CRPF जवानों को बड़ी राहत: हस्ताक्षर व अंगूठा निशान न मिलने से रद्द कर दिया गया था चयन

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय कर्मचारी चयन आयोग प्रयागराज द्वारा चयनित सीआरपीएफ के 36 सिपाहियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने हस्तलेख व अंगूठा निशान भिन्न होने व मैच

Update: 2019-05-16 16:17 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय कर्मचारी चयन आयोग प्रयागराज द्वारा चयनित सीआरपीएफ के 36 सिपाहियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने हस्तलेख व अंगूठा निशान भिन्न होने व मैच न करने की विशेषज्ञ जांच रिपोर्ट पर बिना उनको बचाव का मौका दिए चयन रद्द करने व 3 साल तक आयोग की परीक्षा में बैठने से रोकने के आदेश को नैसर्गिक न्याय के खिलाफ माना है और केंद्र सरकार की एकलपीठ के फैसले के खिलाफ विशेष अपील खारिज कर दी है।

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चयनित याचियों सिपाहियों पर 3 साल तक आयोग की परीक्षा में बैठने पर लगा प्रतिबन्ध समाप्त कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि विशेषज्ञ की राय साक्ष्य के रूप में स्वीकार की जा सकती है बशर्ते उसकी अन्य साक्ष्यां से पुष्टि हुई हो। रिपोर्ट के खिलाफ आरोपी को अपना पक्ष रखने का अवसर दिए बगैर साक्ष्य मानकर दण्डित करना विधि सम्मत नहीं माना जा सकता।

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यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति एस.एस. शमशेरी की खंडपीठ ने भारत संघ की विशेष अपील पर दिया है। मालूम हो कि आयोग द्वारा 22006 पैरा मिलिट्री पदों की भर्ती की गयी। सीआरपीएफ के लिए चयनित रणविजय सिंह व 35 को ज्वाइनिंग के लिए भेजा गया किन्तु आयोग ने ही हस्ताक्षर व अंगूठा निशान न मिलने के कारण रोक दिया। सभी को नोटिस दी गयी। सबके हस्ताक्षर व अंगूठा निशान के नमूने लिए गए। केंद्रीय फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में जांच के लिए भेजा गया।

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डेढ़ साल बाद रिपोर्ट में आशंका की पुष्टि हुई तो सभी आरोपियों के आवेदन निरस्त कर दिए गए और 3 साल के लिए आयोग की परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी। एकलपीठ ने आयोग के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया जिसे अपील में केंद्र सरकार ने चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि साइंटिफिक जांच रिपोर्ट याचियों/विपक्षियो को न देना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है और जांच रिपोर्ट अन्य साक्ष्यां से साबित किये बगैर उसके आधार पर चयन रद्द करना गैर कानूनी है।

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