UP News: वित्त सचिव और विशेष सचिव को तल्काल रिहा करने का आदेश, HC के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे
Prayagraj News: यूपी कैडर के 2 आईएएस अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। हिरासत में लेने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट पर रोक लगा दी है।
Prayagraj News: यूपी कैडर के 2 आईएएस अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। हिरासत में लेने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट पर रोक लगा दी है। दोनों अफसरों को तत्काल रिहा करने का आदेश दे दिया है। मुख्य सचिव के खिलाफ जारी किए गए वारंट पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कल दोनों अफसरों को हिरासत में लिया था। वित्त सचिव और विशेष सचिव हिरासत में लिए गए थे। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को पैसा न देने का मामला है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों को सुविधाएं देने के आदेश की अवहेलना मामले में यूपी सरकार के प्रमुख सचिव वित्त एसएमए रिजवी (Principal Secretary Finance SMA Rizvi) और विशेष सचिव वित्त सरयू प्रसाद मिश्र (Special Secretary Finance Saryu Prasad Mishra) को न्यायिक अभिरक्षा में ले लिया था। गुरुवार (20 अप्रैल) को सुबह 10 बजे अवमानना आरोप निर्मित करने के लिए हाजिर होने का आदेश दिया था। साथ ही, प्रमुख सचिव गृह को वारंट जारी किया था।
ये आदेश जस्टिस सुनीत कुमार (Justice Suneet Kumar) और जस्टिस राजेंद्र प्रसाद (Justice Rajendra Prasad) की खंडपीठ ने रिटायर्ड जजेज एसोसिएशन की याचिका पर दिया है। अधिकारियों को हिरासत में ले लिया गया है। उन्हें 6 बजे तक आदेश का पालन करने का समय दिया है।
यूपी सरकार कर रही आनाकानी
याची की ओर से अधिवक्ता का कहना था कि यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दे रखा है कि, आंध्र प्रदेश गवर्नमेंट द्वारा रिटायर जजों को दी जा रही सुविधा के अनुसार उत्तर प्रदेश में भी सुविधाएं दी जाएंगी। कहा गया है कि यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में दिए गए अंडरटेकिंग से ही वादाखिलाफी कर रही है। आंध्र सरकार की तर्ज पर यूपी में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के रिटायर जजों को दी जाने वाली सुविधाएं में आनाकानी कर रही है।
क्या कहा महाधिवक्ता ने?
सरकार की तरफ से महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी का कहना था कि कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। जो प्राप्त हो गया है। प्रदेश सरकार इसे कैबिनेट के समक्ष शीघ्र रखेगी। सुनवाई के बाद बेंच ने कहा, हाईकोर्ट की ओर से कानून में संशोधन का प्रस्ताव सरकार को भेजा जा चुका है। मगर, सरकार धीमी प्रक्रिया से आगे बढ़ रही है, जो उचित नहीं है।