए राजनीतिक दल जिम्मेदार नहीं हैं। कोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा कि वादों को पूरा न कर सकने के खिलाफ कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।
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