HC ने खारिज की मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपियों की जमानत याचिका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 2013 में यूपी के मुजफ्फरनगर में हुए साम्प्रदायिक दंगे के दो आरोपियों की जमानत नामंजूर करते हुए उनके प्रार्थना पत्र खारिज कर दिए।

Update: 2017-09-16 13:08 GMT

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 2013 में यूपी के मुजफ्फरनगर में हुए साम्प्रदायिक दंगे के दो आरोपियों की जमानत नामंजूर करते हुए उनके प्रार्थना पत्र खारिज कर दिए। दंगे के आरोपी मुजम्मिल उर्फ बिल्ला और फुरकान के जमानत प्रार्थना पत्र पर जस्टिस शशिकांत ने सुनवाई की।

दोनों अभियुक्तों मुजम्मिल और फुरकान पर गौरव और सचिन की हत्या करने का आरोप है। कोर्ट ने जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त करते हुए निचली अदालत को विचारण छह महीने में पूरा करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि मुकदमे में अनावश्यक रूप से तारीखें न बढ़ाई जाएं। यदि पुलिस या अभियोजन के अधिकारी सहयोग नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ कोर्ट उचित आदेश पारित करे।

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याची मुजम्मिल की ओर से कहा गया कि वह दिव्यांग है और बीमार रहता है, उसकी कभी भी मृत्यु हो सकती है। स्वयं को बेकसूर बताते हुए कहा कि मृतक गौरव और सचिन कबाल गांव में आए थे, नशे में उनकी हत्या हुई। दोनों वहां के रहने वाले नहीं हैं।

शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्तगण मुजफ्फरनगर दंगे का आरोपी है। गौरव और सचिन की हत्या में जो हथियार प्रयोग हुए, वही हथियार अभियुक्तों के पास से बरामद हुए हैं।

विकास सहाय का कहना था कि इस मामले में दोनों गवाहों का बयान हो चुका है और शेष गवाहों के बयान शीघ्र करा दिए जाएंगे। कोर्ट ने घटना के तथ्यों और अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया है।

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